अनुदैर्ध्य तरंग
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  • अनुदैर्ध्य तरंगों के संचरण के साथ जहाँ माध्यम के कण सामान्य की अपेक्षा अधिक पास-पास होते हैं, वे स्थान ‘संपीडन’ (Compression), जबकि वे स्थान जहाँ माध्यम के कण सामान्य की अपेक्षा दूर-दूर होते हैं, ‘विरलन’ (Rarefaction) कहलाते हैं।
  • संपीडन के स्थान पर माध्यम का दाबघनत्व सामान्य की अपेक्षा अधिक और विरलन के स्थान पर दाबघनत्व सामान्य की अपेक्षा कम होते हैं। 
  • चूँकि अनुदैर्ध्य तरंगें संपीडन विकृति (दाब) से संबधित हैं, ये ठोसों तथा तरलों (द्रव और गैस) दोनों में संचरण कर सकती हैं। 
  • अतः स्टील में अनुप्रस्थ एवं अनुदैर्ध्य दोनों प्रकार की तरंगें संचरित हो सकती हैं, परंतु वायु एवं जल में केवल अनुदैर्ध्य तरंगों का संचरण संभव है। 
  • उदाहरण- ध्वनि तरंगें

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