• अथर्ववेद – इसकी रचना अथर्व तथा अंगिरस ऋषि द्वारा सभी ग्रंथों के बाद में की गई।
  • इसे ‘अथर्वांगिरस वेद’ भी कहा जाता है।
  • इसमें 731 सूक्त, 20 अध्याय तथा लगभग 6000 मंत्र हैं।
  • इसमें ब्रह्म ज्ञान, धर्म, समाजनिष्ठा, औषधि प्रयोग, रोग निवारण, जादू-टोना, तंत्र-मंत्र आदि अनेक विषयों का वर्णन है।
  • अथर्ववेद का एकमात्र ब्राह्मण ग्रंथ ‘गोपथ‘ है।
  • अथर्ववेद के उपनिषद – मुंडकोपनिषद, प्रश्नोपनिषद तथा मांडूक्योपनिषद।
  • मुंडकोपनिषद से ही भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ लिया गया है।
  • इसमें सभा और समिति को प्रजापति की दो पुत्रियाँ कहा गया है।
  • अथर्ववेद का एकमात्र उपवेद स्थापत्य वेद है.स्थापत्य वेद के कर्ता बिस्वकर्मा है.
  • नोट: इन चार वेदों को ‘संहिता’ कहा जाता है।