दामोदर- पारसनाथ- बाउंड्री डहर जात्रा DAMODAR PARASNATH BOUNDARY DAHAR YATRA

khortha (खोरठा ) For JSSC JPSC 

KHORTHA (खोरठा ) PAPER-2 FOR JSSC

 दामोदर- पारसनाथ- बाउंड्री डहर जात्रा (यात्रा वृतांत)
DAMODAR PARASNATH BOUNDARY DAHAR YATRA

दामुदर पारसनाथ-बँउडो डहर-जातरा

बंशीलाल बंशी

झारखंडेक धरती उलगुलानेक नावौं लेताइर सुरू भेल हलइ। राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कीरतिक आर साहितिक छेतरें बदलाव के हवा बोहे लागल हलइ। खास कहर झारखंडेक जनजातीय आर छेतरीय भासाक माइधमें आपन पहचान बँचवे खातिर संघरसेक नावाँ उतासुता सुरू भेल हलइ। सांस्करीतिक पुनरजागरनेक लेताइरें झारखंडी मगजेक बिद्वान, साहितकार, कलाकार एक ठीने गोंठाइ लागला। खोरठा भासा आन्दोलन एकरे एगो कड़िक रूपें आगु बाढ़े लागलइ। खोरठा साहितकार, कलाकार, भासा परेमी सभेक भूमिका बाइद गेलइन। उलगुलानेक एहे लेताइरे 14-15 जनवरी, 1989 में दू दिनेक दामुदर-पारसनाथ बैंउड़ी डहर जातराक सरंजाम बोकारो खोरठा कमिटी बाट ले करल गेलइ। जकर में खोरठा छेतरेक साहित्यकार, कलाकार, बिदवान, समाजसेवी सोब ई। सरंजामे सामिल भेला। ईडहर जातराक मुइख उदेइस गाँवेक सतल लोक के झारखंडेक। सांस्कीरतिक उलगुलान के जोरेक दंगरावेक हलइ।

पुस मासेक हाडकॅपवा जाडेक दिन! हामिन सभे डहर जातरी बोकारो इस्पात नगर के रामडीह मोड़े बिहान्ही जुमली। एक-एक कइर शिवनाथ प्रमाणिक, शांति भारत, दिनेश दिनमणि, सचिन कुमार महतो, पानु महतो, करमचंद नायक, प्रहलाद चन्द्र दास, मोहनलाल गोराइ. उमाकांत रजक, रथेन्द्र नाथ साहु, उमेश कुमार, अम्बज कमार के संगे-संगे आरो ढेइर गइन-माइन लोक पोहँचला।

कुछ देरी में बोकारो के पूर्व विधायक आर खोरठाक हितचिंतक रचनाकार अकलू राम महतो. जे खोरठा भासाक बाब-तें बिहार विधान सभा में सबले आगु आवाज उठवल हला आर खोरठा परेमी गतिलाल राजहंस पोहॅचला। डहर जातरी सोब के संबोधित कइर महतो जी कहल हल्थि-खोरठा भासाक इतिहासें ई पहिल डहर-जातरा हके। आसा हे एकर से सांस्कीरतिक जागरनेक लेताइरें गाँवेक सुतल लोक जागता। सुभकामनाक संगे ऊ सोब के बिदाइ करल्थिन। ‘चल डहरें चल रे, डहर बनाइ चल रे’, के संगिया नाराक संगे डहर जातरिक दल सोझाइ गेला झारखंडेक सोबले बोड़ पहार पारसनाथेक डहरें।

मकर के दिन रहइ। दलेक दल लोक दामुदरें नहाइ खातिर जाइ रहल हला। रंग-बिरंगे टुसु । टुसु गीतें गोटे दामुदर गुंइज उठलइ । हामिन मधुडीह, बइदमारा, पचोरा दइके बरवाघाट पाहँइच गेली। दामुदरें नहाइकें गुर-चीरा खाइल बाद सोभिन सोझाइ गेली। सोभेक नजइर हामिने बाटे।

डहर जातरी सोब के हियाई हूब हुलासेक ढेव हेल मारो हइन। जदें से जा हला, मान खातिर पाइ के गदगद । चन्द्रपुरा में जातरी सभेक सवागत मास्टर साहब संतोष कुमार महतो, मुखिया गुलाम रसुल आर फूलचंद सोरेन करला। सोभीन ई डहर जातराक उदेइस जाइन के खुस भेला।

जइसे-जइसे हामिन आगु बाढ़इत रहली हामनिक हूब बाढ़ते गेल। खेत-पथार, गाँव-घार, घुटु-पहार डेगल-फांदल हामनिक दल चलते रहल। गाँवें-गाँवें आपन संदेसेक परचा बाँटल दुपहरें जुनोउरी पोहचली। हियाँ के मुखिया जगदीश महतो जी जातरी सब के सवागत करला। गाँव बाटले आयोजित सभा में ई डहर जातराक उद्देश्य आर सांस्करीतिक पहचान के बैंचवेक लेताइरें लोक के संदेस दिअल गेलइ। गाँव बाटले जलपान के बेबस्था हलइ। सोभीन जलपान करल बाद डहरें सोझाइ गेली।

तेलो, बाराडीह पार कइर हामिन साँइझें भेंडरा पोहचली। खोरठा भाषा विकास समिति के सदइस आर गँवइया सोब हामिन के हियाखलास सवागत करला। तकर संगें सुरेश नारायण सिंह राठौर, सुकुमार, प्रदीप कुमार दीपक आर हृदयेश चौरसिया हामनिक संगें सोझाइ गेला पारसनाथेक डहरें।

भेंडरा से बहराइ के हामिन जखन जमुनियाँ नदी पार करे लागली तखन तक सुरूज डुइब चुकल हलइ। भेंडरा से पोडैया तक के रास्ता टॉइड़-टिकुर गाढ़ा-नाला, झार-झंखार से भोरल। चलइत-चलइत हामनिक दू गो संगी रथेन्द्रनाथ साहु आर उमाकांत रजक के गोड़े बड़का-बड़का फोंका भइ गेलइन। डहर चला आब तो बड़का करदवाइ। एक तो राइतेक सँवइ तकर ऊपर अनचिन्हार डहर, तावो ककरो मने हुइब कम ताजा दुइयो झन के एक-एक गो परासेक कचरा तोइर के देल गेलइ। ओकर सहारा ‘लइके दुइयो झन नॅगाइ-नेंगाइ चले लागला।।

लगस्तर बारह घंटाक सफरेक बाद हामिन राइत आठ बजे पोडैया (निमियाँ घाट) पहिचे में सफल भेली। हवाँ मुखिया अखिल चन्द्र महतो आर गाँव के लोक मिल के डहर जातरी सोब के रहेक बेवस्था करल हला। थकल-हारल लोक तावो राती कबिता पाठ आर लोकगीत के सरंजाम करल गेलइ। हियाँक मेसर-कोसर चाउरेक खिचरी, हामिन के एखनो इयाद है। ओहे खिचरी खाइल बाद जातरी सोब सइत गेला। एहे रकम पहिल दिनेक डहर जातरा सेंस भइ गेलइ।

15 जनवरी के बिहाने सुरूज उगेक आगुवे हामिन उठली। असल जातरा तो . आइझे हलइ। पारसनाथेक ऊपर चढेक। झारखंडेक सोबले बोड़ पहार हामिन निमियों घाटेक बजारें पहार चढेक उतासता हवे लागलइ। बुझाइल जइसे पुरुब बाटें सुरूज आपन रंगिया छटा से हामनिक सवागत करे लागल है। हामिन थकल जरूर हली, मेंतुक, उमंगेक अभाव नाञ हल।

सुरूजेक रंगिया छटा पारसनाथेक परकीरतिक छटा के रंग-चंगिया बनाइ रहल हलइ। गाते हरिहर पइरधन तकर ऊपरें कुहराक चादइर। अइसन बुझा हलइ जइसे पारसनाथ सोनइली चादइर ओइढ़ राखल हे। देइख के मन हिया हुलासें भइर गेल। अइसन बुझाइ लागलइ जे पारसनाथेक मुंधना एके दउड़ानें चइढ़ जाइब । मकिन मनेक उड़ान आर आयाँ में आकास जमीन के तोफात होवे।

अभियान दल तीन भागें बँटाइ गेल। पहिल दलेक अगुवाइ उमेश कुमार, दोसर दलेक शांति भारत आर बंशीलाल बंशी आर तेसरका दलेक अगुवाइ शिवनाथ प्रमाणिक कइर रहल हला। अंबुज कुमार अभियान दलेक सोबले कम उमइरेक जातरी हल। मेंतक, सोबले बेसी हुइब ओकरे मने हलइ।

तीनों दल आगु बाइढ रहल हलइ। साँप नियर डहर, आर हेठ उपर गढ़ा-ढोंढ़ा, कांकर-पाथर से भरल। एकदम सभइर के चला जरूरी। एकतनी चक भेलें हजारो फीट हेठे लोक गिर जाइ पारे। हामनिक हाथे एक-एक गो काँचा काचरा रह-हल। ओकोर सहारा लइके लगातार आगु चइद रहल हला सोभीन। पियास बाढले जाइ रहल हल, सइये समइ ठंढा पानिक एगो झरना देइख हामिन पास अइली आर पानी पीके पियास मेटवली। हियाँ चा-पानिक दोकानो हलइ जहाँ कुछ जातरी चा हो पिला। एखन तक हामिन आधा डहर पार कइर चुकल हली।

एकठिन थिराइल बाद सेंसेक डहरे हामिन अगवाइ गेली। सोबले बेसी फरदवाइ हामर भेल। एगो बेगें खोरठा लोककथाक बंडल हल । भने भेल पहार चढे गेलें कम सामान राखेक चाही। तीनों दल आधा घंटाक अंतरें चइल रहल हलइ। बहत संघरसेक बाद पइहला दल साढ़े बाहर बजे, दोसरा दल एक बजे आर तेसरका दल डेढ बजे दुपहरे। पारसनाथेक मुधना चढे में सफल भइ गेल। सभेक खसिक ठेकान नाञ। पारसनाथेक मँधना से हेठेक गाँव, सड़क, गाछ-पात खुभे छोट-छोट देखा हलइ। परकीरतिक। मनमोहवा रूप देइसकें हिया हुलइस उठल।

पारसनाथेक मुँधनाइ एगो बड़का मंदिर हइ। एकर भीतर 24 वाँ तीर्थकर बर्द्धमान महावीर के गोड़ेक चिन्हा हइ। आरो अनठेकान मंदिर जहाँ-तहाँ बनल हे जकर मइथें ।

जलमंदिर बेसी आकरसनेक जिनिस । हियाँ पहार-कोचा ले बहराइल झरनाक पानी के दीचे भइब मन्दिर बनावल गेल हे। एगो झरनाव हइ जे ककरो मन मोहे पारे। एकर छाड़ा एगो डाकबंगलाउ हइ।

एक घंटा तक हामिन परकीरतिक आनंद लेली। कइगो संगिया फोटो खींचल गेलइ। हुवाँक छटा देइख हामिन सोब दुख बिसइर गेली। मेंतुक हेठ नांभइक हल। अंधारें जंगली जानवरेक डर। जखन नांभे लागली तो बुझाइ लागल जइसें केव पेछु से ठेइल रहल है। बुझे पारलिये जे पहार चढ़ेक से से नांभेक टा आरो बेसी कठिन काम लागइ। कुइछ दूर नांभइथीं बेरा डुइब गेलइ । लगाइत साढ़े छः बजे सांइझ हामिन मधुबन कोठी पोहँइच गेली।

जिनगीक पहिल पहार चढ़ा आर डहर जातराक अनठेकार अनुभव लइकें अभियान दलेक सदइस बोकारो घुरे खातिर बस धरला आर आधा राती हामिन बोकारो पोहँचली। झारखंडेक सांस्कीरतिक पुनर्जागरन आर मानववादेक संदेश लइकें कइगो गाँवें जाइक मउका मिलल। समाज आर संस्कीरतिक परति समरपनेक ई डहर जातरा से मनेक भीतर हुइब आर हुलासेक लउतन पोंग फुटल। ई जातराक साखी रहल पारसनाथ । कधियो बिरसे नाञ पारब ई बँउड़ी डहर जातरा।

दामुदर पारसनाथ बउँडी डहर जातरा 

लेखक – बंसीलाल ‘बंसी’

संकलित – दु डाइर जिरहुल फूल (10TH Class Book)

  • इस यात्रा वृतांत का वर्णन 14-15 जनवरी 1989 ईस्वी को बोकारो खोरठा कमेटी के द्वारा किया गया है

  • इस यात्रा वृतांत में कई सारे साहित्यकार कलाकार एवं विद्वान समाजसेवी शामिल थे 

  • इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य गांव के लोगों को झारखंड की सांस्कृतिक उलगुलान से जोड़ना था

  • इस यात्रा में शामिल थे शिवनाथ प्रमाणिक, शांति भारत, दिनेश दिनमनी, सचिन कुमार महतो, पानू  महतो, करम चंद नायक, प्रह्लाद चंद्र दास, मोहन गोराय, उमाकांत रजक, रथींद्रनाथ साहू, उमेश कुमार, अंबुज कुमार।

  • इन सभी व्यक्तियों को यात्रा में विदाई किया गया था बोकारो के पूर्व विधायक अकलू राम महतो एवं खोरठा साहित्य प्रेमी गतिलाल राजहंस के द्वारा

  • इस यात्रा की शुरुआत रामडीह  मोड़ से हुआ था

  • यात्रा का पहला पड़ाव चंद्रपुरा था जहां मास्टर संतोष कुमार महतो और मुखिया गुलाम रसूल तथा फूलचंद सोरेन ने उनका स्वागत किया 

  • दोपहर को वह जुनोरी पहुंचे जहां मुखिया जगदीश महतो ने स्वागत किया 

  • तेलो ,बाराडीह होते हुए वे भेंडरा पहुंचे जहां खोरठा भाषा विकास समिति के सदस्य सुरेश नारायण राठौर,सुकुमार, प्रदीप कुमार ‘दीपक’ और हृदयेश चौरसिया भी शामिल हो गए

  • भेंडरा होते हुए पोड़ैया(निमिया घाट ) पहुंचे

  • रथींद्रनाथ साहू और उमाकांत रजक के पैरों में फोड़े हो गए हैं

  • पोड़ैया(निमिया घाट ) के मुखिया अखिल चंद्र महतो ने उनके रहने का व्यवस्था किया

  • 15 तारीख को वह पारसनाथ पर्वत चढ़ना शुरू करते हैं 

  • वे तीन दल में विभाजित हो गए हैं 

    • पहले दल का नेता – उमेश कुमार,12:30 बजे पहुंचे 

    • दूसरे दल का नेता – शांति भारत और बंसीलाल बंसी ,1:00 बजे पहुंचे 

    • तीसरे दल का नेता – शिवनाथ प्रमाणिक,1:30 बजे पहुंचे

  • पारसनाथ पर्वत के सबसे बड़े मंदिर में भगवान महावीर के पैरों के निशान है 

  • पारसनाथ के तलहटी में ही मधुबन स्थित है जहां पर दाल ने शाम 6:30 बजे भ्रमण किया

1. ‘दामुदर पारसनाथ-बउँड़ी डहर जातरा’ पाठ केकर लिखल लागे? बंशीलाल ‘बंशी’ 

2. ‘दामुदर पारसनाथ-बउँड़ी डहर जातरा’ पाठ कइसन रचना लागे? यात्रा वृतांत 

3.’दामुदर पारसनाथ-बउँड़ी डहर जातरा’ पाठ कोन किताबें सामिल है? खोरठा गइद पइद संगरह

4. “दामुदर पारसनाथ-बउँड़ी डहर जातरा’ कहिया करलं गेल रहे ? 14-15 जनवरी 1989 

5. ‘दामुदर पारसनाथ-बउँड़ी डहर जातरा’ कर उदेइस की रहे ?गावेक सुतल लोक के झारखंडी संस्कीरतिक उलगुलाने जोरेक 

6. “दामदर पारसनाथ-बड़ी डहर जातरा’ कर जातरी सब के कोन डिहरावल रहे ? अकलु राम महतो

7. ‘डहर जातरी’ सब के कोन संबोधित करल रहे ? अकलु राम महतो

8.”डहर जातरी’ सब के चन्द्रपुरा में कोन सवागत करल रहे ? मास्टर संतोष कुमार महतो 

9. ‘डहर जातरी’ सब के जुनौरी में कोनसवागत करल रहे ? मुखिया, जगदीश महतो

10. ‘डहर जातरी’सोब कर संगे कोन कोन संग लागला ? 

  • सुरेश नारायण सिंह राठौर’ 

  • सुकुमार,

  • प्रदीप कुमार’दीपक’ 

  • हृदयेश चौरसिया

11. ‘डहर जातरी’ सब में चलइत चलइत केकर गोड़ें फोका हेल रहे ?

  • रथेन्द्रनाथ साहुक गोड़े 

  • उमाकान्त रजक कर गोड़े. 

12. ‘डहर जातरी’सोब के पोडैया(निमिया घाट)में कोने सवागत करल रहे?

  • मुखिया,अनिल चन्द्र महतो 

13. ‘डहर जातरी’ सब कर अभियान दल पारसनाथ पहार चढ़ेक पहिले कर कुधाय बाँटाला? तीन

14. ‘पहिलं अभियान दलेक अगुआई कोन करल रहे? उमेश कुमार

15. “दुसरका अभियान दलेक अगुआई कोन करल रहे? 

  • शान्ति भारत  + बंशीलाल ‘बंशी’

16. “तेसरका अभियान दलेक अगुआई कोन करल रहे ?शिवनाथ प्रमाणिक

17. ‘तीनों अभियान दलेक समयें कट टलनीच (अन्तर) रहे ? आधा घंटा

18. ‘पहिल अभियान दल कइ बजे पारसनाथेक मुंधना कइ बजे पोहचल रहे? साढ़े बरह बजे 

19. ‘पारसनाथेक मुंधनाइ बड़का मंदिरे कोन चीजेक चिन्हा रहे ?बर्द्धमान महावीर कर गोड़ेक 

20. ‘अभियान दल’ कइ बजे मधुवन घुरल रहथ ? साढ़े छव बजे सांइझ 

SARKARI LIBRARY

AUTHOR : MANANJAY MAHATO

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