सिंधु नदी
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  • सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत में कैलाश पर्वत श्रेणी में ‘बोखर चू’ (Bokhar chu) के निकट एक हिमनद से होता है, इसे तिब्बत में ‘सिंगी खंबान’ अथवा ‘शेर मुख’ कहते हैं। 
  • अपने उद्गम से निकलने के पश्चात् लद्दाख एवं जास्कर श्रेणियों के बीच से उत्तर-पश्चिम दिशा में प्रवाहित होती हुई यह ‘दमचोक’ के पास भारत में प्रवेश करती है तथा लद्दाख एवं गिलगित से प्रवाहित होने के दौरान गॉर्ज का निर्माण कर दर्दिस्तान में चिल्लड़ के निकट पाकिस्तान में प्रवेश करती है। भारत में इसकी लंबाई 1,114 किमी. एवं कुल लंबाई 2,880 किमी. है। 
  • सिंधु नदी के बायें एवं दायें दोनों तरफ से अनेक सहायक नदियाँ मिलती हैं, जैसे- श्योक, गिलगित, शिगार, काबुल, जास्कर, पंचनद (झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास, सतलुज) आदि। इनमें काबुल के अतिरिक्त दाहिने तट पर मिलने वाली अन्य मुख्य सहायक नदियाँ कुर्रम, तोची, गोमल, विबोआ और संगर है। ये सभी नदियाँ सुलेमान पर्वत श्रेणी से निकलती हैं। 
  • पंचनद नदियाँ आपस में मिलकर पाकिस्तान में ‘मीथनकोट’ के पास सिंधु नदी में मिल जाती हैं। 
  • सिंधु नदी का मुहाना अरब सागर में है।

सिंधु नदी से संबंधित विशेष तथ्य 

  • सिंधु नदी की कुल लंबाई 2,880 किमी. है। 
  • भारत में केवल जम्मू और कश्मीर के लेह जनपद में प्रवाहित होती है। सिंधु नदी के दायें तट पर ‘लेह’ अवस्थित है।
  • सिंधु नदी जल समझौते के अनुसार भारत इसके विसर्जनक्षमता का केवल 20 प्रतिशत भाग ही उपयोग कर सकता है
  • सिंधु जल समझौता 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक ने मध्यस्थता से हुई थी।  
  • इस संधि पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने दस्तखत किए थे। 
  • 12 जनवरी 1961 से संधि की शर्तें लागू कर दी गईं थीं। 
  • संधि के तहत 6 नदियों के पानी का बंटवारा तय हुआ, जो भारत से पाकिस्तान जाती हैं। 
  • पूर्वी क्षेत्र की तीनों नदियां- रावी, ब्यास और सतलज पर भारत का एकछत्र अधिकार है। 
  • वहीं, पश्चिमी क्षेत्र की नदियों- सिंधु, चिनाब और झेलम का कुछ पानी पाकिस्तान को भी देने का समझौता हुआ। भारत में पश्चिमी नदियों के पानी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है और इनका करीब 20 प्रतिशत हिस्सा भारत के लिये है।