केंद्र शासित प्रदेश
- संविधान के अनुच्छेद 1 में भारत का राज्य क्षेत्र को तीन वर्ग में बांटा गया है
- (1) राज्य क्षेत्र
- (2) केंद्रशासित प्रदेश
- (3) अन्य राज्य क्षेत्र (भारत सरकार द्वारा अर्जित)
- वर्तमान में 28 राज्य, 8 केंद्रशासित प्रदेश हैं, किंतु कोई अर्जित राज्य क्षेत्र नहीं है।
- केंद्रशासित प्रदेश वह क्षेत्र है, जो केंद्र सरकार के सीधे नियंत्रण में होता है इसलिए ऐसे प्रदेशों को केंद्रशासित क्षेत्र भी कहते हैं।
- संविधान केभाग VIII के अंतर्गत अनुच्छेद 239-241 में केंद्रशासित प्रदेशों के संबंध में उपबंध हैं ।
केंद्रशासित प्रदेशों का गठन
- ब्रिटिश शासनकाल में वर्ष 1874 में कुछ अनुसूचित जिलेबनाए गए।
- बाद में इसे मुख्य आयुक्तीय क्षेत्रके नाम से जाना जाने लगा।
- स्वतंत्रता के बाद इन्हें भाग- ग तथा घ राज्यों की श्रेणी में रखा गया।
- 7वें संविधान संशोधन,1956, राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत इन्हें केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में गठित किया गया।
- बाद में कुछ केंद्रशासित प्रदेशों को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया।
- दूसरी ओर पुर्तगालियों से लिए गए क्षेत्र (गोवा, दमन-दीव और दादरा और नगर हवेली) तथा फ्रांसीसियों से लिया गया क्षेत्र (पुदुचेरी) केंद्रशासित प्रदेश बनाए गए।
वर्तमान में 8 केंद्रशासित प्रदेश हैं, ये हैं (गठन के वर्ष के साथ)
- लक्षद्वीप को 1973 तक लकादीव, मिनीकॉय एवं अमिनदिवी द्वीप के नाम से जाना जाता था।
- दिल्ली को 1992 में ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली’ के रूप में जाना जाने लगा।
- पुदुचेरी को 2006 तक पांडिचेरी के नाम से जाना जाता था।
- प्रत्येक केंद्रशासित प्रदेश का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा संचालित होता है, जो एक प्रशासकके माध्यम से किया जाता है।
- केंद्रशासित प्रदेश का प्रशासक राष्ट्रपति का एजेंट या अभिकर्ता होता है, न कि राज्यपाल की तरह राज्य प्रमुख।
- राष्ट्रपति प्रशासक को पदनाम दे सकता है। वर्तमान में उप-राज्यपाल अथवा मुख्य आयुक्त अथवा प्रशासक हो सकता है।
- राष्ट्रपति किसी राज्य के राज्यपाल को राज्य से सटे केंद्रशासित प्रदेशों का प्रशासक नियुक्त कर सकता है। इस हैसियत में राज्यपाल अपनी मंत्रिपरिषद के बिना स्वतंत्र रूप से कार्य करता है।
- केंद्रशासित प्रदेशों के लिए तीनों सूचियों (राज्य के विषय भी) के विषयों पर विधि संसद बना सकती है,भले ही इनकी अपनी विधायिकायें हैं।
- पुडुचेरी विधानसभा, राज्य सूची व समवर्ती सूची के विषयों पर विधि बना सकती है। परंतु संसद द्वारा बनाई गई विधि, विधानसभा द्वारा बनाई गई विधि से अधिक प्रभावी होती है।
- दिल्ली विधानसभा भी राज्य सूची (लोक व्यवस्था, पुलिस व भूमि को छोड़कर) व समवर्ती सूची के विषयों पर विधि बना सकती है।परंतु संसद द्वारा बनाई गई विधि, विधानसभा द्वारा बनाई गई विधि से अधिक प्रभावी होती है।
- किसी केंद्रशासित प्रदेशों में उच्च न्यायालय की स्थापनासंसद कर सकती है या उसे निकटवर्ती राज्य के उच्च न्यायालय के अधीन कर सकती है।
- दिल्ली एवं जम्मू कश्मीर दो केंद्रशासित प्रदेश है, जिसका स्वयं का उच्च न्यायालय है।
- संविधान में अधिगृहीत प्रदेशों के प्रशासन के लिए अलग से उपबंध नहीं हैं परंतु केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन के संवैधानिक उपबंध अधिगृहीत क्षेत्रों के लिए लागू होते हैं।
- दिल्ली विधानसभा सदस्य की संख्या – 70
- पुदुचेरी विधानसभा सदस्य की संख्या – 30
दिल्ली के लिये विशेष उपबंध
- मंत्रिमंडल, मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उप-राज्यपाल द्वारा स्वविवेक से लिए गए निर्णयों को छोड़कर बाकी सभी कार्यों में सहयोग व सहायता करती है,
- लेकिन उप-राज्यपाल व मंत्रिमंडल में किसी मुद्दे पर टकराव होने पर उप-राज्यपाल उसे राष्ट्रपति के पास भेज सकता है।
- ऐसी स्थिति में जब क्षेत्र का प्रशासन उपरोक्त उपबंधों के अनुसार नहीं हो पा रहा हो, राष्ट्रपति उस क्षेत्र में अपना शासन लागू कर सकता है। ऐसा उप-राज्यपाल द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर होता है। यह उपबंध अनुच्छेद 356 के समान है, जिसके तहत राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- उपराज्यपाल को विधानसभा के सत्र में नहीं होने के दौरान अध्यादेश को जारी करने का अधिकार होता है। वे विधानसभा भंग होने या स्थगित होने पर किसी अध्यादेश को जारी नहीं कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रपति के पूर्वानुमति के बिना ऐसे किसी अध्यादेश को जारी नहीं किया जा सकता है।
- ऐसे प्रत्येक अध्यादेश को विधानसभा सत्र का बैठक होने के छह सप्ताह के भीतर अवश्य पारित किया जाना होता है।
- वे कभी भी उस अध्यादेश को वापस भी ले सकते हैं।
संघीय क्षेत्रों (संघ शासित प्रदेशों) के लिए सलाहकार समितियां
- भारत सरकार (कार्यवाही आवंटन) नियमावली, 1961 के अंतर्गत गृह मंत्रालय संघीय क्षेत्रों में उप-राज्यपाल एवं प्रशासकों की नियुक्ति से संबंधित सभी मामलों के लिए नोडल एजेन्सी है।
- सभी 6 संघीय क्षेत्रों जहाँ विधायिका नहीं है, वहाँ गृह मंत्री सलाहकार समिति(Home Minister’s Advisory Committee)(HMAC) /या प्रशासक सलाहकार समितिAdministrative Advisory Committee (AAC) का फोरम है।
- (HMAC) की बैठक अध्यक्षता केद्रीय गृहमंत्री करते हैं, जबकि AAC की बैठक अध्यक्षता उस क्षेत्र के प्रशासक करते हैं।