अभिकेंद्रीय बल

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अभिकेंद्रीय बल (Centripetal Force)

  • न्यूटन के द्वितीय नियमानुसार त्वरण सदैव किसी बल का ही परिणाम होता है तथा इस बल की दिशा वही होती है जो त्वरण की होती है।
  • हम जानते हैं कि वृत्तीय पथ पर गति करते कण पर एक अभिकेंद्र त्वरण कार्य करता है। अतः हम कह सकते हैं कि वृत्तीय पथ पर गति करने वाले कण पर एक बल कार्य करता है, जिसकी दिशा सदैव वृत्त के केंद्र की ओर रहती है। इसी बल को अभिकेंद्र बल कहा जाता है।
  • A centripetal force is a net force that acts on an object to keep it moving along a circular path.
  • F = MV2/R
  • अभिकेंद्र बल के उदाहरण 

  • जब कोई कार सड़क के मोड़ पर मुड़ती है तो उसे मुड़ने के लिये आवश्यक अभिकेंद्र बल टायरों तथा सड़क के बीच लगने वाले घर्षण बल से प्राप्त हो जाता है। 
  •  ग्रहों को सूर्य के परिक्रमण के लिये एवं उपग्रहों को ग्रहों के परिक्रमण के लिये आवश्यक अभिकेंद्र बल गुरुत्वाकर्षण बल से प्राप्त होता है। 
  • किसी परमाणु के नाभिक के चारों ओर वृत्तीय कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन को घूमने के लिये आवश्यक अभिकेंद्र बल विद्युत आकर्षण बल से प्राप्त होता है।
  •  जब किसी पत्थर के टुकड़े को डोरी से बाँधकर वृत्ताकार पथ पर घुमाया जाता है तो डोरी को अंदर की ओर खींचे रहना पड़ता है अर्थात् डोरी पर अंदर की ओर एक बल लगाना पड़ता है, यह डोरी पर उत्पन्न तनाव होता है। अतः डोरी के तनाव द्वारा गेंद पर अभिकेंद्र बल लगाया जाता है। यदि डोरी को छोड़ दिया जाए तो डोरी का तनाव समाप्त हो जाता है और आवश्यक अभिकेंद्र बल न मिल पाने के कारण पत्थर का टुकड़ा सरल रेखा में गति करने लगता है।
  •  आकाश में उड़ता हुआ हवाई जहाज़ जब क्षैतिज वृत्ताकार पथ में मुड़ता है तो कुछ तिरछा होकर आवश्यक अभिकेंद्र बल प्राप्त करता है।