समतल दर्पण
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  • समतल दर्पण  : समतल दर्पण से प्राप्त प्रतिबिंब सदैव आभासी तथा सीधा होता है। 
  • प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है। 
  • प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है, जितनी दूरी पर दर्पण के सामने रखा हो। 
  • किसी वस्तु का पूरा प्रतिबिंब देखने हेतु दर्पण की ऊँचाई वस्तु की ऊँचाई का आधा होना आवश्यक है। 
  • यदि कोई वस्तु दर्पण के सापेक्ष V चाल से गतिमान हो तो वस्तु और प्रतिबिंब की सापेक्ष गति 2V होगी।
  • यदि कोई वस्तु परस्पर 90° कोण पर रखे समतल दर्पणों के बीच में रखी हो तो वस्तु के कुल प्राप्त प्रतिबिंबों की संख्या = 3, वहीं यदि दोनों दर्पण समानांतर हो तो प्राप्त प्रतिबिंबों की संख्या अनंत होगी।

 

  •  किरण आरेख (ray diagram) में किसी बिंदु से आती दो किरणें परावर्तित (या अपवर्तित) होकर जिस बिंदु पर मिलती हैं या मिलती प्रतीत होती हैं, वस्तु का प्रतिबिंब वहीं प्राप्त होता है।
    • जब किरणें वास्तव में मिलती हैं, तो वास्तविक प्रतिबिंब (Real Image), प्राप्त होता है।
    • जब किरणें मिलती हुई प्रतीत होती हैं तो आभासी प्रतिबिंब (Virtual Image) प्राप्त होता है।
    • आभासी प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता, जबकि वास्तविक प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त होता है।
  • समतल दर्पण द्वारा प्राप्त प्रतिबिंब पार्श्व-परिवर्तित (Lateral inverse) होता है।
    • यही कारण है कि एंबुलेंस पर ठीक सामने AMBULANCE को पार्श्व-परिवर्तित स्वरूप में लिखा गया होता है जिससे कि आगे जा रही गाड़ियों के रियर व्यू मिरर (Rear View Mirror) में देखकर आसानी से पढ़ा जा सके।
    • यदि समतल दर्पण के सामने अपने बाएं कान को दाएं हाथ से छुओगे तो दर्पण में दाएं कान को बाएं हाथ से छुआ है ऐसा दिखेगा।

                          

समतल दर्पण के उपयोग 

  • दैनिक जीवन में समतल दर्पण का उपयोग आइने के रूप में सर्वाधिक किया जाता है। 
  • बहुदर्शी (Kaleidoscope) और परिदर्शी (Periscope) में समतल दर्पण का उपयोग किया जाता है। 
  • परिदर्शी का प्रयोग बंकर में छिपे सैनिकों एवं पनडुब्बी में पानी की सतह से बाहर देखने के लिये किया जाता है।