आगू करब आपन देश कविता (Aagu karab aapan desh kavita)

आगू करब आपन देश :- श्री सुकुमार 

आवा सभिन मिल – मेइस, 

आगू करव आपन देश 

हामिन छोटानागपुरेक बासी 

एके ठिनेक सभिन चासा- चासी ।

अर्थ : आओ  सभी मिलजुल कर रहे और आगे करें अपने देश को।  हम सभी छोटानागपुर के वासी, एक ही जगह, सभी का खेती बारी रहना ठिकाना। “©www.sarkarilibrary.in”

छवा जुआन आवा, पढ़वा किसान आवा, 

घार के घरिनी आवा, हिन्दु-मुसलमान आवा । 

आवासभिन नर-नारी, कॅघवाही कांधा जोरी 

पटइबइ सभिन पारी- पारी, लह लह करतइ फुलवारी । 

आवा सभिन….

अर्थ :  छोटा -बड़ा सभी आए।  पढ़े लिखे लोग और किसान भी आए।  घरों से ग्रहणी भी निकल कर आए।  हिंदू मुसलमान भी आओ।  आवो सभी नर नारी। “©www.sarkarilibrary.in”

एके गठरी हामी गीता बाइबिल – कुरान वांधब । 

जउर भइके एके हांडी आपन – आपन भात रांधब 

कुच कुच आंधर, राती, बाइर देबइ परेमेक बाती, 

खइबइ सभीने एके पांती, भेद-भावेक माइर देवइ लातीं । 

आवा सभिन………

अर्थ :   एक ही गठरी में हम गीता बाइबल कुरान को बांधकर रखते हैं।  एक ही हाड़ी  में हम सभी बात बनाकर खाते हैं।  चाहे अंधेरी रात हो. हम प्रेम का दीपक जलाकर उजाला कर  देंगे।  सभी मिलकर एक ही पंक्ति में खानपान करेंगे और भेदभाव को लात मार देंगे।  आओ सभी एकजुट हो जाओ। “©www.sarkarilibrary.in”

 

नारी के मान देवइ- सांझे विहान देवइ । 

एकरा उठावे खातिर – दीढगर जोगान देवइ

 बिना सिरिस्टी नांञ – भाइभ देखक सभिन भाय, 

घार घार जगइबइ जाई – जाई मुकुमांरेक गीत गाई गाई 

आवा सभीन मिल मेइस आगू करब आपन देश। 

अर्थ :  प्रत्येक नारी को सुबह-शाम हम सभी मान सम्मान करेंगे।  इनको समाज में ऊंचा स्तर या अच्छा ओहदा  देने के लिए सहारा देंगे।  घर घर जाकर सुकुमार का गीत गाकर  सभी को जागरूक करेंगे।  आओ सभी मिलजुल कर अपने देश को आगे करें। “©www.sarkarilibrary.in”

  1. Q.एक पथिया डोंगल महुआ कविता संग्रह किताब के डोंगवइया हथ ? संतोष कुमार महतो 
  2. Q.आगू करब आपन देश कविता के लिखल  हथ ? श्री सुकुमार
  3. Q.आगू करब आपन कविता कोन किताबे छपल है ? एक पथिया डोंगल महुआ

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