बिहार में परिवहन व्यवस्था
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बिहार नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण ( BREDA) 

  • >देश में कोयला संसाधनों की अनुपलब्धता और कोयले की बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय कीमत को देखते हुए ऊर्जा के नवीकरणीय और गैर-पारंपरिक स्रोतों की खोज और उनका विकास काफी आवश्यक हो गया है। राज्य में गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के उपयोग वाली परियोजनाओं के विकास का दायित्व बिहार राज्य नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण पर है ।
  • वर्ष 2011-12 में नवीकरणीय ऊर्जा के विकास हेतु बिहार सौर ऊर्जा योजना के तहत 10 प्रखंडों में 2 अश्वशक्ति या 1.8 किलोवाट आवर क्षमता के 560 सौर पंप लगाने का प्रस्ताव था जहाँ जल स्तर 2 से 5 मीटर के बीच हो । 
  • राज्य में पवन ऊर्जा की संभावनाओं को सुनिश्चित करने के लिए सिमुलतला (जमुई) और लालगंज (वैशाली) में वायु गति मापन अध्ययन का काम समाप्ति पर है और बोधगया, रक्सौल, अधौरा तथा मुंगेर में काम जारी है । 
  • राज्य में बायोमास ऊर्जा की भारी संभावना को ध्यान में रखकर निजी उपयोग के लिए शीतगृहों और रॉलिंग मिलों में लगभग 6 मेगावाट उत्पादन क्षमता के बायोमास गैसीफायर लगाये गये हैं । इसके अलावा 2-3 गांवों के संकुलों में सार्वजनिक-निजी साझेदारी के आधार पर भी 20 बायोमास गैसीफायर लगाये गये हैं । 

पानी 

  • सिंचाई सुविधाओं के अभाव के कारण राज्य में कुल बुवाई क्षेत्र के 57% में ही सिंचाई होती है, जो मानसून से प्राप्त जल पर निर्भर है। राज्य में 75-80% वर्षा मानसून के दौरान ही होती है । 
  • राज्य की 63% सिंचाई ट्यूबवेल से होती है तथा 30% सिंचाई नहरों से, जबकि 7% सिंचाई की जरूरत अन्य स्रोतों से पूरी होती है । 
  • पेयजल की समस्या न केवल शहरों में बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों, खासकर दक्षिण बिहार के विभिन्न इलाकों में बढ़ती जा रही है । ग्रीष्म काल में, जब नदियों के जल तथा भूमि जल का स्तर नीचे चला जाता है, तो यह समस्या और गंभीर हो जाती है । 

सड़क 

  • बिहार में सड़कों की कुल लंबाई, बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 एवं पथ निर्माण विभाग, बिहार सरकार के अनुसार, सितम्बर, 2013 तक 1,40,220 किलोमीटर थी । बिहार में प्रति 1 लाख जनसंख्या पर मात्र 189.5 किलोमीटर लम्बी सड़कें हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 357.8 किलोमीटर प्रति लाख व्यक्ति है । 
  • बिहार में प्रति 100 वर्ग किलोमीटर पर सड़कों की लम्बाई 209.5 किमी है, जो राष्ट्रीय औसत 131.8 किमी प्रति 100 वर्ग किमी से काफी आगे है । 

बिहार में सड़कों की अद्यतन स्थिति 

  • बिहार में सड़कों की कुल लम्बाई : 1,40,220 किमी० 
  • प्रति लाख की आबादी पर : 189.5 किमी० 
  • राष्ट्रीय उच्च पथों की कुल लंबाई : 4,595 किमी० (सितंबर 2015 में) कमी० 
  • ग्रामीण सड़कों की लम्बाई: 1,22,598 किमी०* 
  • राज्य उच्च पथ की लम्बाई : 4,253 किमी० 
  • मुख्य जिला पथ की लम्बाई: 10,634 किमी० 

रेल 

  • स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत जो नई लाइनें बिछायी गईं उनमें 7.38% बिहार में बिछीं ।
  • बिहार में ब्रॉड गेज वाली लाइनों का हिस्सा (बिहार सरकार, आर्थिक, सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार ) 84% है, जबकि पूरे भारत में 87% है । 
  • बिहार में रेलमार्ग घनत्व प्रति 1000 वर्ग किमी पर 38 और संपूर्ण भारत के स्तर पर 20 है ।
  • प्रति 1000 आबादी पर रेलमार्ग की लंबाई बिहार में मात्र 0.04 किमी है जो संपूर्ण भारत के 0.05 किमी से कम है । 
  • भारत में रेलवे वर्कशॉप की सम्पूर्ण सुविधा का विकास 8 फरवरी, 1862 को मुंगेर जिलान्तर्गत जमालपुर (बिहार) में हुआ । 
  • जमालपुर वर्कशॉप, मुंगेर (बिहार) में निर्मित प्रथम लोकोमोटिव का नाम था – CA 764 ‘लेडी कर्जन’, जिसका निर्माण 1899 में हुआ था ।  
  • 2003 में जब भारतीय रेल ने अपनी 150वीं वर्षगाँठ मनाया उस समय रेल मंत्री थे— नीतीश कुमार (बिहार के वर्तमान मुख्य मंत्री ) | 
  • किसी बड़ी रेल दुर्घटना के बाद अपने पद से इस्तीफा देने वाले देश के दूसरे रेल मंत्री हैं- नीतीश कुमार (इसके पूर्व इस वजह से इस्तीफा देने वाले प्रथम व्यक्ति / रेल मंत्री थे लाल बहादुर शास्त्री) । 
  • विश्व की अब तक की सबसे बड़ी रेल दुर्घटना जून 1981 में हुई थी, बिहार में मानसी- सहरसा रेल खंड पर बदला घाट और धमारा घाट रेलवे स्टेशन के बीच। एक सवारी गाड़ी के नदी में गिर जाने के कारण हुई इस दुर्घटना में 800 से अधिक लोग मारे गये ।

प्रस्तावित योजनाएँ 

  • सारण (छपरा ) जिले के बेलापुर में एक रेल पहिया कारखाना बनकर तैयार है । 258 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से तैयार इस फैक्ट्री में ट्रायल प्रोडक्शन मार्च 2012 में हो चुका है। जमालपुर (मुंगेर) स्थित देश के सबसे बड़े इंटीग्रेटेड रेल कारखाने के आधुनिकीकरण पर 82 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे । 
  • बदहाली की मार झेल रहे मोकामा और मुजफ्फरपुर स्थित भारत वैगन फैक्ट्रियों का रेलवे द्वारा अधिग्रहण किया गया है ।
  • बक्सर- आरा – मोकामा तीसरी लाइन : निर्माण, बरौनी-कटिहार-गुवाहाटी  रेलखंड के विद्युतीकरण की योजना की स्वीकृति, राज्य के ‘बी’ और ‘डी’ श्रेणी के सभी हाई लेवल ( उच्च स्तरीय ) प्लेटफार्मों पर फुट ओवर ब्रिज का निर्माण, एक दर्जन स्टेशनों की लम्बाई बढ़ाने के साथ-साथ पटना जंक्शन पर लिफ्ट-एस्केलेटर लगाने की योजना, नई लाइन परियोजना (कुरसेला-बिहारीगंज गया- डाल्टेनगंज, मुजफ्फरपुर-दरभंगा, जलालगढ़-किशनगंज) आदि भी प्रस्ताव में शामिल है । 

पटना मेट्रो रेल परियोजना 

  • प्रथम चरण (कोरिडोर-1A) : दानापुर से मीठापुर / बाइपास चौक (14.5 किमी)
  • प्रथम चरण (कोरिडोर -1B ) : दीघा-हाईकोर्ट लिंक (5.5 किमी) , 
  • प्रथम चरण (कोरिडोर -2): पटना जंक्शन – डाकबंगला चौक- ISBT अगमकुआँ / गाँधी सेतु (16 किमी) द्वितीय चरण (कोरिडोर-3): बाइपास चौक / मीठापुर से दीदारगंज (13 किमी) 
  • तृतीय चरण (कोरिडोर-4 ) : बाइपास चौक / मीठापुर से फुलवारीशरीफ / AIIMS (11 किमी) 

बिहार में परिवहन व्यवस्था 

  • सड़क परिवहन राज्य का सर्वाधिक महत्वपूर्ण परिवहन साधन है । स्वतंत्र सेवा के अलावे रेलवे की पूरक सेवा के रूप में भी सड़क परिवहन राज्य में कार्य करता है । 
  • बिहार राज्य की परिवहन व्यवस्था में सड़क परिवहन और रेल परिवहन महत्वपूर्ण हैं, जबकि वायु और जल परिवहन का सीमित विकास हुआ है। 

सड़क परिवहन 

  • प्राचीन काल से ही बिहार उत्तर भारत के अनेक राज्यों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ था । मध्य काल में मुगल शासकों तथा शेरशाह ने परिवहन योग्य सड़कों का निर्माण करवाया । अंग्रेजों ने इन सड़कों को अधिक विस्तृत किया । 
  • सड़क मार्गों को तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है-
    • राष्ट्रीय राजमार्ग
    • प्रांतीय राजमार्ग
    • स्थानीय राजमार्ग
  • शेरशाह सूरी ने बिहार से गुजरने वाली सड़क यानी ग्रांड ट्रंक रोड का निर्माण कराया था, जिसे आजकल राष्ट्रीय राजमार्ग -2 (एन एच- 2 ) कहा जाता है । यह भारत का वह सबसे लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग है, जो बिहार से होकर गुजरता है । 
  • पेशावर (पाकिस्तान) से दिल्ली होकर पंजाब और बंगाल को मिलाने वाली यह सड़क – भारत की महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्गों में से एक है । 
  • 1947 में बिहार की सड़कों की कुल लम्बाई 1315 मील अर्थात् 2104 किलोमीटर थी, 2012 में 1,40,220 किलोमीटर हो गई । 
  • देश के चार महानगरों को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों से सम्बद्ध स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना प्रारम्भ की गई है । इनमें से दिल्ली और कोलकाता को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 बिहार से होकर गुजरती है जो स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना के अन्तर्गत शामिल है । 
  • इसी प्रकार पूर्व-पश्चिम कॉरीडोर के अन्तर्गत बिहार से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-28 और 31 ) सम्मिलित हैं । 

बिहार से गुजरनेवाले राष्ट्रीय उच्च पथ 

  • ग्रैंड ट्रंक रोड (NH-2 ) : कोलकाता से शुरू होकर बिहारउत्तर प्रदेश के विभिन्न मार्गों गुजरते हुए यह सड़क दिल्ली तक चली गयी है। बिहार में यह पटना को छोड़कर बरही, शेरघाटी, डेहरी-ऑन-सोन, सासाराम, औरंगाबाद, मोहनिया आदि जगहों से गुजरती है ।
  • बरही बख्तियारपुर-गुवाहाटी उच्च पथ (NH-31) : यह सड़क ग्रैंड ट्रंक रोड, बरही से निकलकर नवादा, बिहारशरीफ, बख्तियारपुर तक जाकर पूरब मुड़ती है और राजेन्द्र पुल, मोकामा को पार करती हुई बेगूसराय, खगड़िया, पूर्णिया होती हुई गुवाहाटी तक जाती है । 
  • मोहनियाँ – पटना – बख्तियारपुर उच्च पथ (NH-30) : यह सड़क मोहनियाँ में ग्रैंड ट्रंक रोड से फूटकर विक्रमगंज, आरा, दानापुर, पटना तथा फतुहा होती हुई बख्तियारपुर में NH-31 से मिल जाती है । 
  • लखनऊ- गोरखपुर – बरौनी उच्च पथ (NH-28) : यह सड़क लखनऊ से गोरखपुर होती हुई बिहार में मोतिहारी के निकट प्रवेश करती है और मुजफ्फरपुर होती हुई बरौनी में NH-31 से मिल जाती है । इसकी लम्बाई 259 किमी० है । इसकी एक शाखा मोतिहारी होकर इसे रक्सौल से जोड़ती है जिसे NH-28A कहा जाता है । 

नदियों पर निर्मित प्रमुख सड़क / रेल पुल 

पुल नदी
महात्मा गाँधी सेतु गंगा नदी (पटना) सड़क मार्ग
राजेन्द्र पुल गंगा नदी (मोकामा)  रेल एवं सड़क मार्ग
सोन पुल सोन नदी (डेहरी) रेल एवं सड़क मार्ग
अब्दुल बारी पुल सोन नदी (कोइलवर) रेल एवं सड़क मार्ग
गण्डक नदी (बगहा ) रेल एवं सड़क मार्ग
गंगा नदी (भागलपुर) सड़क मार्ग
गंगा नदी (पटना) रेल एवं सड़क मार्ग
  • स्थानीय सड़कें 
  • स्थानीय सड़कें जिला मुख्यालय को छोटे-छोटे नगरों, कस्बों को आपस में जोड़ती हैं। ये है 1 कच्ची तथा पक्की दोनों होती हैं तथा ऐसे सड़कों में कई जगह ईंट का सोलिंग पाया जाता > ये सड़कें प्रायः प्रत्येक वर्ष बाढ़ के समय टूट जाती हैं तथा इन पर वर्षा के समय वाहन परिचालन काफी कठिन होता है । 

रेल परिवहन 

  • बिहार में रेल परिवहन का शुभारम्भ 1860-62 में तब हुआ था जब यहाँ ईस्ट इंडिया कंपनी 
  • ने गंगा के किनारे से कलकत्ता (कोलकाता) तक जाने की मुख्य लाइन बिछाई थी । 
  • यह रेलवे लाइन राजमहल (झारखण्ड), भागलपुर, मुंगेर, पटना, आरा और बक्सर होती हुई मुगलसराय तक बनायी गई थी। इसके बाद किउल से होकर झाझा और आसनसोल जाने वाली लाइन बनाई गई, जो बाद में मुख्य लाइन का भाग बनी । 
  • 19वीं शताब्दी के अन्त तक पटना गया शाखा लाइन बना ली गई थी। इसके बाद किऊल-गया शाखा को मुगलसराय तक बढ़ाया गया था । 
  • स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में रेलों के विकास में तीव्र गति से वृद्धि की गई तथा इसे सुव्यवस्थित करने के लिए 1952 ई० में सरकार ने सभी मुख्य लाइनों को अपने अधीन ले लिया और उनका पुनर्गठन किया । 
  • यहाँ पूर्वोत्तर रेलवे (उत्तरी बिहार ), पूर्व मध्य रेलवे (दक्षिणी बिहार), दक्षिणी-पूर्वी रेलवे (बिहार का पठारी भाग) एवं उत्तर- पूर्व सीमान्त रेलवे (उत्तर-पूर्वी बिहार में) द्वारा रेल परिवहन का संचालन व नियंत्रण किया जाता है । 
  • पूर्व मध्य रेलवे का मुख्यालय बिहार के हाजीपुर में है । 
  • रेल परिवहन की दृष्टि से बिहार (राज्य) का देश में पाँचवाँ स्थान है । 
  • वर्तमान में बिहार राज्य का एक वृहद् रेल नेटवर्क है, जिसकी कुल लम्बाई 3,598 रूट किलोमीटर (सं.) है ( मार्च, 2012 तक) । 
  • 42001 कुछ महत्वपूर्ण स्थानों को जोड़ने वाले रेलमार्गों, जैसे—मुजफ्फरपुर- समस्तीपुर-बरौनी-कटिहार, मुजफ्फरपुर-छपरा-सिवान, दरभंगा-समस्तीपुर, समस्तीपुर – हसनपुर – खगड़िया और मानसी – सहरसा को बड़ी लाइन में बदला गया है । दानापुर, पाटलिपुत्र, राजेन्द्रनगर टर्मिनल, पटना, गया, मुजफ्फरपुर, बरौनी, कटिहार, भागलपुर और समस्तीपुर राज्य के मुख्य रेलवे जंक्शन हैं। निर्माणाधीन रेलवे पुल 
  • बिहार में तीन बड़े रेलवे पुल का निर्माण किया जा रहा है । 
  • इनमें से दो गंगा नदी पर मुंगेर और पटना में तथा एक कोसी नदी पर निर्मली में बनेगा । गंगा पर बनने वाला एक रेल महासेतु ( दीघाघाट पटना को सोनपुर से जोड़ने वाला) का रेल पुल चालू हो गया है तथा दूसरा रेल-सड़क पुल मुंगेर में बनेगा जिससे दक्षिण और उत्तर बिहार तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों के बीच सम्पर्क उपलब्ध हो जायेगा । 
  • तीसरा महासेतु 323 करोड़ रुपये की लागत से कोसी नदी पर बन रहा है, जो निर्मली और 
  • भप्टियाही को जोड़ेगा । इस रेल महासेतु की आधारशिला तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार उपस्थिति में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 6 जून, 2003 को निर्मली की (सुपौल) में रखी गयी थी । 
  • बिहार के इन तीनों रेल पुल का निर्माण राष्ट्रीय रेल विकास परियोजना के अन्तर्गत किया जा रहा है । 

 

वायु परिवहन / उड्डयन 

  • बिहार में दो प्रमुख हवाई अड्डे हैं – पटना और गया । गया छोटा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जबकि पटना सीमित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा । पटना हवाई अड्डा का नाम जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है । 
  • पटना से गो एयर, इंडिगो, एयर इंडिया, जेट लाइट, एयरवेज आदि की केवल घरेलू विमान सेवाएँ उपलब्ध (जनवरी 2017 की स्थिति) हैं । 
  • पटना का दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, बंगलुरु, हैदराबाद, राँची और लखनऊ से सीधा संपर्क है ।
  • पटना जिला के बिहटा नामक स्थान में वायु सेना का हवाई अड्डा (एयर फील्ड) है ।  
  • बिहार में कुल 7 हवाई अड्डे हैं —( 1 ) पटना (2) गया (3) मुजफ्फरपुर (4) भागलपुर (5) जोगबनी (6) रक्सौल और (7) बिहटा । 
  • बिहार के छोटे हवाई अड्डों में भागलपुर का मारफारी हवाई अड्डा शामिल है । 
  • 12 नवंबर, 2002 को महात्मा बुद्ध की धर्मस्थली गया और कोलंबो (श्रीलंका) के बीच विमान सेवा शुरू होने के साथ ही बिहार स्थित हवाई अड्डे से अंतर्राष्ट्रीय विमानन सेवा प्रारंभ हो गया था । श्रीलंका एयरलाइंस के विमान के गया हवाई अड्डे पर उतरते ही इसे ‘इंटरनेशनल एयरपोर्ट’ का दर्जा हासिल हो गया था । 
  • गया को वर्ष 2008 के आरंभ में विधिवत् रूप से अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बना दिया गया है, जो कोलंबो, सिंगापुर और बैंकाक से बोधगया आने वाले यात्रियों – विदेशी पर्यटकों को सुविधा व सेवा प्रदान करता है। 
  • पटना में पटना उड्डयन क्लब और ग्लाइडिंग क्लब के केन्द्र स्थापित हैं । 
  • गत सात वर्ष के भीतर राज्य में उड़ानों एवं हवाई यात्रियों की संख्या में करीब तीन गुनी वृद्धि हो गई है। वर्ष 2013-14 में 10.5 लाख की तुलना में 2014-15 में हवाई यात्रियों की संख्या बढ़कर 12 लाख हो गई । 

जल परिवहन 

  • गंगा नदी की विशाल जलधारा होने के कारण यहाँ नौका वहन संभव है। 
  • बिहार में जल परिवहन को हालांकि कोई विशेष स्थान प्राप्त नहीं है, फिर भी भागलपुर जाने के लिए बरारी घाट महादेवपुर घाट पर गंगा पार करने हेतु स्टीमर सेवा उपलब्ध हैं। हालांकि महादेवपुर घाट के निकट गंगा नदी पर पुल बन जाने के बाद इस स्टीमर सेवा का उपयोग कम हो गया है। मोकामा-बरौनी के लिए भी स्टीमर सेवा उपलब्ध है । 
  • सोन नहर से निकलने वाली आरा नहर की संपूर्ण लम्बाई तक नाव और इसके 83 किमी० तक स्टीमर जल यातायात व्यवस्था को बनाये रखते हैं । 
  • व्यावसायिक (व्यापारिक) जल परिवहन अथवा माल ढुलाई के उद्देश्य से गायघाट (पटना) में एक जेट्टी बनाया गया है, जो कोलकातावाराणसी जलमार्ग पर सामानों को लाने-ले जाने वाले जलयानों के ठहराव व आवागमन तथा सामानों के उतारने- चढ़ाने (लोडिंग-अनलोडिंग) में सहयोग करती है । 
  • दियारा क्षेत्र के लोगों की स्थानीय यातायात की आपूर्ति इसी परिवहन मार्ग से होती है । राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1, जो इलाहाबाद से हल्दिया तक विस्तृत है, बिहार से होकर जाती है । 
  • राज्य में घाघरा, गंडक, बूढ़ी गंडक तथा कोसी आदि नदियाँ नौकागम्य हैं तथा स्थानीय रूप से यातायात की सुविधाएँ इनसे उपलब्ध हैं । 
  • दक्षिण बिहार की नदियों में सोन तथा पुनपुन नदी कुछ दूर तक नौकागम्य हैं। इनमें से सोन नदी में जल परिवहन दूर तक संभव है । 
  • सुरक्षित नौवहन को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार ने बंगाल नौवहन अधिनियम, 1885 की तर्ज पर ‘आदर्श नौवहन नियमावली, 2011’ सूत्रबद्ध की है ।