पूर्ण आंतरिक परावर्तन
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  • पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection)  सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाने वाली प्रकाश किरण के लिये यदि आपतन कोण क्रांतिक कोण से अधिक हो तो किरण सघन माध्यम के पृष्ठ से परावर्तित हो सघन माध्यम में ही लौट आती है। इस परिघटना को ‘पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं।
  • पूर्ण आंतरिक परावर्तन के उदाहरण
  • हीरे का चमकना
  • काँच का चटका हुआ भाग चमकीला प्रतीत होता है।  
  • मरीचिका (Mirage) : मरुभूमि में गर्मी के दिनों में दूर किसी स्थान पर पानी के होने का भ्रम होता है, जिसे ‘मरीचिका’ कहते हैं, यह प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण होता है।
  • मरुस्थलों में गर्म ज़मीन के संपर्क में हवा गर्म रहती है और ऊपर का ओर हवा की परतें ठंडी रहती हैं। ठंडी परतें सघन माध्यम(dense medium) की तरह और गर्म वायु की परतें विरल माध्यम(rare medium) की तरह कार्य करती हैं।
  • जब सघन वायु से प्रकाश किरण विरल वायु में प्रवेश करती है तो दूर स्थित किसी दर्शक के लिये आपतन कोण क्रांतिक कोण से ज़्यादा हो जाता है और पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है, जिससे पानी की सतह जैसे परावर्तन का आभास होता है।