बथुड़ी जनजाति झारखण्ड की जनजातियाँ JPSC/JSSC/JHARKHAND GK/JHARKHAND CURRENT AFFAIRS JHARKHAND LIBRARY

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झारखण्ड की जनजातियाँ।। बथुड़ीजनजाति

बथुड़ी जनजाति

  • बथुड़ी झारखण्ड की एक अल्पसंख्यक जनजाति है जो स्वयं को जनजाति/ आदिवासी नहीं मानती है।
  • ये स्वयं को बाहुतुली या बाहुबल कहते हैं जिसका अर्थ है- बाहुओं से तौलने वाला अर्थात् क्षत्रिय।
  • इस जनजाति को भुईया का पूर्वज माना जाता है।
  • यह जनजाति झारखण्ड के सिंहभूम क्षेत्र व ढालभूम की पहाड़ी क्षेत्र में निवास करती है।
  • इस जनजाति का संबंध द्रविड़ समूह से है।
  • इस जनजाति की नातेदारी व्यवस्था हिन्दू समाज के समान ही है।
  • इस जनजाति में पितृसत्तात्मक सामाजिक व्यवस्था प्रचलित है।
  • इस जनजाति में पाँच गोत्र पाए जाते हैं।
  • इस जनजाति में विवाह का सर्वाधिक प्रचलित रूप ‘आयोजित विवाह‘ है। इनके गांव का प्रमुख प्रधान कहलाता है।
  • बथुड़ी जनजाति के लोग नृत्य-संगीत के अत्यंत शौकीन होते हैं।
  • इस जनजाति में कहंगु, वंशी, झाल और मांदर नामक वाद्य यंत्र अत्यंत प्रचलित है।
  • इस जनजाति के लोग मुख्यतः आषाढ़ी पूजा, शीतला पूजा, वंदना पूजा, धूलिया पूजा, सरोल पूजा, रस पूर्णिमा, मकर सक्रांति आदि पर्व मनाते हैं।
  • इनका प्रमुख पेशा कृषि कार्य, वनोत्पादों का संग्रह एवं मजदूरी कार्य है।
  • इनके प्रमुख देवता ग्राम देवता हैं।
  • इनके गांव का पुजारी दिहुरी कहलाता है।

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