नागपुरी भाषा के कहावत
NAGPURI KE Kahavat नागपुरी कहावत
Nagpuri paper 2
- अदअदी कर नउवा बाँस कर नरहइनी । ( बिना जाने कोई काम करना )
- अघाल बकुला पोठी तीता । ( भूख मिट जाने के बाद अच्छा चीज भी बेकार लगने लगता है )
- अनको कर माँय टनको । ( फिजूल कर विवाद में पड़ना )
- अनारी खालक भाँग , मुँड़ में देलक टाँगा । ( बिना अकल का काम करना )
- अगहन कर मरद , भादों कर बरद । ( जरूरत से ज्यादा लाभ )
- अंधरी बिलाइर , धरे सिकार । ( बिना मेहनत फल पाना )
- अइत जोगी मठ उजड़ ( जरूरत से ज्यादा व्यक्ति का होना नुकसानदेह )
- अइत चालाँक के तीन ठीन लागेला । ( ज्यादा चालाकी करने से कभी – कभी हानि हो जाता है । )
- अनकर देखि करी हाय , जे रहे सेउ छाय । ( दूसरों के तरक्की से जलना नुकसान देह होता है । )
- अनकर धने बिक्रम राजा । ( दूसरों के धन – दौलत पर इतराना )
- अपने मोरले सरग दिसेला । ( खुद पर दुख आने पर सच्चाई का पता चलता है । )
- अबर में सउब जबर । ( कमजोर को हर कोई दबाता है । )
- अंबा आउर मछरी मेंहो तो कहियों भेंट होबे कारी । ( जिसकी बात की कल्पना न की जा सकती है । ऐसी मिलन की संभावना )