बंजारा

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  • बंजारा  जनजाति – झारखण्ड की एक घुमक्कड़ एवं अल्पसंख्यक जनजाति है 
    • इनका कोई गांव नहीं होता है।
  • इन्हें 1956 ई. में जनजाति का दर्जा मिला ।
  • सर्वाधिक संकेंद्रण –  संथाल परगना क्षेत्र 
  • भाषा – ‘लंबाड़ी’ 
  • पितृसत्तात्मक समाज 
  • यह जनजाति चार वर्गों में विभाजित है।
    • चौहान
    • पवार 
    • राठौर 
    • उर्वा 
  • इस जनजाति में राय की उपाधि धारण करते है।
  • इस जनजाति में विधवा विवाह को नियोग कहा जाता है।
  • विवाह पूर्व सगाई की रस्म होती है।
  • मुख्य पर्व  – होली, दशहरा, दीपावली, जन्माष्टमी, नाग पंचमी, रामनवमी आदि 
  • इस जनजाति में ‘आल्हा-उदल’ की लोककथा प्रचलित है 
    • ये ‘आल्हा-उदल’ को वीर पुरूष मानते हैं।
  • इनके गीतों में पृथ्वीराज चौहान का उल्लेख मिलता है।
  • पेशेगत दृष्टि से इन्हें तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है
    • गुलगुलिया (भिक्षुक वर्ग) 
    • कंजर (आपराधिक वर्ग) 
  • जड़ी-बूटी के अच्छे जानकार होते हैं।
  • इस जनजाति के लोग संगीत प्रेमी होते हैं ।
  • प्रमुख देवी –  बनजारी देवी 
  • वधु मूल्य – हरजी 
  • लोक नृत्य –  ‘दंड-खेलना’