• साहित्यिक साक्ष्य 
  • फारसी तथा अरबी साहित्य
    • तुर्क-अफगान शासक मूलतः सैनिक थे और स्वयं शिक्षित नहीं थे। हालाँकि उन्होंने इस्लामी विधाओं और कलाओं को प्रोत्साहन दिया। प्रत्येक सुल्तान के दरबार में फारसी लेखकों, विद्वानों तथा कवियों का जमावड़ा लगा रहता था। उनकी रचनाओं से उस काल के इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिलती हैं। इनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है:
  • तारीख-उल-हिंद 
    • इस पुस्तक की रचना अलबरूनी द्वारा की गई। 
    • वह महमूद गजनवी के आक्रमण के समय भारत आया था। यह पुस्तक “किताब-उल-हिंद’ के नाम से भी प्रसिद्ध है। 
  • चचनामा 
    • यह अरबी भाषा में लिखी गई है। 
    • मुहम्मद अली-बिन-अबू बकर कूफी ने नासिरुद्दीन कुवाचा के समय में इसका फारसी में अनुवाद किया। 
    •  ‘चचनामा’ अरबों की सिंध-विजय की जानकारी का मूल स्रोत है।
  • ताज़-उल-मासिर 
    • इसकी रचना हसन निज़ामी द्वारा की गई। 
    • इस पुस्तक में 1192 ई. से 1228 ई. तक के भारत की घटनाओं का विवरण दिया गया है। दिल्ली सल्तनत के प्रारंभिक दिनों का प्रामाणिक इतिहास इस पुस्तक में पर्याप्त रूप से मिलता है। 
    •  यह अरबी एवं फारसी दोनों भाषाओं में लिखी गई है। 
  • तारीख-ए-फिरोजशाही 
    • ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ जियाउद्दीन बरनी की कृति है। 
    • वह तुगलक शासकों का समकालीन था।
    •  ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ में बलबन के सिंहासनारोहण से लेकर फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल के छठे वर्ष तक का वर्णन है। 
    • बरनी राजस्व अधिकारी के पद पर कार्यरत था । 
    • इसके साथ ही अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल की सामाजिक तथा आर्थिक दशा का इस पुस्तक में सजीव वर्णन मिलता है। 
  • फुतूहात-ए-फिरोज़शाही 
    • इसमें फिरोजशाह तुगलक के शासन प्रबंध के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
    • फिरोज़शाह तुगलक ने इसे लिखा है। 
  • जैनुल अखबार 
    • इस पुस्तक के लेखक अबी सईद थे। इसमें ईरान के इतिहास का वर्णन किया गया है। 
    • इस पुस्तक से महमूद गजनवी के जीवन तथा क्रियाकलापों का जानकारी मिलती है। 
  • तबकात-ए-नासिरी 
    • इस पुस्तक का लेखक मिन्हाज-उस-सिराज है, जिसने मुहम्मद गौरी की भारत विजय से लेकर 1259-60 ई. तक का वर्णन किया है।
  • तारीख-ए-मसूदी 
    • अरबी भाषा के इस किताब का लेखक अबुल फजल मुहम्मद बिन हुसैन अल बैहाकी था। 
    • इस किताब में दरबारी षड्यंत्र तथा राजनीतिक चालों का बड़ा ही प्रभावकारी वर्णन किया गया है। 
    • ‘तारीख-ए-मसूदी’ सल्तनत कालीन इतिहास के शासक महमूद गजनवी एवं मसूद के शासनकाल का उत्कृष्टतम ऐतिहासिक स्रोत है।
  •  किताब-उल-रेहला 
    • इसका लेखक अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता था। 
    • सन् 1333 ई. में वह भारत आया और यहाँ 1342 ई. तक रहा। 
    • उसने मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में न्यायिक पद पर कार्य किया। 
    • अरबी भाषा में लिखित इस पुस्तक में मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल की राजनीतिक तथा सामाजिक स्थिति का अच्छा चित्रण किया गया है। 
  • तारीख-ए-सलातीन-ए-अफगान या तारीख-ए-शाही 
    • यह पुस्तक अहमद यादगार द्वारा लिखी गई है। 
    • इसमें अफगानों एवं लोदी वंश के शासनकाल के इतिहास की पर्याप्त जानकारी मिलती है। 
  • किताब-उल-यामिनी 
    • इसकी रचना ‘उत्बी’ के द्वारा की गई थी। 
    • इस पुस्तक में सुबुक्तगीन और महमूद गजनवी के 1020 ई. तक के इतिहास की जानकारी मिलती है। 
  • खजायन-उल-फुतूह 
    • यह पुस्तक अमीर खुसरो के द्वारा लिखी गई। इससे दिल्ली सल्तनत के इतिहास से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिलती है।
  • फतवा-ए-जहाँदारी 
    • इस पुस्तक की रचना ज़ियाउद्दीन बरनी ने की है।
  •  हिंदी, संस्कृत तथा स्थानीय भाषाओं का साहित्य 
    •  इस काल में रामानुज ने ब्रह्मसूत्रों पर टीकाएँ लिखी।
    •  जयदेव ने ‘गीत गोविंद‘ तथा ‘प्रसन्नराघव‘ नाटक की रचना की। 
    • जयसिंह सूरी ने ‘हम्मीर-मद-मर्दन‘, रवि वर्मन ने ‘प्रद्युम्नाभ्युदय‘, विद्यानाथ ने ‘प्रतापरुद्रकल्याण’ नामक नाटक की रचना की। 
    • हिंदू कानून पर आधारित प्रसिद्ध ग्रंथ ‘मिताक्षरा‘ की रचना विज्ञानेश्वर ने इसी काल में की थी, जो इतिहास की एक अमूल्य निधि है। 
    • ज्योतिष के प्रसिद्ध विद्वान भास्कराचार्य ने ‘योग वैशेषिक’ तथा ‘न्याय दर्शन’ पर टीकाएँ लिखी । 
    • कल्हण की ‘राजतरंगिणी‘ जो इसी काल में लिखी गई, एक प्रामाणिक ऐतिहासिक रचना है। 
    • चंदबरदाई कृत ‘पृथ्वीराज रासो‘ नामक रचना से पृथ्वीराज चौहान के समय की जानकारी प्राप्त होती है। 
    • नयनचंद्र सूरी द्वारा रचित ‘हम्मीर महाकाव्य’ से हमें रणथंभौर के राणा हम्मीर की जानकारी मिलती है। 

विदेशी यात्रियों का विवरण

  • सल्तनत काल में अनेक विदेशी यात्री भारत आए। इनमें से कुछ सल्तनतकालीन यात्रियों के विवरण निम्नलिखित हैं:
  • अलबरूनी
    • अलबरूनी ख्वारिज्म से भारत आया था। 
    • वह फारसी तथा अरबी भाषा का अच्छा ज्ञाता था। उसने संस्कृत, हिंदू धर्म तथा भारतीय दर्शन का अध्ययन किया। 
    • उसने अनेक पुस्तकें लिखीं, जिसमें ‘तारीख-उल-हिंद’ सर्वाधिक प्रसिद्ध है। इससे प्रारंभिक 11वीं शताब्दी के हिंदुओं के साहित्य, विज्ञान, धर्म तथा सामाजिक परंपराओं की जानकारी प्राप्त होती है।
  • इब्न बतूता
    • इब्न बतूता (मोरक्को, अफ्रीका) 1333 ई. में भारत आया था। 
    • आठ वर्ष भारत में रहने के दौरान उसने भारत में अनेक स्थानों की यात्राएँ की और भारतीयों के खान-पान, रहन-सहन, धर्म-परंपरा आदि के विषय में बारीकी से लिखा। 
    • इब्न बतूता, मुहम्मद बिन तुगलक के राजदरबार में काम करता था, जिस कारण उसे दरबारी राजनीति का भी व्यावहारिक ज्ञान था। 
    • इब्न बतूता प्रकृति प्रेमी था अतः उसके यात्रा वृत्तांत में पशु-पक्षियों और वनस्पति का बड़ा सुंदर वर्णन मिलता है। 
    • अपने ग्रंथ ‘किताब-उल-रेहला‘ में उसने भारत के विषय में विस्तार से लिखा है।
  • मार्कोपोलो
    • मार्कोपोलो 13वीं शताब्दी में भारत आया था; वह वेनिस का निवासी था, जो पांड्य राजा के दरबार में आया था। 
    • उसने दक्षिण भारत के सामाजिक जीवन का सजीव वर्णन किया है। 
    • मार्कोपोलो को मध्यकालीन यात्रियों का राजकुमार कहा जाता है। 
  • अब्दुर्रज्जाक 
    • अब्दुर्रज्जाक 1442-43 ई. में भारत आया था। 
    • उसने देवराय द्वितीय के शासनकाल में तैमूर राजवंश के शासक शाहरूख के राजदूत के रूप में विजयनगर साम्राज्य का दौरा किया था। 
    • अपनी यात्रा वृत्तांत में उसने विजयनगरकालीन सामाजिक तथा आर्थिक जीवन का विस्तार से वर्णन किया है।
  • निकोलो डी कॉण्टी 
    •  निकोलो डी कॉण्टी इटली का रहने वाला था। 
    • सन् 1420-21 में वह भारत आया था। उसने देवराय प्रथम के शासनकाल में विजयनगर साम्राज्य का दौरा किया था।  
    • उसने ‘ट्रैवल्स ऑफ निकोलो कॉण्टी’ नामक पुस्तक में इस यात्रा का वर्णन किया है। 
  •  डोमिंगो पायस 
    • डोमिंगो पायस पुर्तगाली यात्री था। 
    • उसने दक्षिण भारत की यात्रा के दौरान विजयनगर साम्राज्य के शासक कृष्णदेव राय के शासनकाल में प्राचीन हम्पी के सभी ऐतिहासिक पहलुओं का विस्तृत वर्णन किया। 
  • फर्नाओ नुनीज 
    • वह एक पुर्तगाली यात्री, इतिहासकार और घोड़ों का व्यापारी था। 
    • उसने अच्युतराय के शासनकाल के दौरान भारत का दौरा किया था और विजयनगर में तीन साल बिताए थे। 

पुरातात्त्विक साक्ष्य 

  • सल्तनत काल के इतिहास की जानकारी पुरातात्विक स्रोतों से भी होती है। सल्तनतकालीन वास्तु शैली भारतीय तथा विदेशी शैलियों का मिश्रण थी। 
  • भारत में प्रारंभिक तुर्क विजेताओं ने हिंदू और जैन मंदिरों की सामग्री से मस्जिदों का निर्माण कराया। 
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (मेहरौली, दिल्ली), अढ़ाई दिन का झोंपड़ा (अजमेर) तथा कुतुबमीनार (मेहरौली, दिल्ली) बनवाई। ये इमारतें इंडो-इस्लामिक वास्तुकला के जीवंत उदाहरण हैं। 
  • नोट: कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1199 ई. में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के परिसर में कुतुबमीनार का निर्माण शुरू करवाया, जिसे इल्तुतमिश ने चार मंजिला तक पहुंचा दिया। कालांतर में कुतुबमीनार की मरम्मत फिरोजशाह तुगलक, सिकंदर लोदी व  आगे मेजर आर. स्मिथ ने करवाई। 
  • सल्तनतकालीन अन्य इमारतों में बलबन का ‘लालमहल‘, अलाउद्दीन ख़िलजी के शासनकाल में निर्मित ‘अलाई दरवाजा’ तथा मुबारक शाह खिलजी द्वारा राजस्थान के बयाना में बनवाया गया ‘उखा मस्जिद प्रसिद्ध है।
  •  तुगलककालीन प्रमुख इमारतों में तुगलकाबाद का किला, जहाँपनाह नगर, गयासुद्दीन का मकबरा, कोटला फिरोजशाह आदि तो लोदीकालीन इमारतों में ‘सिकंदर लोदी का मकबरा’ तथा ‘मोठ की मस्जिद’ काफी प्रसिद्ध हैं। 
  • मुगलकालीन प्रमुख ऐतिहासिक स्रोत
  • मुगलकालीन इतिहास की जानकारी के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं:
  • साहित्यिक साक्ष्य
  • मुगल काल में अनेक साहित्यिक साक्ष्य उपलब्ध हैं, जो इस काल के इतिहास के आधार हैं। इनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है:
  • तुजुक-ए-बाबरी/बाबरनामा 
    • तुजुक-ए-बाबरी/बाबरनामा बाबर की आत्मकथा है। 
    • बाबर ने इस कृति की रचना तुर्की भाषा में की थी। 
    • इस पुस्तक में बाबर ने 5 मुस्लिम राज्यों-दिल्ली, बहमनी, बंगाल, गुजरात व मालवा तथा दो हिंदू राज्यों-विजयनगर व मेवाड़ का उल्लेख किया है। 
    •  ‘बाबरनामा’ के विषय में लेनपूल ने लिखा है- “उसकी आत्मकथा उन  बहुमूल्य लेखों में से एक है, जो समस्त युगों में बहुमूल्य रही है।” 
  • हुमायूँनामा 
    • इस पुस्तक की रचना हुमायूँ की बहन गुलबदन बेगम ने फारसी भाषा में की थी। 
    •  इसमें बाबर और हुमायूँ के शासनकाल का विवरण है और तत्कालीन समाज का उल्लेख किया गया है। 
  • तारीख-ए-शेरशाही 
    • इससे शेरशाह के शासनकाल की सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक स्थिति की जानकारी मिलती है। 
    • इसके लेखक अब्बास खाँ शेरवानी था। 
    • पुस्तक के प्रथम अध्याय में शेरशाह के शासन के बारे में जानकारी दी गई है, दूसरे अध्याय में इस्लाम शाह का वर्णन है और तीसरे अध्याय में अंतिम सूर शासकों का वर्णन है।
  • तारीख-ए-रशीदी 
    • इस पुस्तक की रचना मिर्जा हैदर दुगलात ने की थी। 
    • इसमें बाबर के अंतिम दिनों व हुमायूँ तथा शेरशाह के शासनकाल की घटनाओं का वर्णन मिलता है। 
    • इस पुस्तक में लेखक ने मध्य एशिया और भारत के इतिहास के बारे में काफी जानकारी दी है तथा 1540 ई. के कन्नौज के युद्ध (हुमायूँ और शेरशाह के मध्य) का सजीव वर्णन किया है। 
  • तारीख-ए-फ़रिश्ता 
    • इसकी रचना मुहम्मद कासिम फ़रिश्ता द्वारा की गई। 
  • तबकात-ए-अकबरी
    • इसकी रचना ख्वाजा निज़ामुद्दीन अहमद द्वारा की गई। 
  • अकबरनामा 
    •  ‘अकबरनामा’ अबुल फजल की कृति है। 
    • यह फारसी भाषा में रचित मुगलकालीन भारत की महत्त्वपूर्ण रचना है। 
    • अकबर के शासनकाल के बारे में जानने हेतु यह सबसे महत्त्वपूर्ण और मौलिक रचना है। इसके प्रथम भाग में बाबर व हुमायूँ के शासनकाल का वर्णन है, दूसरे भाग में अकबर के शासनकाल के प्रथम छियालीस वर्षों का वर्णन है, जबकि तीसरे भाग को ‘आइन-ए-अकबरी’ कहा जाता है, जो अपने समय की अमूल्य धरोहर है।’ 
  • तुजुक-ए-जहाँगीरी 
    •  यह जहाँगीर की आत्मकथा है। इस रचना को पूर्ण करने में मुतामिद खाँ और बक्शी का भी सहयोग था। 
    •  ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’ में जहाँगीर ने अपने बड़े बेटे खुसरो के विद्रोह के बारे में भी लिखा है।
  • शाहजहाँकालीन रचनाएँ 
    • इस काल की रचनाओं में ‘पादशाहनामा’, ‘शाहजहाँनामा’ तथा ‘बादशाहनामा‘ प्रमुख हैं।
    • ‘पादशाहनामा’ की रचना काज़विनी, ‘शाहजहाँनामा’ की रचना इनायत खाँ तथा ‘बादशाहनामा’ की रचना अब्दुल हामिद लाहौरी ने की थी। 
  • औरंगज़ेबकालीन रचनाएँ 
    • औरंगजेब के काल में मुंतखाब-उल-लुबाब (खफी खाँ), आलमगीरनामा (मिर्जा मुहम्मद काज़िम), मासिर-ए-आलमगीरी (साकी मुस्तैद खाँ), फुतुहात-ए-आलमगीरी (ईश्वरदास नागर) तथा नुस्खा-ए-दिलकुशा (भीमसेन) आदि रचनाएं लिखी गईं। 
    • इन रचनाओं से औरंगजेब कालीन राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक स्थिति की अच्छी जानकारी प्राप्त होती है। 
    • नोटः मुगल कालीन सभ्यता एवं संस्कृति की जानकारी साहित्यिक रचनाओं से भी मिलती है। इस काल में सूरदास, तुलसीदास, रहीम, रसखान आदि के ग्रंथों से तत्कालीन समाज की पर्याप्त जानकारी मिलती है। 
    •  मुगल काल में संस्कृत में भी ग्रंथ लिखे गए, जिनमें भानुचंद्र चरित्र, रस गंगाधर, गंगा लहरी आदि प्रमुख हैं, जिनसे मुगलकालीन इतिहास के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। 
  • पुरातात्त्विक साक्ष्य 
    • मुगलकालीन इतिहास की महत्त्वपूर्ण जानकारी पुरातात्विक स्रोतों से भी मिलती है। इस काल में स्थापत्य कला तथा चित्रकला का चरम विकास हुआ। इस काल में अनेक किले, स्मारक, महलों तथा मकबरों आदि का निर्माण हुआ। 
    • इस काल के प्रमुख इमारतों में शेरशाह का मकबरा, हुमायूँ का मकबरा, आगरा का किला, फतेहपुर सीकरी का किला, एत्मादुद्दौला का मकबरा, ताजमहल, दिल्ली का लाल किला, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शीश महल, मोती मस्जिद, जामा मस्जिद आदि प्रमुख हैं। 
  • मुगलकालीन यूरोपीय यात्रियों का विवरण
    • जहाँगीर के काल में दो प्रसिद्ध यूरोपीय यात्री-हॉकिंस तथा टॉमस रो भारत आए।
    • हॉकिंस को जहांगीर ने अपने दरबार में मनसबदार बनाया। 
    • दूसरा यूरोपीय यात्री सर टॉमस रो था। उसका भारत आने का उद्देश्य जहाँगीर के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित करना था। 

रचना    

  रचनाकार

किताब-उल-हिंद

तारीख -उल-हिंद

अलबरूनी

राजतरंगिणी

कल्हण

गौडवहो

वाक्पति

रामचरित

संध्याकर नंदी

तबकात-ए-नासिरी

मिन्हाज-उस-सिराज

तारीख़-ए-फिरोजशाही

ज़ियाउद्दीन बरनी

खज़ायन-उल-फुतूह

अमीर खुसरो

तुगलकनामा

अमीर खुसरो

नूहसिपहर

अमीर खुसरो

फुतूह-उस-सलातीन

इसामी

फतवा-ए-जहाँदारी

ज़ियाउद्दीन बरनी

किताब-उल-रेहला

इब्नबतूता

 (मोरक्को ,अफ्रीका ) 

तारीख-ए-शेरशाही

अब्बास खाँ शेरवानी

अकबरनामा

अबुल फजल

पादशाहनामा

मुहम्मद अमीन काज़विनी, अब्दुल हामीद लाहौरी मुहम्मद वारिस

नुस्खा-ए-दिलकुशा

भीम5सेन

बल्लालचरित

आनंद भट्ट

पृथ्वीराजरासो

चंदबरदाई

 

मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोत