खड़िया
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  • खड़िया नाम खड़खड़िया (पालकी) ढोने के कारण पड़ा।
  • खड़िया जनजाति (Khariya tribe) प्रजातीय संबंध –  प्रोटो-आस्ट्रेलायड समूह 
  • खड़िया जनजाति की भाषा  खड़िया [मुण्डारी (ऑस्ट्रो-एशियाटिक) भाषा परिवार] 
  • झारखण्ड में निवास – गुमला, सिमडेगा, राँची, लातेहार, सिंहभूम और हजारीबाग 
  • यह जनजाति तीन वर्गों में विभाजित है – 1. पहाड़ी खड़िया (सर्वाधिक पिछड़े), 2. ढेलकी खड़िया,  3. दूध खड़िया (सर्वाधिक संपन्न)
  • वधु मूल्य – ‘गिनिंग तह’ 
  • पितृसत्तात्मक परिवार 
  • खड़िया समाज में बहुविवाह प्रचलित है।
  • सर्वाधिक प्रचलित विवाह – ओलोलदाय (असल विवाह) 

विवाह के अन्य रूप हैं:

    • उधरा-उधारी विवाह – सह पलायन विवाह
    • ढुकु चोलकी  विवाह– अनाहूत विवाह
    • तापा या तनिला विवाह – अपहरण विवाह
    • राजी खुशी  विवाह– प्रेम विवाह
    • सगाई-विधवा / विधुर विवाह
  • सामाजिक व्यवस्था से संबंधित विभिन्न नामकरण:
    • युवागृह – गितिओ
    • ग्राम प्रधान – महतो
    • ग्राम प्रधान का सहायक – नेगी
    • संदेशवाहक – गेड़ा
    • जातीय पंचायत – धीरा
    • जातीय पंचायत प्रमुख – दंदिया
  • प्रमुख पर्व  
  • जकोंर (बसंतोत्सव के रूप में)
  • बंदई (कार्तिक पूर्णिमा को)
  • करमा, कदलेटा, बंगारी, जोओडेम (नवाखानी), 
  • जिमतङ (गोशाला पूजा), गिडिड पूजा
  • पोनोमोसोर पूजा, भडनदा पूजा, दोरहो डुबोओ पूजा, पितरू पूजा आदि 
  • इस जनजाति द्वारा ‘फागु शिकार‘ मनाया जाता हैं
    • इस अवसर पर ‘पाट’ और ‘बोराम‘ की पूजा 
  • यह जनजाति बीजारोपण के समय ‘बा बिडि‘, 
  • नया अन्न ग्रहण करने से पूर्व ‘नयोदेम‘ या ‘धाननुआ खिया‘ पर्व 
  • पेशा – कृषि ,शिकार 
  • प्रमुख भोजन –  चावल 
  • प्रमुख देवता  – बेला भगवान या ठाकुर (सूर्य का प्रतिरूप) 

अन्य देवता 

  • पारदूबो – पहाड़ देवता
  • बोराम – वन देवता
  • गुमी – सरना देवी
  • भगवान को गिरिंग बेरी या धर्मराजा कहते हैं।
  • धार्मिक प्रधान – कालो या पाहन 
    • पहाड़ी खड़िया का धार्मिक प्रधान –  दिहुरी व ढेलकी 
    • दूध खड़िया का धार्मिक प्रधान –  पाहन