- बिंदुसार. (298 ई.पू.- 273 ई.पू.) – चंद्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी हुआ, जो 298 ई. पू. में ‘ मगध की राजगद्दी पर बैठा।
- उपनाम –
- ‘अमित्रघात’ ( ‘शत्रु विनाशक‘)
- वायुपुराण में भद्रसार/मद्रसार
- जैन ग्रंथों में ‘सिंहसेन’
- बिंदुसार के दरबार में विदेशी राजदूत
- एथीनियस नामक एक अन्य यूनानी लेखक ने बिंदुसार तथा सीरिया के शासक एंटियोकस प्रथम के बीच मैत्रीपूर्ण पत्र-व्यवहार का वर्णन किया है, जिसमें भारतीय शासक ने तीन चीजों की मांग की थी
- 1. सूखी अंजीर 2. अंगूरी मदिरा . 3. एक दार्शनिक
- सीरियाई सम्राट ने दो चीजें (अंगूरी मदिरा तथा सूखी अंजीर) भिजवा दी, परंतु तीसरी मांग के संबंध में कहा कि यूनानी कानून के अनुसार दार्शनिकों का विक्रय नहीं किया जा सकता है।
- ‘दिव्यावदान’ से ज्ञात होता है कि उसकी राजसभा में आजीवक संप्रदाय का एक ज्योतिषी पिंगलवत्स निवास करता था।
- बिंदुसार के काल में भी चाणक्य प्रधानमंत्री था।