खरवार आंदोलन

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  • खरवार आंदोलन (1874)
  • परंपरागत मूल्यों की पुनर्स्थापना हेतु यह एक जनजातीय सुधारवादी आंदोलन था। 
    • एकेश्वरवाद 
      • सूर्य एवं दुर्गा की उपासना के अतिरिक्त अन्य किसी भी देवी-देवता की उपासना का परित्याग 
    • सामाजिक सुधार 
    • ब्रिटिश सरकार/जमींदारों को कर नहीं देने की अपील
    • खुद लगान प्राप्त करने की व्यवस्था प्रारंभ की
    • सुअर, मुर्गा, हड़िया व नाचने-गाने का परित्याग
    • सिद्धू-कान्हू के जन्म स्थल को तीर्थस्थल के रूप में मान्यता 
    • संथाल विरोधियों का प्रतिकार तथा उपपंथो की संख्या को बारह तक सीमित करना। 
    • उपासकों का वर्गीकरण 
      • सफाहोड़ (समर्पण के साथ उपासना करने वाले)
      • भिक्षुक/बाबाजिया (उदासीनता के साथ उपासना करने वाले) 
      • मेल बरागर (बेमन से उपासना करने वाले)   
  • आंदोलन का नेतृत्व 
    • भागीरथ माँझी उर्फ बाबा (जन्म – गोड्डा के तलडीहा गाँव में)
    • सहयोगी –  ज्ञान परगनैत
    • शुरूआत  – 1874  ई. में 
      • संथाल परगना क्षेत्र में 
  • ‘भागीरथ माँझी का आंदोलन’ 
  • भागीरथ मांझी ने स्वयं को बौंसी गाँव का राजा घोषित किया 
  • अंग्रेज सरकार ने भागीरथ माँझी एवं उनके सहयोगी –  ज्ञान परगनैत को गिरफ्तार कर लिया। 
    • 1877 में दोनों को रिहा कर दिया गया 
  • हजारीबाग में इस आंदोलन का नेतृत्व 
    • जगेशर निवास दुबु /दुबु बाबा ने 
  • खरवार आंदोलन का दूसरा चरण 
    • दुविधा गोसाई के नेतृत्व में 
      • 1881 ई. की जनगणना के खिलाफ प्रारंभ किया गया।