कंकाल तंत्र (Skeleton system )

कंकाल तंत्र(Skeletal System)

  • कंकाल तंत्र की शरीर की गति में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। 
  • यह अस्थियों एवं उपास्थियों का ढाँचा होता है। 
  • कंकाल तंत्र के मुख्यतः दो भाग होते हैं- बाह्य कंकाल तंत्र एवं अंतःकंकाल तंत्र।

बाह्य कंकाल तंत्र (Exoskeleton System)

  • इसमें हमारे बाल और नाखून आते हैं। नाखून का अगला हिस्सा मृत कोशिकाओं से बने रहते हैं। इनमें रक्त संचरण नहीं होता।

अंतः कंकाल तंत्र (Endoskeleton System) 

  •  इसमें हमारे शरीर के भीतर का अस्थिपंजर आता है। 
  • यह अस्थि एवं उपास्थि का बना होता है। 
  • अस्थि एवं उपास्थि विशेष प्रकार के संयोजी ऊतक होते हैं। 
  • मनुष्य का कंकाल तंत्र 206 अस्थियों (Bones) एवं कुछ उपास्थियों (Cartilages) का बना होता है।

 

अस्थि(Bone) 

  • वयस्क मनुष्य में 206 हड्डियाँ होती हैं। 
  • जन्म के समय शिशुओं में लगभग 300 हड्डियाँ होती हैं। 
  • कैल्शियम फॉस्फेट, अस्थि का महत्त्वपूर्ण अवयव होता है। यह मानव हड्डियों में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है
  • कोलेजन प्रोटीन अस्थि का लगभग 33 प्रतिशत बनाती है। 
  • उम्र बढ़ने के साथ अस्थि में प्रोटीन की मात्रा कम होती जाती है जो इसे अधिक भंगुर (Brittle) बनाती है। 
  • लंबी एवं मोटी अस्थियों के बीच में एक खोखली गुहा (Hollow Cavity) भी पाई जाती है, जिसे मज्जागुहा (Marrow Cavity) कहा जाता है। इस गुहा में एक तरल पदार्थ उपस्थित होता है, जिसे अस्थिमज्जा (Bone Marrow) कहा जाता है।
  • अस्थियों की सामान्य वृद्धि के लिये विटामिन D आवश्यक होता है। 
  • बच्चों में विटामिन डी की कमी से ‘रिकेट्स’ (Rickets) व वयस्कों में विटामिन डी की कमी से ‘ऑस्टियोमलेसिया’ (Osteomalacia) नामक रोग हो जाता है। 
  • ‘ऑस्टियोमाइलाइटिस’ (Osteomyelitis) अस्थियों में होने वाला दर्द युक्त जीवाणु संक्रमण होता है, जो स्टैफिलोकोकस (Staphylococcus) नामक जीवाणु द्वारा होता है 
  • मानव शरीर में सबसे बड़ी अस्थि ‘फीमर’ (जाँघ की अस्थि) तथा सबसे छोटी ‘स्टेप्स’ (कान की हड्डी) होती है। 
  • अस्थि से अस्थि के जोड़ को ‘लिगामेंट्स’ तथा माँसपेशी एवं अस्थि के जोड़ को ‘टेंडन’ कहते हैं। 
  • जानुफलक जिसका दूसरा नाम जान्विक (पटेला) भी है, प्रत्येक घुटने पर सामने की ओर स्थित एक छोटी, त्रिकोणाकार हड्डी होती है। इसे Knee Cap भी कहते है। यह घुटने की संधि की सुरक्षा करती है एवं उसे मोड़ने में सहायता करती है। ऐसी हड्डी सिसमॉइड हड्डी कहलाती है। ‘पटेला’ सबसे बड़ी सिसमॉइड हड्डी है। 
  • महारंध्र द्वारक कपाल में होता है। 

 

मानव कंकाल के भाग 

  • अक्षीय कंकाल (Axial Skeleton) → 80 अस्थियाँ
  • उपांगीय कंकाल (Appendicular Skeleton)→126 अस्थियाँ 
  • कुल हड्डियाँ = 206 अस्थिया

कंकाल तंत्र के रोग 

गठिया (Gout) 

  • गठिया शरीर की अस्थियों की जोड़ों से संबधित एक रोग है। इस रोग में जोड़ों के ऊपर की त्वचा पर सूजन, लालिमा (Redness) तथा दर्द होता है। 
  • पैर के अंगूठे से संबंधित मामले में गठिया को पोडेग्रा (Podagra) कहा जाता है। लगभग 50 प्रतिशत मामलों में पैर के अंगूठे (big toe) की मेटाटार्सल फैलेंजीयल संधि (Metatarsal Phalangeal Joint) प्रभावित होती है। 
  • गठिया रोग होने का कारण शरीर के रक्त (Blood) में यूरिक अम्ल (Uric Acid) के स्तर का बढ़ जाना है। यह यूरिक अम्ल, क्रिस्टलों के रूप में जोड़ों, टेंडन तथा जोड़ों के आसपास के ऊतकों में जमा हो जाता है। 
  • गठिया को ‘राजाओं की बीमारी’ अथवा ‘धनी लोगों की बीमारी’  भी कहा जाता है। 

आर्थराइटिस (Arthritis) या संधि शोथ  

  • यह जोड़ों से संबंधित एक रोग है जिसमें हड्डियों के जोड़ों के स्थान पर सूजन आ जाती है, त्वचा लाल हो जाती है तथा अक्सर जोड़ों में दर्द रहता है।

 

आस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) 

  • यह एक बढ़ती उम्र से संबंधित बीमारी है जिसमें हड्डियाँ कमज़ोर हो जाती हैं तथा उनके टूटने की संभावना बढ़ जाती है। 
  • ऑस्टियोपोरोसिस में अस्थि खनिज घनत्व (Bone Mineral Density-BMD) कम हो जाता है। हड्डियों की प्रोटीन की मात्रा एवं प्रकार असामान्य हो जाते हैं। 
  •  यह रोग हार्मोन (एस्ट्रोजन) की कमी, कैल्शियम एवं विटामिन डी की कमी आदि के कारण होता है। 
  • इस रोग को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है
    • प्राथमिक आस्टियोपोरोसिस (Primary Osteoporosis)
    • द्वितीयक ऑस्टियोपोरोसिस (Secondary Osteoporosis)

प्राथमिक आस्टियोपोरोसिस (Primary Osteoporosis)

यह निम्न दो प्रकार का होता है

1. टाइप-1

  • महिलाओं में रजोनिवृत्ति (Menopause) के बाद इसके होने की संभावना रहती है। 

2. टाइप-2

  • यह बीमारी स्त्री एवं पुरुष दोनों में 75 वर्ष की आयु के बाद होती है। परंतु महिलाओं में होने की संभावना ज्यादा रहती है। 

 

द्वितीयक ऑस्टियोपोरोसिस (Secondary Osteoporosis)

  • यह स्त्री एवं पुरुष दोनों को किसी भी आयु में हो सकती है।
  • आर्थराइटिस या अन्य कारणों से अस्थियों के जोड़ सही रूप से कार्य नहीं कर पाते। इन जोड़ों को आर्थोप्लास्टी करके पुनः ठीक किया जाता है।