- विश्वनाथ दसौंधी ‘राज’ के लेखक परिचय दु डायर पलाश फूल पुष्तक में संकलित है, जिसके लेखक श्याम सुन्दर केवट ‘रवि’ है।
- जन्म – 15 अप्रैल 1943, (अन्य – 14 अप्रैल 1943 ),भटमुरना (कतरास), धनबाद
- मृत्यु – 16 अक्टूबर 2009, बोकारो अस्पताल
- पिता का नाम – मुखराम दसोंधी
- माता का नाम – फूटा देवी
- कृति
- हमरो अन्तर जागल – दु डाहर परास फूल
- आगरा प्रगति प्रकाशन से (हिंदी में )
- ढलती शाम का सूरज (उपन्यास)
- वेदना के पंख (कविता संग्रह)
- शक्ति रूपेण सन्सिथता (हिंदी में आध्यात्मिक निबंध पुस्तक )
- पहला खोरठा कहानी ‘महुआ’
- कतरासगढ़ से प्रकाशित हिंदी पत्रिका ‘बिहार भूमि’ का संपादक
- 1977 में तितकी नामक खोरठा पत्रिका का (प्रथम संपादक )संपादन
- ‘भागजोगनी’ उपन्यास
- ‘अजगर नाटक
- माटिक पुथइल (कहानी संग्रह)
- घूइर मुंडली (लघु कथा संग्रह)
- पुटूश आर परास (इनका पहला खोरठा कविता संग्रह) – 10 कविता
- सम्मान
- श्रीनिवास पानुरी स्मृति सम्मान 1992
पुटूश आर परास ( कविता संग्रह – 10 कविता )
- ‘पुटुस आर परास’ विश्वनाथ दसौधी राज जी की पहिला खोरठा कविता संग्रह है।
- इसमें दस कविताओं
-
- नूतन बसंत
- हमर अन्तर जागल
- देखाइ दे दुनिया देखाइ दे जगत
- बाप रे बाप गादाक गादा सांप
- तनी बुझ रे मानुस
- हायरे हमर बोकारो हाय रे हमर झरिया
- गुलाब आर परास
- भिखमंगनी
- उरमिलाक पिरह
- मुक्त चौपाई
श्याम सुन्दर केवट ‘रवि’ के बारे में
- जनम – 08 दिसम्बर 1969
- जनम थान – ग्राम – बालीडीह, जिला – बोकारो (झारखण्ड)
- माँयेक नाम – जमुना देवी
- बापेक नाम – लाडुगोपाल केवट
- शिक्षा –
- Matric – एस0एस0 हाई स्कूल टाँड–बालीडीह
- I.Com – रणविजय मेमो0 कॉलेज, चास से, 1985 में
- B.Com – 1989 में बोकारो इस्पात कॉलेज, सेक्टर IV
- एकाउंट में आनर्स – एस.एस. मेमो. कॉलेज धनबाद
- कार्य – बोकारो इस्पात कारखाना
- रचना –
- ‘भुइँ पाठ गियान’
- ‘करमइति’ (करम गीत संग्रह)।
- ई लुआठी पत्रिकाक बिसेस प्रतिनिधि लागथ।
- बोकारो खोरठा कमिटी आर बालीडीह खोरठा कमिटी से जुड़ल रइह
- ‘विश्वनाथ दसौंधी राज’ नवा कलासे लेल गेल लेख में उनखर जीवन के पइत पहलु के छुवेक के प्रयास करल हथ।
Previous Year Questions –विश्वनाथ दसौंधी राज
- Q.कवि विश्वनाथ दसौंधी राज जी के जनम काल ? 15 अप्रैल, 1943
- Q. खोरठा पतरिका “तितकी’ कर पहिल संपादक के नाम छांटा? विश्वनाथ दसौंधी
- Q.खोरठा उपनियास ‘भगजोगनी के रचनाकार हय ? विश्वनाथ दसौंधी
- Q. दसौधी जी कर जनम झारखंडेक कोन जिलांज हेल हय ? धनबाद
Q. कोन रचना टा विश्वनाथ दसौन्धी के नाँञ लागय ? “©www.sarkarilibrary.in”
- (a) भगजोगनी
- (b) माटीक पुथइल
- (c) पुटुस आर परास
- (d) खटरस – पंचम महतो
विश्वनाथ दसौंधी राज की जीवनी
खोरठा भासाक इतिहास ढेइरे पुरान। पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोक बोलले आइ रहल हथ । एकर सिस्ट साहित आजादीक पहिल से लिखाइ सुरू भेल । आइझ खोरठा पढ़ाई राँची पश्वविद्यालय में भइ रहल हे। आझुक भासाक साहित सब बिधाञ मोजुद है। सरकारी
र एकर पढाइ के सहमति (अनुमति) सरकारे देल हे। अब छोट गिदर छोट में खारठा पढ़े-लिखे पड़ता। खोरठा साहितेक थापित करे में जे सभी भगीरथ परआस करला, कर मइधे एगो झकझकिया नाम ‘राज’ जीक आवे हे। इनखर पूरा नाम श्री विश्वनाथ दसौंधी ‘राज’ लागय।
इनखर जनम 15 अप्रील 1943 सालें कतरासगढ़ेक धाइरे भटमुरना गाँवें भेल हल।. कि एखन धनबाइदं जिले पड़े हे। इनखर बाप सब दू भाइ हला। छोट भाइ मुखराम साधीक तीन गो बेटाक मइधे छोट बेटा राज जी लागथ। तकर पेछु राज जीक एगो बहिन
जखन राज जी दसवाँ कलासे पढ़ हला, तखनी बकसपुरा में जमुना प्रसाद जीक बेटी कंचन से इनखकर बिहा भइ गेल । पन्दह बछरेक भेला, तखन इनखर बाप गुजइर गेला | माँय बाँचल हली। माँयेक दुलारेक संगे बोड़ आर मांझिल दादा-भउजीक सहजोग पाइ पढ़ला-लिखला। प्राथमिक सिक्छा ‘लोवर प्रारंभिक विद्यालय’ भुटमुरना में पइला। मिडिल से आइ स्कूल तइक के पढ़ाइ ‘गंगा नारायण मेमोरियल हाइ स्कूल, कतरासगढ़’ से करला । इंटर आर बी0ए0 राजा शिव प्रसाद कोलेज, झरिया में पूरा करला। 1969 साले एम0ए0 राँची विश्वविद्यालय से करला परे शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, देवघर से डिप-इन-एड के डिग्री पइला।
राज जी बहुमुखी परतिभाक धनी मानुस रहथ। इनखन जइसन कहनी, उपनियास दमदार हवे, तइसने कबिता, गीत आर नाटक हवे। राज जी खुद नाटक लिखला तकर सेंगे निर्देशन आर भूमिका खुद करला। 70 रेक दसकें खोरठा छेतरें मनसा मंगल (बंगले) आर नाटक – हिन्दी-खोरठें बड़ी जोर रह हलइ। बेसी कइर धारमिक नाटक राजा हरिश्चन्द्र हिन्दी में करतला मकिन ओकर मांझे हँसवे ले आर खोरठा भासी लोकेक धेयान टाने ले खोरठाञ नोक-झोंकेक एकांकी करतला। ई सब आयोजन सरस्वती पूजा, काली पूजा चाहे मनसा पूजाक घरी हव हल । जइसन कि आझुक समइये गाँवे झुमइर करमा परबें हवे हे।
एक गाँवे जोदि केउ भक्ति नाटक करला, तकर आस-पासेक गाँवें सामाजिक चाहे क्रांतिकारी नाटक, प्रतिजोगिताक भावना से कर हला। एहे लेताइरे गोट 50 गो नाटक राज जी हिन्दी-खोरठा मिलाइ के लिखला आर मंचन करला । खोरठा भासी लोकेक संगे एगो अभाव टा एखन तक हइये हइ, जेइटा तखनियो हल, ‘नारी पात्र’ के। मेंतुक दसौंधी जी ई अभाव टाक पूरा करतला बंगाल के आसनसोल से आइन के। जे नारी सब नाटकेक संगे नाच-गान करतली। इनखर चर्चित नाटक हल – मजहब और इंसान, डेढ़, रोटी, रक्षा बंधन, अजगर, महुआ हेनतेन ।
राज जीक साहित बाटे लगाव गिदराली सँवइ से हल, जखन आठ कलासे पढ़ हला, सइ सँवइये पटना से बाल प्रतियोगिता हव हल, जकर में गिदर सब के कविता, गीत आर कहनी लिखे खातिर उसकवेक काम कर हल। एहें लेताइरे सइ सँवइये इनखर कबिता आर कहनी चुनाइल गेल, से बाल-पत्रिकाञ छपल ।
गिदराली से जुवान भेला, तइसने इनखर रूचि साहित बाट बाइढ़ गेल । जकर पेछु इनखर प्रेरणा स्रोत रहला श्री दिनेश प्रसाद, जे कि कतरास सेनेटरीक इंस्पेक्टर हला, श्री त्रिपुरारी सिन्हा जे कि रेलवे विभाग कतरासें कर्मचारी हला। प्रो0 रविन्द्र प्रसाद झा, जो कि कतरास कॉलेजे पोलिटिकल साइंस के प्रोफेसर आर हिन्दी साहितकार मनमोहन पाठक जी जे इनखर सहपाठी हला। पढ़े सँवइ से ही इनखर दू गो रचना आगरा के प्रगति प्रकाशन से प्रकाशित भेल । एगो उपनियास ‘ढलती साँझ का सूरज’ (हिन्दी में) आर दोसर कविता संग्रह ‘वेदना के पंख’ (हिन्दी में) तकर संगे आरो पत्र-पत्रिकाञ इनखर रचना छिट-पुट छपे लागल। एहे लेताइरे ‘आदिवासी’ पत्रिकाञ इनखर रचना प्रकाशित हवे लागल, जकर संपादक श्री राधाकृष्ण जी हला।
जखन ‘बिहार भूमि; कतरास से प्रकाशित हव हल, तखन इनखर हिन्दा र दल मेंतक खोरठाक टान टा हलइ, तकर चलते खोरठा कबिता, गीत छिटपुट लागल। संगे संग श्री निवास पानुरी, श्री विश्वनाथ नागर, श्री नरेश नीलकमल, श्रा फूलचन्द मंडल, श्री नारायण महतो जी सबके खोरठा साहिताकारेक रूपे रचना छपे लागल। एकर प्रसार ढेर हवे खातिर एखनी खोरठा साहित्य सम्मेलन के गठन करला । राज जी ‘बिहार-भूमिक’ सम्पादक – श्री दिनेश प्रसाद जी से खोरठा स्तंभ दियेक बात करला। जेकि, सइ सँवइये पंचगढ़ी रानी बजारे प्रेस टा हल आर पंचगढ़ी से भटमुरना आवा-जावा टा संभव कइर के खोरठा संपादनेक काम राज जी खुद करला आर खोरठा स्तंभ हपतहिया बहराइ लागल। बिहार भूमि प्रेस के मालिक हला श्री सत्यदेव सिंह इनखर संगे जखन उठन-बइठन हवे लागल, राज जीक तखन उनखकर से कइह के तितकी नाम से दुपनवा खोरठा पत्रिका बहरवे लगाल, जकर संपादन ऊ खुद करला।
जखन खोरठाक लोकेक माँझे प्रचार हवे लागल, तखन एक विस्तार खातिर श्री काशीनाथ सिंह, बेहराकुदर, श्री विनोद तिवारी, तोपचांचीक आस-पासेक, श्री परीक्षित सिंह चौधरी, कतरास कॉलेज सबेक संग मिइल के ‘खोरठा साहित्य परिषद’ के गठन करला, जकर में समइ-समइ पर खोरठा गोस्ठी हव हल।
आकाशवाणी राँची स्थापित भेल बाद खोरठा कबिता आर वार्ता खातिर राज जीक हकवल जाइ लागल आर उनखर आवाज गोटे झारखंडे गूंजे लागल।
पढ़ल-लिखल परें लोक कमाँयेक काम खोज हथ, सेहे लेताइरे राज जी काम खोजे बोकारो स्टील सिटी, माराफारी गेला। तखन स्टील प्लांट स्थापित करने खातिर लेबलिंग के काम चल हला। राज जी मनसा जीक हियाँ सुपरवाइजर के काम करला. मेंतुक हियाँक लोकेक उपर जे सोसन हवे लागल, सइटा देइख के इनखाँ ई नउकरी रास नाइ अइलइ आर छोइड़ के भुटमुरना घुइर अइला । ऊ समये पढ़ल-लिखल लोकेक अभाव रह हलइ जखन कतरासगढ़ेक राजा साहेक के मालूम भेल, तखन इनखाँ हँकाइ के आपने स्कूल राजा पुरनेन्दु नारायण सिंह विद्यालये सिक्छक राखला। संजोगेक बात हे जे कागज-कलमेंक लड़नीहार के सिक्छेक नउकरी पावा टा। एकर से इनखर लेखनी आरो बाढ़ल तकर संगे खोरठा पत्रिका सबके संपादन करेक मउका पइला। ई बात टा 1966 के लागइ। 1980 इसवी इनखर स्कूल श्री गंगा नारायण मेमोरियल उच्च विद्यालय राजकीय भेल । तखन ऊ स्कूले जतना सिक्छक हला, सभिन सरकारी सिक्छक भइ गेला।
1996 इसवीं बिजुलिया उच्च विद्यालये ट्रांसफर भइ गेल आर हियाँ से द हतार तीन में रिटायर भेला। इनखर रचना राँची विश्वविद्यालय के एम0ए0 आर बी0ए0 के कोर्से राखल गेल हइ।
जइसन कि सुरूआवे हाम कइह चुकल हों जे राज जी बहुमुखी प्रतिभाक धनी मानुस लागथ। सेटा फुरछवे खातिर इनखर साहित के अलावा एगो भिनु आयाम टा बतवब । जइसन साहितें इनखाँ बेस से जानला तइसने तंत्र-मंत्र विद्या में निपुन । तंत्र के बेस साधक रहथ । तंत्रे राज जी शोध करल हथ आर एहे लेताइरे तांत्रिक सबके राष्ट्रीय सम्मेलन कतरासें कइर चुकल हथ। इनखर संयोजनें गोटे देसेक तांत्रिक आइल हला। मेंतुक इनखर में एगो खुबी देखे पइभा जे ढोंग-ढोंगी आर आडम्बर करवइयाक सख्त
बिरोध करथ। इनखर तंत्र पर एगो रचना प्रकाशित हइ ‘शक्तिरूपेण संस्थिता’ (हिन्दी में)। तत्र जगतें इनखाँ स्वामी विश्वनाथानन्द आर गुरूजी के नामों से जान हथ।
इनखर एहे रूपेक चलते कुछ तथाकथित मानववादी खोरठा विद्वान इनखाँ पागल करार दइ खोरठा साहित से छिनगाइ देल हला। एतने नाञ, बाँचले में इनखाँ मोराइ देला । मेंतुक जखन हाम आर ‘आकाशझूटी’ इनखर से मिलेले इनखर घर गेलों तो राज जी ऊ सब खोरठा विद्वान के कुट चाइल बतवला जो यूनिवर्सिटी में आपन बर्चस्व राखे खातिर पानुरी जी, नरेश नीलकमल, नागर जी के संगे-संग राज जी को दरकिनार करेक चेस्टा करला। राज जी एगो बेस बात एहे दरमियान कहला जे “सुना केवट बाबू, केव कतनो दर किनार करेक चेस्टा करे, जोदि तोहर लेखनी में दम हतो तो एक दिन खुद ऊ सब के माने हतइ आर खुद आपने कुटचाइल लोक एक धाइर भइ जिता।”
राज जीक कुछ रचना हाम आर आकाशझूटी जी सम्पादन कइर के खोरठा भासीक बीच आनल हो, जेइटा बड़ी बात लागे काहे कि, हमनी उनखाँ ओहे विधा में लिखेक नेहोर करलो, जे विधाञ खोरठा रचनाक अभाव हल।
अइसने इनखर भिनु-भिनु विधा में भिनू-भिनू रचना हे। भगजोगनी (उपनियास), अजगर (नाटक), पुटुस आर परास (कविता संग्रह), आर घुइर मुँडरी बेल तर (लघुकथा संग्रह) खोरठा में प्रकाशित हे। समइ-समइ पर इनखर लेख भिनु-भिनु पतरिका आर दइनिक पत्रे छपते रहल हे। इनखर रचना हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण आर प्रभात खबर पत्रे छपे हे। तकर संगे नवों झारखंडी भासाक प्रतिनिधित्व करवइया पतरिका अखड़ा में, इंजोर (देवघर-मधुपुर से प्रकाशित) में, सहिया (खोरठा दू महीनवा) में, तितकी (खोरठा-हिन्दी) आर लुआठी (खोरठा) छप रहल हे।
आइझ खोरठा गीतेक ऑडिया वीडियो कैसेट के दउर चइल रहल हे। हियाँ तइक कि बम्बइया निर्माता निर्देशक सब खोरठाञ फीचर फिल्म बनाइ रहल हथ। इनखर चर्चित रचना ‘महुआ’ उपरे टेली फिल्म बनल हे।
खोरठा साहित सेवा खातिर इनखाँ बोकारो खोरठा कमिटी बाट ले श्रीनिवास पानुरी सम्मान देल गेलइ । भारतीय भाषा साहित्य न्यास बाट ले झारखंडे नवो भासाक दमगर साहितकार सबके जखन सम्मानित करेक बात भेलइ, तखन सबसे उपर राज जीक नाम अइलइ। 29 जनवरी 2006 ईसवीं के भारतीय भाषा साहित्यन्यास (राँची) बाट ले राजभवने आयोजित सम्मान समारोहे खोरठा भासा साहितेक सेवा खातिर श्री राज जी के झारखंडेक राज्यपाल सैय्यद सिबते रजी जी आपन हाथे सम्मानित करला । जे समारोहे झारखंडेक माइनगर साहितकार, शिक्षाविद आर प्रशासनिक अधिकारी हला।
राज जीक भरल-पूरल पइरबार हे। इनखर चाइर गो बेटी आर एगो बेटा हे। राज जी समाज सेवा आर साहित सेवाञ समर्पित हथ। आसा करल जाहे जे उनखर कुछ अप्रकाशित रचना सब छपत तो खोरठा साहितें उनखर कद आर ऊँचा हइ जइतइ।
राज जी 16 अक्टूबर 2009 इसवीं बोकारो अस्पताले सिराइ गेला।