राज्य लोक सेवा आयोग state public service commission : SARKARI LIBRARY

राज्य लोक सेवा आयोग (State Public Service Commission)

  • भारत सरकार अधिनियम, 1919 की व्यवस्था के अनुसार 1926 में केंद्रीय लोक सेवा आयोग का गठन किया गया । 
  • भारत सरकार अधिनियम, 1935 के मुताबिक न केवल संघ लोक सेवा आयोग बल्कि प्रांतीय लोक सेवा आयोग, संयुक्त लोक सेवा आयोग का दो या अधिक प्रांतों के लिए गठन किया जा सकता है।
  • संविधान के 14 वें भाग में अनुच्छेद 315 से 323 में ही राज्य लोक सेवा आयोग का उल्लेख किया गया है।
  • राज्य लोक सेवा आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है ।

गठन 

  • राज्य लोग सेवा आयोग में एक अध्यक्ष व अन्य सदस्य होते है। 
  • आयोग के  अध्यक्ष व अन्य सदस्य की नियुक्तिराज्यपाल करता है। 
  • संविधान में आयोग की संख्या का उल्लेख नहीं किया गया है। यह राज्यपाल विवेक पर छोड़ दिया गया है।सभी राज्य के राज्य लोक सेवा आयोग में सदस्यों की संख्या अलग-अलग होती है
  • संविधान में आयोग के सदस्यों की योग्यता का भी जिक्र नहीं किया गया है लेकिन आयोग के आधे सदस्यों को भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कम से कम 10 वर्ष काम करने का अनुभव हो। 
  • संविधान ने राज्यपाल को अध्यक्ष व सदस्यों की सेवा की शर्ते निर्धारित करने का अधिकार दिया है।
  • आयोग के अध्यक्ष व सदस्य का कार्यकाल  छह वर्ष की अवधि या 62 वर्ष की आयु हैं (UPSC के मामले में 65 वर्ष)। 
  • वे  राज्यपाल को त्यागपत्र सौंप सकते है।
  • अध्यक्ष का पद रिक्त हो/अनुपस्थिति रहा हो तब राज्यपाल आयोग के किसी एक सदस्य को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त कर सकते हैं 

निष्कासन 

  • राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्य को राष्ट्रपति हटा सकता है (राज्यपाल नहीं) 
  • राष्ट्रपति उन्हें उसी आधार पर हटा सकते हैं जिन आधारों पर यूपीएससी के अध्यक्ष व सदस्यों को हटाया जाता है अतः उन्हें निम्नलिखित आधारों पर हटाया जा सकता है:
    • 1. अगर उसे दिवालिया घोषित कर दिया जाता है 
    • 2.अपनी पदावधि के दौरान अपने पद के कर्तव्यों के बाहर किसी सवेतन नियोजन में लगा हो या 
    • 3.अगर राष्ट्रपति यह समझता है कि वह मानसिक या शारीरिक शैथिल्य के कारण पद पर बने रहने के योग्य नहीं है।
  • इसके अलावा राष्ट्रपति राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या अन्य सदस्यों को उनके कदाचार के कारण भी हटा सकता है लेकिन ऐसे मामलों को राष्ट्रपति उच्चतम न्यायलय के पास जाँच हेतु भेजता है। यदि उच्चतम न्यायालय जांच के बाद उन्हें बर्खास्त करने या दी गई सलाह का समर्थन करता है तो राष्ट्रपति अध्यक्ष व अन्य सदस्यों को हटा सकता है। 
  • संविधान के अनुसार उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई सलाह राष्ट्रपति के लिए बाध्य है
  • न्यायालय द्वारा की जा रही जांच के दौरान, राज्यपाल अध्यक्ष व अन्य सदस्यों को निलंबित(suspend) कर सकता है।
  • राज्य लोकर सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य को वेतन सहित सभी खर्च राज्य की संचित निधि से मिलते हैं। अतः राज्य की विधानमंडल द्वारा इस पर मतदान नहीं होता है।

राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष

  • कार्यकाल के बाद UPSC के अध्यक्ष या सदस्य बन सकता है 
  • किसी अन्य राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बन सकता है 
  • भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन नौकरी नहीं कर सकता है।
  • कार्यकाल के बाद  दूसरे कार्यकाल के लिए  पुनः नियुक्त नहीं किया जा सकता

राज्य लोक सेवा आयोग का सदस्य

  • उस राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बन सकता है
  • कार्यकाल के बाद UPSC का अध्यक्ष या सदस्य बन सकता है
  • अन्य राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अध्यक्ष बन सकता है
  •  भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन नौकरी नहीं कर सकता है।
  • कार्यकाल के बाद दूसरे कार्यकाल के लिए  पुनः नियुक्त नहीं किया जा सकता 

कार्य 

  • राज्य लोक सेवा आयोग राज्य की सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का आयोजन करता है। 
  • राज्य लोक सेवा आयोग हर वर्ष अपने कार्यों की रिपोर्ट राज्यपाल को देता है। राज्यपाल इस रिपोर्ट को  विधानमंडल के समक्ष रखता है।

सीमाएं

निम्नलिखित मामलो को राज्य लोक सेवा आयोग के अधिकार क्षेत्र के बाहर रखा गया है। 

(क) पिछड़ी जातियों की नियुक्तियों/आरक्षण के मामलो से । 

  • राज्यपाल ,राज्य लोक सेवा आयोग के किसी सेवा या विषय को हटा सकता है। 
  • इसके लिए राज्यपाल को कम से कम 14 दिनों तक के लिए राज्य विधानमंडल के समक्ष रखना होगा। राज्य का विधानमंडल इसे संशोधित या खारिज कर सकता है। 
  • राज्य लोक सेवा आयोग की सुझाव भी सलाहकारी हैं, यानी यह सरकार के लिए बाध्य नहीं है।
  • राज्य लोक सेवा आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है ।
  • 1964 में राज्य सर्तकता आयोग के गठन किया गया 
  • जिला न्यायाधीश के अलावा न्यायिक सेवा में भर्ती से संबंधित नियम बनाने के मसले पर राज्यपाल, राज्य लोक सेवा आयोग से संपर्क करता है। इस मामले में संबंधित उच्च न्यायालय से भी संपर्क किया जाता है।

संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग

  • दो या इससे अधिक राज्यों के लिए संविधान में संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग की व्यवस्था की गई है। 
  • संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग का गठन राज्य विधानमंडल की आग्रह से संसद द्वारा किया जाता है।(संविधान में उल्लेख नहीं) 
  • इस तरह संयुक्त राज्य लोक सेवा संवैधानिक आयोग एक संस्था है न कि संवैधानिक। 
  • संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। 
  • उनका कार्यकाल छह वर्ष अथवा 62 वर्ष की आयु तक होता है। 
  • उन्हें राष्ट्रपति द्वारा बर्खास्त किया या हटाया जा सकता है। 
  • वे किसी भी समय राष्ट्रपति को त्यागपत्र दे सकते है। 
  • संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या और सेवा शर्तों को राष्ट्रपति निर्धारित करता है।
  • संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग वार्षिक रिपोर्ट संबंधित राज्यपालों को सौंपता है। प्रत्येक राज्यपाल इसे राज्य विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत करता है। 
  • संघ लोक सेवा आयोग, राज्यपाल के अनुरोध व राष्ट्रपति की संस्तुति के बाद राज्य की आवश्यकतानुसार भी कार्य सकता है।

315

संघ तथा राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग

316

सदस्यों की नियुक्ति तथा कार्यकाल

317

लोक सेवा आयोग के सदस्य की बर्खास्तगी एवं निलम्बन 

318

आयोग के सदस्यों एवं कर्मचारियों की सेवा शर्तों संबंधी नियम बनाने की शक्ति 

319

आयोग के सदस्यों द्वारा सदस्यता समाप्ति के पश्चात् पद पर बने रहने पर रोक 

320

लोक सेवा आयोगों के कार्य

321

लोक सेवा आयोगों के कार्यों को विस्तारित करने की शक्ति

322

लोक सेवा आयोगों का खर्च

323

लोक सेवा आयोगों के प्रतिवेदन

 

Leave a Reply