- दुमका (Dumka ) उपनाम- सिल्क सिटी, झारखंड की उप राजधानी
- दुमका में झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ स्थित
- स्थापना – 1855
- 1855 के संथाल विद्रोह से पहले संथाल परगना भागलपुर का भाग था।
- संथाल विद्रोह को दबाने के उद्देश्य के लिए अंग्रेजों ने भागलपुर से अलग करके संथाल परगना को अलग जिला का दर्जा दिया था।
- वर्ष 1983 में संथाल परगना को विभाजित कर 4 जिले बनाए गए – 1. देवघर, 2. दुमका (1 जून 1983) , 3.गोड्डा , 4.साहिबगंज
- 1994 में साहिबगंज से अलग कर पाकुड़ बना)
- 2001 में दुमका से अलग कर जामताड़ा बना
- मुख्यालय – दुमका
- प्रमंडल – संथाल परगना प्रमण्डल
- अनुमंडल – 1 , प्रखंड – 10 ,
- विधानसभा क्षेत्र – 4 [ दुमका , शिकारीपाड़ा , जरमुंडी , जामा ]
- लोक सभा क्षेत्र – दुमका लोक सभा क्षेत्र
- शहरी निकाय
- दुमका नगर परिषद्
- बासुकीनाथ नगर पंचायत
- प्रमुख नदी – मयूराक्षी, बांसलोई, ब्राह्मणी, अजय
- प्रमुख जलप्रपात/झील /गर्मजलकुण्ड
- तपातपानी जलकुण्ड– मोर नदी पर स्थित
- झुमका / भुमका जलकुण्ड– मोर नदी पर स्थित
- रानीबहल जलकुण्ड – मयूराक्षी नदी के तट पर स्थित
- झरियापानी/थरियापानी जलकुण्ड
- बाराझरना जलकुण्ड
- ततलोई जलकुण्ड- भुरभुरी नदी पर स्थित
- नुनबिल जलकुण्ड
- मसानजोर डैम
- शैक्षणिक संस्थान
- सिद्ध-कान्हू विश्वविद्यालय (दुमका)
- वन्य जीव अभ्यारण
- प्रमुख मंदिर – “©www.sarkarilibrary.in”
- वासुकीनाथ मंदिर
- छोटेनाथ की मूर्ति
- मलूटी मंदिर
- छूटोनाथ मंदिर
- प्रमुख किले
- अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल –
- मसानजोर डैम
- मलूटी गाँव – मंदिरो का गांव / गुप्त काशी
- मलूटी में बाज वंश के शासक बसंतराय व ननकर राज्य ने 108 मंदिरों का निर्माण कराया था। हालांकि वर्तमान में 72 मंदिर के ही अवशेष मौजूद हैं।
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दुमका का जनांकिकीय विशेषता (जनगणना 2011 के अनुसार )
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- क्षेत्रफल – 3,761 वर्ग किमी
- जनसंख्या – 13,21,442
- जनसंख्या घनत्व – 351
- दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर – 19.42%
- लिंगानुपात – 977
- साक्षरता दर – 61.02%
दुमका का प्रशासनिक विशेषता
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- अनुमंडल – 1
- दुमका सदर अनुमंडल के 10 ब्लॉक
- दुमका
- शिकारीपाड़ा,
- जरमुंडी,
- जामा,
- सरैयाहाट,
- रामगढ़,
- रानेश्वर,
- काठीकुंड
- गोपीकान्दर
- मसलिया
- दुमका सदर अनुमंडल के 10 ब्लॉक
- ब्लॉक/Block- 10
मलूटी गाँव ,शिकारीपाड़ा प्रखण्ड ,दुमका
- इसे ‘मंदिरों का गाँव’ कहा जाता है।
- इस गाँव को ‘गुप्तकाशी’ भी कहा जाता है।
- इसे ‘टेराकोटा मंदिर’ भी कहा जाता है।
- इस गाँव में पूर्व में यहाँ 108 मंदिर थे जिनमें से वर्तमान में 72 मंदिर ही शेष बचे हैं।
- इनमें से 52 शिव मंदिर तथाशेष अन्य देवी-देवताओं के मंदिर हैं।
- सभी शिव मंदिरों का निर्माण ‘शिखर शैली’ में किया गया है ।
- इन मंदिरों का निर्माण ननकर राज्य के संस्थापक बसंत राय एवं उनके राजपरिवार द्वारा 16वीं शताब्दी में कराया गया था।
- इस गाँव में आदि शक्ति माँ मौलीक्षा मंदिर है।
- 1979 से पूर्व इस गाँव के बारे में गाँव के बाहर के लोग अधिक नहीं जानते थे।
- परन्तु 1979 में भागलपर के तकलीन आयुक्त अरूण कुमार पाठक इस गाँव में पहुँचे तथा मंदिरों के इस गाँव को देखकर इसकी जानकारी भारतीय पुरातत्व विभाग एवं बिहार पुरातत्व विभाग को दी, जिसके बाद इसके संरक्षण का कार्य प्रारंभ किया गया।
- 2015 के गणतंत्र दिवस समारोह में झारखण्ड के मलूटी मंदिर झांकी को राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय परस्कार प्रदान किया गया था।