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- कुंभ मेला के चार स्थान (स्थान – नदी- राज्य)
- प्रमुख प्रकार
- कुंभ मेला – हर 12 वर्ष – चारों स्थानों पर
- अर्धकुंभ – हर 6 वर्ष – प्रयागराज और हरिद्वार
- महाकुंभ – हर 144 वर्ष – केवल प्रयागराज
- माघ मेला – हर साल प्रयागराज (माघ मास में)
- समुद्र मंथन के समय देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश (कुंभ) को लेकर 12 दिनों तक संघर्ष हुआ।
- यह संघर्ष पृथ्वी के चार स्थानों पर हुआ – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक।
- जहाँ-जहाँ अमृत की बूंदें गिरीं, वहाँ कुंभ मेले का आयोजन होने लगा।
- UNESCO ने 2017 में कुंभ मेले को “Intangible Cultural Heritage” की मान्यता दी।
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