सोब टाय चलहे ,खोरठा निबन्ध डॉ0 बी0एन0 ओहदार
- लेखक – डॉ0 बी0एन0 ओहदार
- प्रकाशण वर्ष (प्रथम संस्करण) -1990
- प्रकाशक – जनजातीय भाषा अकादमी, राँची,बिहार सरकार
- प्रकाशण वर्ष (द्वितीय संस्करण) – 2017 (अन्य में – 2016)
- निबंधों की संख्या – 12
निबंध संख्या-1 : सोब टाय चलहे
शीर्षक का अर्थ – सबकुछ चलता है।
भावार्थ – देश में सबकुछ बगैर नियम कानून का चलता है।
- यह एक व्यंगयात्मक निबंध है।
- इसके माध्यम से समाज में चल रही अनीति, कुचक्र और अन्य विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है।
- यहां सच झूठ दोनों चलता है। पर झूठ ही अधिक चलता है।
- इस कहानी में लेखक दुनिया की हर एक चीज चाहे वह सजीव है या निर्जीव छोटा हो या बड़ा सभी का चलने की बात लिखते हैं
- सजीव के साथ निर्जीव चीज ईटा, पत्थर, लाठी, चलता है
- हड़ताल के समय लोगों को भगाने के लिए प्रशासन की तरफ से लाठी चलता है तो हड़ताल करने वालों की तरफ से ईटा पत्थर चलता है
- परीक्षा चलता है तो उसके साथ परीक्षा में चोरी भी चलता है
- लेखक यहां पर समाज, देश, दुनिया के चलाने के लिए नियम कानून की बात करते हैं
- दुनिया को चलाने के लिए जरूरी है कि एक ऐसा स्वस्थ परंपरा हो जो बहुत-बहुत वर्षों तक चल सके
- अनुप्रास अलंकार का प्रयोग इस निबंध की विशेषता है।
- चलता शब्द की बहुत बार आवृति हुई है।
- व्यंग्य(फिंगाठी) – साहित्य की एक विधा है जिसमें उपहास, मज़ाक (लुत्फ ) और इसी क्रम में आलोचना का प्रभाव रहता है।
1Q.सजीवों के साथ-साथ क्या चलता है ? निर्जीव
2Q. हड़ताल के समय प्रदर्शनकारियों पर काबू के लिए क्या चलता है ? लाठी
3Q. हड़ताल के समय प्रदर्शनकारियों क्या चलता है? ईटा और पत्थर
- हमारे देश में पेट भी चलता है, खाली पेट चलता है, भरपेट चलता है, आधा पेट चलता है
- सच के साथ झूठ भी चलता है झूठ सौ प्रतिशत चलता है
- परीक्षा के साथ चोरी भी चलता है
4Q. निर्जीव वस्तुओं को भी पुल्लिंग और स्त्रीलिंग के रूप में किस आधार पर वर्गीकृत किया गया है ?ध्यन्यात्मक ता के आधार पर
- लाठी स्त्रीलिंग है
5Q. इस निबंध में किस वैज्ञानिक का उल्लेख है जिसे फांसी पर चढ़ाया गया था ? गैलीलियो
- गैलीलियो ने कहा था पृथ्वी अपने आप चलती है
- यह दावा करने के लिए कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है, गैलीलियो को 1633 में रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
- उन्होंने हाउस अरेस्ट के तहत अपनी सजा काट ली और 1642 में एक बीमारी के बाद घर पर ही उनकी मृत्यु हो गई।
6Q. अपने घर, परिवार, समाज, राज्य, देश, दुनिया को चलाना है अच्छे से चलाना है सबसे आगे चलाना है तो किस की आवश्यकता है ? स्वस्थ परंपरा की जो वर्षों तक चले
7Q. खोरठा निबंध कर लिखवइया लागथ ?डॉ० बी०एन० ओहदार
8Q. खोरठा निबंध कर प्रकाशक लागे ?,जनजातीय भाषा अकादमी, राँची
9Q. खोरठा निबंध प्रथम संस्करण कर प्रकाशण बछर हे ?1990
10Q.खोरठा निबंध कर दूसरा संस्करण बछर है ? 2016(अन्य -2017 )
11 Q. खोरठा निबंध में कइगो निबंध हे ?12
12Q. खोरठा निबंध कर लिखवइयाक जनम ठाँव हे ? चेटर (रामगढ़)
13 Q. डॉ० बी०एन० ओहदार कर पूरा नाम हे ?डॉ० भोगनाथ ओहदार
14Q. डॉ० बी०एन० ओहदार खोरठान ‘एम.ए.’ कोन बैच कर में पास करत हथ? 1982-84
15Q. डॉ० बी०एन० ओहदार कोन बछर रिटायर हेल हथ? 2017
16Q. “सोब टाय चल है’ निबंध कर लिखवइया लागथ ? डॉ. बी.एन. ओहदार
17Q.’सोब टाय चल हे’ पाठ कोन किताबे सामिल है ?खोरठा निबंध
18Q. ‘सोब टाय चल हे’ कोन रकमेक निबंध लागे ? फिंगाठी
19Q.पिरथिवी (पृथ्वी) के चलेक बात टा कोने कहल हल? गैलेलियो
20Q.’झूठ-सच रदवदाइ के चल है’ मगुर कोन बेसी बोली चलहे ? झूठ
21Q. झूठ कतना प्रतिसत चले हे ? सत प्रतिसत
22Q. समाज, राज्य, देस आर दुनियाइ के चलावे खातिर कोन चीज के चलावेक आर लेखके कहल हथ? स्वस्थ परम्परा
सोब टाय चल हे
- जी हां, सोब टाय चल हे । हाम चल हों, ओहों चल हे. आर तोहरो चल हाय । हाँ, एतना फरक हे कि कोइ कम चल है, कोइ बेसी चल है, कोई करे-करे चल हे आर कोई रदबदाय के चल है, मकिन चल हे जरूर। जोदि कोई ना चले तो ओकर चलतइ कइसे ? पर बात हिआँ दिगर हइ कि काकरो बइठले बइठल चल हइ आर काकरो तो आपन जांगर ढहइल्हु को हो रकम चल भइर हइ। केउ केकरो चलाइ नायः देहे सोबके आपन-आपन आर आपन तरीका से चले है।
- सजीव चलहे, निर्जीव चल है मेनेक सोब टाय चल है । तोहिन पूछभे कि सजीव तो चलबे कर है, निर्जीव की रकम चल हे भला! परः जनाब निर्जीव चल हे आर सौ फीसदी चल है। जखन हड़ताली या प्रदर्शन करवइया गुलीन कोण्हो रकम काबू में नाय आवथ तखन देख लाठी की रकम चल( चलती) हे आर प्रदर्शन करवइया गुलीन. बाठे ले ईटा आर पखन की रकम चल हैं।
- लाय हिआँ एगो बखेड़ा चलिए गेले क नी । हिन्दी वइचके गेले कहभे “लाठी चलती है” तोहिन पूछभे चलता क्यों नहीं” माइन लेली क्रिया के रूप कर्ता के लिंग के अनुसार हव है। मकिन | ई लाठी के कोन लिंग भेलक ? तोहिन कहभे कि लाठी तो स्त्रीलिंग हे के अइसन बेयाकरनें कहल गेल है.।पर हाम पूछ हों आखिर बेयाकरन वनबइया गुलीन. लाठी के लिंग निर्धारण की देइख के करला । के लाठी के छउआ-पूता हवे पारे ? हाँ, ईबात सही है कि ध्यन्यात्मकता’ के अधारे वयाकरन लिखबइयां गुलीनं कुछ निर्जीव गुला के पुलिग आर कुछ के स्त्रीलिंग माइन के चलाइ देला तखने, से चइल रहल है।
- मानुसेक समाजें नियम चल है, कानून चल है, की, ले की समाज लेकिन के देस के, दुनिया के चलावे ले नियम कानून के चलावे आया दरकार भइ जाहे। अइसे तो दुनियाइ मेनेक पिरथिवी आपन्ही पल है। भले हो पिरथिवी के चलेक बात कहला पर गेलेलियो के फाँसी चढ़े परलय
- मकिन गेलोलियो के फांसी दइ देला से पिरथिवीक चलेका टा बंद भई गेलइ की ? नाय, एकदम नाय । दुनियाइ चलायमान है, चलबे करतय जबतक चांद आर सूरज रहतय ।
- हामर आर तोहर कहले की हतई । चलनांय टा तो जिनगी हकय ।
- चले, चलेके बात त चलेले है तो देखा मुह चल है, जीह चल हे काकरो कैंची रकम मुँह चल है, आँख चल है, नजईर चल हे आर इसाराव चल है। हाथ चल है, लाइत चल हे आर ककरो-ककरो बातो चल है ।
- जहातक बात के बात हे तो भइया ककरो कटि थिराइ के चल है। ककरो कोई बात गल है तो ककरो कोइ बात । तो की नाय चला है ?
- हाथ गोड़ गले चलाये से संबंधित है। सइले उ तो चलवे करतक। मकिन देखातो ई पेट के , एहो चल है ।
- आर जोदि सच पूछा तो एहे एगो पेटे के चलावे खातिर गोटे दुनियाइये कारोबार चल है। ई वात दिगर है कि भईर पेट ना सही आधा पेट चल है । हमर देसे तो खालियो पेट चल है।
- बिचकुन जोदि ई कहा कि हमर देखें एहे खाली पेट चलवइया गुलइनेक संख्या टा बेसी हे, तइयो हमर देस चइल रहल हैं आर धड़धड़ाइले चइल रहल है ।
- जव चले चलावेक बात चलल हे तो झूठ-सच की बोलेका भाई, झुठ-सच रदवदइ ले चल है।
- जोदि प्रतिसत में नापे खोजा हाय तो सत प्रतिसत झुठे चल है। सचो पल हे मकिन वहे रकम काम चले भइर चल हे। तोहिन तो जानबे कर हाय झुठ के ओफिसो चल हे सेहो लुका-चोरी नांय अंइख देखाड़ चल हे। ओकरे से कते-कते झूठ के सरदार गुलीन के रोजी-रोटी चल हइन ।
- हुआ हाकिम हुक्काम के हुकुम चल हइन । हुआ मोकदमा चल हे, घुस चल है. घुस दिए वाला चल है।घुस लिएबाला चल हे आर घुस दियाबेवाला चल है। आर तोडिन तो जानवे करा हाय आइझ काइल्ह एइखने के चलती चल हैं। जखिन जखिन के चलती चल हईन ओखिन ठाठ से आपन घर-बार चलाव हथ ।
- आइझ काइल्ह एगो चीज बड़ी जोर चइल गेल हे उ ह चोरी के चलेक। चोरी तो अनते-पनते ‘हव’ हे मकिन एगो ठावें ओहो चल हे आर ऊ ठाँव हे जहाँ परीछा चल है। बात ई हे कि आइझ काइल्ह परीछा’ आर चोरीक मइधे इयारी चइल रहल है। मेनेक जोदि परीछा चलं हे तो चोरी चलबे कर है । जोदि चोरी नाय चले तो परीछाव नाय चलतक। मकिन नही चलेक तो सवाले नखे।
- हाम तो पईहलहीं कहल हों कि सोव टांय चल है । सइले चोरियो चलतक आरं परीछाव चलतक आइझतक काकरो एतना चलती नाय चल है कि चोरी चलेको रोइक दे । कटियो कंटियों चलतक मकीन चलतक जरूर । बाहइर-बाहइर ना चलें ना सही मकिन भीतर-भीतर चले में, लुकाइछिपाइ के चलावे में , के रोके पारतक ?
- माइन लेली पूरा-पूरी किताब खोइल के ना चले मकिन पुरजी चले में कोई रोके पारतक भला।
- अच्छा तो भाइ चलते-चलते. एगो. बात चलावे खोज हों जोदि’ आपन, आपन घार- परिवार आपन समाज. आपन राज्य, आपन देस आर दुनिया चलावेक हो तो आर वेस से चलावेक हो, खुब चलावेक हो, आगू-आगू चलावेक हो तो एकर लागिन ई जरूरी हइ कि एगो अइसन स्वस्थ परंपरा चलावा जे बहुत बहुत बछर तक चइल जाय .