माहली

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  • माहली जनजाति (Mahli Tribe) प्रजातीय संबंध –  द्रविड़ परिवार 
  • झारखण्ड में निवास – सिंहभूम क्षेत्र, राँची, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, हजारीबाग, बोकारो, धनबादसंथाल परगना क्षेत्र 
  • पितृसत्तात्मक सामाजिक व्यवस्था  गोत्र की संख्या –  16 
  • माहली जनजाति पांच उपजातियों में विभक्त (रिजले द्वारा)
    • 1.बांस फोड़ माहली – बांस से टोकरी बनाने वाले  [नोट : तुरी जनजाति भी टोकरी बनाती है ]
    • 2.पातर माहली – खेती कार्य 
    • 3.तांती माहली – पालकी ढोने वाले
    • 4.सुलंकी माहली – मजदूरी व खेती कार्य
    • 5.माहली मुण्डा – मजदूरी व खेती कार्य
  • विवाह टोटमवादी वंशों में होता है।
  • इनमे बाल विवाह प्रचलित है।
  • वधु मूल्य पोन टका 
  • जातीय पंचायतपरगनैत 
  • प्रमुख त्योहार –  सूरजी देवी पूजा, मनसा पूजा, टुसू पर्व, दीवाली आदि 
  • यह शिल्पी जनजाति है
    •  जो बांस कला में पारंगत है।
    • बांस की टोकरी व ढोल बनाने में पारंगत 
    • कारीगर/शिल्पकार 
  • मुख्य देवी सूरजी देवी 
  • अन्य देवताबड़ पहाड़ी तथा मनसा देवी 
    • पुरखों की पूजा –  गोड़म साकी (बूढ़ा-बूढ़ी पर्व) 
    • उलूर पूजा‘ – सिल्ली क्षेत्र में

 

माहली जनजाति के प्रमुख गोत्र एवं उनके प्रतीक

गोत्र

प्रतीक

गोत्र

प्रतीक

कठरगाछ

कटहल

ढिलकी 

वन सूअर

मुरूमल/मर्री 

नीलगाय

टोपवार

चिड़िया 

केरकेट्टा

पक्षी

तिर्की

सांढ

चारधगिया

एक पेड़