- बाजीराव प्रथम (1720-40 ई.)
- बाजीराव प्रथम ने शाहू से कहा कि “अब वक्त आ गया है कि जर्जर वृक्ष के तने पर प्रहार किया जाये तो हमारी सत्ता अटक से कटक तक स्थापित हो जायेगी“।
- इसी संदर्भ में उसने छत्रशाल बुंदेला की सहायता की और मुग़लों तथा रूहेलों द्वारा छीने गये उसके प्रदेशों को वापस दिलाया।
- इसी समय बाजीराव की मुलाकात मस्तानीबाई नामक युवती से हुई।
- 1724 में निज़ाम-उल-मुल्क ने ‘शकूर खेड़ा’ के युद्ध में मुगल सूबेदार मुबारिज़ खां को शिकस्त दी। संभवतः इसमें बाजीराव ने सहायता की, क्योंकि अभी निज़ाम के प्रति उसने तटस्थता की नीति अपनाई।
निज़ाम से संघर्ष
- ‘चौथ’ और ‘सरदेशमुखी‘ के प्रश्न पर हैदराबाद व बाजीराव के बीच, मुख्यत: 2 संघर्ष हुये:
- 1728 का पालखेड़ा का युद्ध, जिसमें निज़ाम पराजित हुआ और उसे ‘मुंगी शिवगांव की संधि‘ करनी पड़ी।
- 1737-38 का भोपाल का युद्ध, यहाँ भी निज़ाम को पराजित होकर ‘दुरई-सराय’ की संधि करनी पड़ी।
नोट: 1731 की वार्ना की संधि के द्वारा कोल्हापुर के शासक ने सतारा की अधीनता स्वीकार ली, जो बाजीराव-I की बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
- 1737 ई में बाजीराव ने बड़ी तीव्रता से मात्र 500 सैनिकों के साथ दिल्ली पर आक्रमण किया और मुहम्मद शाह रंगीला को दिल्ली छोड़नी पड़ी। गुजरात, मालवा, बुंदेलखंड पर भी मराठों ने प्रभुत्व की पताका लहराई।
- शिवाजी के बाद गुरिल्ला पद्धति का सर्वश्रेष्ठ संचालक।
- पुर्तगालियों से सालसेट व बसीन प्राप्त किया।
- संघीय ढाँचे की शुरुआत इसी के समय प्रारंभ होती है।