- उप-राष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सर्वोच्च पद होता है। आधिकारिक क्रम में उसका पद राष्ट्रपति के बाद आता है।
- भारत में उप-राष्ट्रपति का पद, अमेरिका के उप-राष्ट्रपति की तर्ज पर लिया गया है।
निर्वाचन
- राष्ट्रपति की तरह उप-राष्ट्रपति को जनता द्वारा सीधे नहीं चुना जाता है।
- राष्ट्रपति के चुनाव की तरह उप-राष्ट्रपति का चुनाव भी आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल संक्रमण मत द्वारा और गुप्त मतदान से होता है।
- वह संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के निर्वाचक मंडल द्वारा चुना जाता है। अतः
- उप-राष्ट्रपति का मुख्य कार्य राज्यसभा की अध्यक्षता करना है।

अर्हताएं
1. वह भारत का नागरिक हो।
2. वह 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
3. वह राज्यसभा सदस्य बनने के लिए योग्य हो।
4. वह किसी सार्वजनिक प्राधिकरण के अंतर्गत किसी लाभ के पद पर न हो।
- वर्तमान राष्ट्रपति अथवा उप-राष्ट्रपति, राज्य का राज्यपाल और कोई मंत्री किसी लाभ के पद पर नहीं माने जाते है।
- उप-राष्ट्रपति के चुनाव के नामांकन के लिए कम से कम 20 प्रस्तावक तथा 20 अनुमोदक होने चाहिये।
- उम्मीदवार को भारतीय रिजर्व बैंक में 15,000 रुपये जमानत राशि जमा करना होगा है।
शपथ या प्रतिज्ञान
- उप-राष्ट्रपति को शपथ राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति द्वारा दिलवाई जाती है।
उप-राष्ट्रपति पद की शर्ते
1. वह संसद के किसी भी सदन अथवा राज्य विधायिका के किसी भी सदन का सदस्य न हो। यदि ऐसा कोई व्यक्ति उप-राष्ट्रपति निर्वाचित होता है तो उप-राष्ट्रपति का पद ग्रहण करने के तिथि से उसने अपनी उस सदन की सीट को रिक्त कर दिया
2. वह किसी लाभ के पद पर न हो।
पदावधि
- पदावधि उसके पद ग्रहण करने से लेकर 5 वर्ष तक होता है।
- उप-राष्ट्रपति अपनी 5 वर्ष की पदावधि के उपरांत भी पद पर बना रह सकता है, जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण न करे।
- वह उस पद पर पुनर्निर्वाचन के योग्य भी होता है।
- वह इस पद पर कितनी ही बार निर्वाचित हो सकता है।
पद रिक्तता
- संविधान में उसे हटाने हेतु कोई आधार नहीं है।
1. उसकी 5 वर्षीय पदावधि की समाप्ति होने पर।
2. उसके द्वारा त्यागपत्र देने पर। – राष्ट्रपति को
3. उसे बर्खास्त करने पर। –महाभियोग की आवश्यकता नहीं
- उसे राज्यसभा द्वारा संकल्प पारित कर पूर्ण बहुमत( कुल सदस्यों का बहुमत) द्वारा हटाया जा सकता है। और इसे लोकसभा की सहमति आवश्यक है।
- उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाने का प्रस्ताव लाने के लिए, उपराष्ट्रपति को 14 दिन पूर्व सूचित करना आवश्यक है।
4. उसकी मृत्यु पर।
5. उसका निर्वाचन अवैध घोषित हो।
चुनाव विवाद
- उप-राष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित विवादों की जांच उच्चतम न्यायालय द्वारा किए जाते हैं, जिसका निर्णय अंतिम होगा।
- उप-राष्ट्रपति के पद पर निर्वाचन को अवैध घोषित किया जाता है तो इस घोषणा से पूर्व उसके द्वारा किए गए कार्य अवैध घोषित नहीं होंगे
शक्तियां और कार्य
1. वह राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में कार्य करता है।
2. जब राष्ट्रपति का पद उसके त्यागपत्र, निष्कासन, मृत्यु तथा अन्य कारणों(अनुपस्थिति, बीमारी या अन्य किसी कारण से) से रिक्त होता है तो वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य करता है।
- वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में अधिकतम छह महीने की अवधि तक कार्य कर सकता है।
- कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के दौरान उप-राष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य नहीं करता है। इस अवधि में उसके कार्यों को उप-सभापति द्वारा किया जाता है।
- उप-राष्ट्रपति जब कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है तो वह राज्यसभा के सभापति को मिलने वाला वेतन नहीं पाता है,बल्कि उसे राष्ट्रपति को प्राप्त होने वाले वेतन व भत्ते आदि मिलते हैं।