आधुनिक वास्तुकला

 आधुनिक वास्तुकला

पुर्तगाली स्थापत्य 

  • 1498  में पुर्तगाली भारत आए 
  • 1510 में उन्होंने गोवा पर अधिकार कर लिया। 
  • यूरोपीय कंपनियों में सबसे पहले पुर्तगाली भारत आए
  • पुर्तगाली अपने साथ आइबेरियन वास्तुकला शैली लाए थे। 
  •  पुर्तगालियों ने ही भारत में 1503 में पहला चर्च फोर्टकोच्चि में ‘सेंट फ्रांसिस’ बनाया  
  • पुर्तगालियों ने यहाँ कैथेड्रल, बैसेलिका और अन्य प्रकार के भवन बनवाए। 
  • पुर्तगालियों ने यहाँ 1605 में ‘ऑफ बॉम जीसस’ चर्च बनवाया, जिसमें सेंट फ्रांसिस जेवियर की ममी सुरक्षित रखी गई थी। 
    • इसका भीतरी भाग मोजेक कोरीनीथियन शैली में बना है। 
  • 1604 में मुंबई में पुर्तगालियों ने कैस्टेला डी अगुआडा या बांद्रा फोर्ट बनवाया।
  • पुर्तगालियों ने गोवा में 1619 मेंसेंट कैथेड्रल चर्च बनवाया। 
    • सेंट कैथेड्रल चर्च गोवा जीत के उपलक्ष्य मेंसंत कैथेराइन को समर्पित है 
    • एशिया का सबसे बड़ा चर्च है। 

 

फ्रांसीसी स्थापत्य 

  • पुदुच्चेरी, कराईकल, यनम, माहे और चंद्रनगर में फ्रांसीसी स्थापत्य का प्रभाव है। 
  • फ्रांसीसी अपने शहर को कार्टिजियन ग्रिड योजना के अंतर्गत स्थापित करना चाहते थे।
  • पुदुच्चेरी की नगर योजना ग्रिड पैटर्न पर बनाई गई, जिसमें दो भाग थे
    • विले ब्लैंके – केवल फ्रांसीसियों के लिये 
    • विले नोरे – सबके लिये
  • 1907 में गोथिक स्थापत्य शैली में बना ‘बासिलिका ऑफ द सेक्रेड हार्ट ऑफ जीसस’ चर्च(Basilica of the Sacred Heart of Jesus) पुदुच्चेरी स्थापत्य का उदाहरण है। 
  • ‘आवर लेडी कैथेड्रल’ चर्च 1791 में बनाया गया 
    • इसके प्रांगण में फ्रांसीसी वीरांगना ‘जॉन ऑफ आर्क’ की प्रतिमा है। 

 

ब्रिटिश स्थापत्य 

  • अंग्रेजों की शैलि
    • गोथिक एवं नवगोथिक 
    • इंपीरियल, क्रिश्चियन, विक्टोरियन, नवशास्त्रीय 
    • रोमांसक्यू व पुनर्जागरण 

 

 इंडो-गोथिक शैली

  • इसे ‘विक्टोरियन शैली’ भी कहा जाता है। 
  • यह शैली हिंदुस्तानी, फारसी और गोथिक शैलियों का मिश्रण है। 
  • इसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
    • इंडो-इस्लामिक वास्तुकला की तुलना में इंडो-गोथिक शैली की दीवारें बहुत पतली होती हैं। 
    • इंडो-गोथिक शैली में मेहराबें नुकीली होती थीं, जबकि इंडो-इस्लामिक शैली में यह मुड़ी हुई होती थीं। 
    • मकान में बड़ी-बड़ी खिड़कियों का इस्तेमाल। 
  • इडो-सारसेनिक शैली 
    • हिंद, मुस्लिम और पश्चिमी तत्त्वों का मिश्रण है ।
  • विलियम इमर्सन ने कलकत्ता के विक्टोरिया मेमोरियल को बनाने में ताजमहल से प्रेरणा ली। 
  • इस शैली में निर्मित भवन 

तुलना का आधार 

आइबेरियन शैली

पुर्तगाली शैली

गोथिक शैली

अंग्रेजो की शैली

निर्माण सामग्री

इट 

लाल बलुआ पत्थर 

चुना पत्थर 

 

मद्रास का स्थापत्य 

  • अंग्रेजों ने 1639 में मद्रासपट्टनम या चेन्नापट्टनम में एक व्यापारिक केंद्र खोला 
  • यहाँ सेंट फोर्ट जॉर्ज नामक किला बनवाया। 
  • चेन्नई में ब्रिटिश काल में बनी इमारत 
    • चेपक पैलेस (अर्काट के नवाब का महल)
    • चेन्नई रेलवे स्टेशन (1873 ) 
    • मद्रास विश्वविद्यालय (185 ) 
    • रिपन भवन (1913 ) 

 

कोलकाता का स्थापत्य 

  • कोलकाता (कलकत्ता) को तीन गाँवों को मिलाकर बनाया था।
    • गोबिंदपुर + सुतानाती +कालिकाता 
  • कोलकाता का वास्तुकार –  जॉब चार्नाक
  • यहाँ सेंट फोर्ट विलियम नामक किला बनाया गया। 
  • 1798-1803 में लॉर्ड वेलेजली ने यहाँ गवर्नमेंट हाउस नामक महल बनवाया। 
  • कोलकाता की महत्त्वपूर्ण इमारत
    • विक्टोरिया मेमोरियल भवन (1921 ई.)
    • गवर्नमेंट हाउस (1803 , इसे अब राजभवन कहा जाता है) 
    • ईस्ट इंडिया कंपनी का कार्यालय  – ‘राइटर्स बिल्डिंग’ 
      • राइटर्स बिल्डिंग का वास्तुकार – थॉमस लियोन 
      • इसका निर्माण 1777 में शुरू हुआ। 
  • अन्य भवन 
    • टाउन हॉल (1813 )
    • इंडियन म्यूजियम (1814 ) 
    • नेशनल लाइब्रेरी (1836 )
    • हावड़ा रेलवे स्टेशन (1854 )
    • कलकत्ता उच्च न्यायालय (1862) 
    • जनरल पोस्ट ऑफिस (1864- 68) 

 

मुंबई का स्थापत्य 

  • 1661 से पहले तक मुंबई (बंबई) शहर पुर्तगालियों के पास था
  • पुर्तगाली राजकुमारी कैथरीन ब्रिगेंजा की शादी ब्रिटिश राजा चार्ल्स द्वितीय से हुई तो पुर्तगालियों ने उपहारस्वरूप बॉम्बे अंग्रेज़ों को सौंप दिया। 
  • मुंबई को सात टापुओं को मिलाकर बनाया गया है। 
    • बॉम्बे, कोलाबा, परेल, वर्ली, माहिम, मझगाँव, लिटिल कोलाबा या ओल्ड वुमैन आइलैंड 
    • हॉर्नबाय बेल्लार्ड परियोजना के तहत 1828 में इन सातों टापुओं को एकीकृत किया गया। 
  • मुंबई की ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ की नींव 1911  में ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम और उनकी पत्नी मैरी के स्वागत में रखी गई थी। 
    • गेटवे ऑफ इंडिया के वास्तुकार – जॉर्ज विट्टे
    • रोमन ट्रिम्फल आर्च से प्रेरणा ली। 
  • मुंबई में कला की भिन्न शैली ‘आर्टडेको’ की इमारतें भी मिली हैं जैसे- इरोज़ सिनेमा। 
  • मुंबई में खास तरह की इमारतें बनीं, जिन्हें ‘चॉल’ कहा गया।

दिल्ली का स्थापत्य 

  • मेटकॉफ हाउस (1835) 
  • सेंट जेम्स चर्च (1836) 
  • टाउन हॉल (1866) 
  • घंटाघर (1870) 
  • सेंट स्टीफन कॉलेज (1881) 
  • हिंदू कॉलेज (1899) 
  • रामजस कॉलेज (1917) 
  • 1911 में नई दिल्ली को देश की नई राजधानी बनाने की घोषणा 
  • नई दिल्ली के स्थापत्य का काम एडविन लैंडसिर लुटियन और हरबर्ट बेकर को सौंपा गया। 
  • वाइसरीगल लॉज – वायसराय का पहला निवास स्थान 
    • इसे बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय (1922 ई.) बना दिया गया। 

 

नव रोमन शैली 

  • 1911 के बाद अंग्रेजों ने भारत में जो स्थापत्य शैली अपनाई, उसे  ‘नव रोमन शैली’ भी कहा जाता है। 
  • दिल्ली को ‘हिंदुस्तान का रोम’ कहा गया है।

 

राष्ट्रपति भवन ( 1929 ई.) 

  • वायसराय पैलेस (अब राष्ट्रपति भवन) के वास्तुकार –  एडविन लुटियन 
  • लुटियन के सहयोगी 
    • मुख्य इंजीनियर – ह्यूज कीलिंग 
    • भारतीय सहयोगि – हारून अल रशीद, सुजान सिंह और उनके पुत्र शोभा सिंह (अंग्रेज़ी लेखक खुशवंत सिंह के पिता) 
  • इसमें चार मंज़िलें और 340 कमरे हैं। 
  • लाल बलुआ पत्थर से निर्मित राष्ट्रपति भवन के गुंबद को साँची के बौद्ध स्तूप की तर्ज पर बनाया गया है। 

 

संसद भवन संपदा (1927 ई.) 

  • संसद भवन के वास्तुकारएडविन लुटियन और हरबर्ट बेकर 
  • इसे बनाने में 6 वर्ष (1921-27) लगे।
  • लोक सभा, राज्य सभा और पूर्ववर्ती ग्रंथालय ( प्रिंसेस चैंबर था) 

 

 इंडिया गेट 

  • यह एक युद्ध स्मारक है, जिसका निर्माण 1931 मेंप्रथम विश्व युद्ध व अफगान युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की स्मृति मेंराजपथ (दिल्ली) में लाल बलुआ पत्थर से किया गया।
  • ऊंचाई – 42 मीटर 
  • वास्तुकार – लुटियन 
  • इंडिया गेट की तुलना रोमन ट्रिम्फल आर्च, आर्क द ट्रिम्फे पेरिस तथा गेटवे ऑफ इंडिया से की गई है। 
  • कनाट प्लेस (मौजूदा राजीव चौक) की डिज़ाइन ‘रॉबर्ट टोर रसेल’ द्वारा तैयार की गई थी।

 

चंडीगढ़ का स्थापत्य 

  • आज़ाद भारत का पहला योजनाबद्ध शहर चंडीगढ़ है। 
  • पंजाब सरकार ने 1948 ई. में पी. एल वर्मा की अध्यक्षता में नए नगर की स्थापना के लिये एक समिति का गठन किया। 
  • 1951 में चंडीगढ़ स्थापत्य का काम ली कार्बूजियर को सौंपा गया। 

 

अन्य प्रमुख तथ्य 

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग (1861) 

  • संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्यरत है।
  • प्रमुख कार्य – राष्ट्रीय महत्त्व के प्राचीन स्मारकों तथा पुरातत्त्वीय स्थलों और अवशेषों का रख-रखाव करना है। 
  • राष्ट्रीय महत्त्व के प्राचीन स्मारकों, पुरातात्त्विक स्थलों तथा अवशेषों के रख-रखाव हेतु संपूर्ण देश को 24 मंडलों में विभाजित किया गया है।

Note : पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972

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