गम्मत
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  • गम्मत निमाड़ी बोली की नाट्य कला है.
  • इसमें कलाकार निमाड़ी में संवाद और अभिनय कर अपनी बात प्रभावी रूप से रखते हैं. इसके जवाब में दूसरा व्यक्ति भी अपना पक्ष रखता है. दर्शकों को जोड़कर रखने के लिए इसमें हास्य का पुट भी होता है. गम्मत के साथ ही स्वांग भी रचा जाता है. इस विधा में किसी एक पात्र का स्वांग रखकर कलाकार प्रस्तुति देता है.
  • गम्मत कलाकार शोभाराम वासुरे मंडलेश्वर पिछले 50 वर्षों से इस विधा से जुड़े हैं. उनके अनुसार यह विधा नृत्य, गायन और नाटक का संगम है, हारमोनियम, तबला, ढोलक पर गायन के साथ ही नाटक का मंचन किया जाता है. 10 से 12 कलाकार होते हैं. इनमें 2 या 3 मुख्य किरदार निभाते हैं. परम्परागत रूप से इस विधा को वे आगे बढ़ा रहे हैं. विशेष आयोजनों पर कई मंचों पर गम्मत की प्रस्तुति दे चुके हैं.