कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान

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कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान (Corbett National park) स्थापना – 1936
क्षेत्रफल- 520.82 वर्ग किमी, (पौढ़ी-312.76 वर्ग किमी व नैनीताल-208.8 वर्ग किमी)
स्थिति- पौढी, नैनीताल
मुख्यालय- कालाढुंगी
संस्थापक- हेली
यह देश में बना पहला नेशनल पार्क है ।
इस पार्क की स्थापना तत्कालीन गवर्नर सर हेली के नाम पर हेली नेशनल पार्क के नाम से की गयी।
इसकी स्थापना बंगाल टाइगर की रक्षा करने के लिये की गयी।
1952 में इसका नाम बदलकर रामगंगा राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया।
सन् 1957 ई में महान प्रकृति प्रेमी जिम कार्बेट के नाम पर इसका नाम बदलकर कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया।
इस राष्ट्रीय उद्यान में सबसे अधिक पर्यटक आते हैं। इसके बाद राजाजी व फूलों की घाटी में सर्वाधिक पर्यटक आते हैं।
यह भारत का ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे पहला राष्ट्रीय पार्क है।
इस उद्यान का प्रवेश द्वार ढिकाला रामनगर में स्थित है।
1 नवंबर 1973 ई को विश्व वन्य जंतु कोष (W.W.F.) द्वारा भारत का पहला बाघ संरक्षण घोषित किया गया।
यहां से प्रोजेक्ट टाइगर योजना शुरू की गयी ।
बाघ के साथ यहां घड़ियाल के संरक्षण की विशेष व्यवस्था की गयी है।
इस राष्ट्रीय उद्यान के मध्य पाटलीदून स्थित है।
इस राष्ट्रीय उद्यान के मध्य पश्चिमी रामगंगा नदी बहती है।
अप्रैल 2012 में पार्क के चारों ओर 500 मी के क्षेत्र को साइलेन्स जोन घोषित किया गया है।
2013 में बाघों की रक्षा के लिये यहां केन्द्र की सहायता से 118 सदस्यीय स्पेशल टाइगर प्रोटक्शन फोर का गठन किया गया।
जिम कार्बेट म्युजियम कालाढुंगी में स्थित है।
इस पार्क वर्तमान में 250 बाघ है।
यह नेशनल पार्क चार जोन्स में बंटा है- बिजरानी रेंज, ढिकाला रेंज, झिरना रेंज, दुर्गादेवी रेंज।
नोट- जिम कार्बेट का पूरा नाम जेम्स एडवर्ड कार्बेट था।