प्रस्तावना (प्रस्तावना)
- 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 को ‘मिनी कॉन्स्टिट्यूशन कहा जाता है।
- केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा ,अनुच्छेद 368 के तहत संसद को संविधान के मूल ढांचे’ को बदलने की अनुमति नहीं देती।
संविधान की विशेषताएं
भारतीय संविधान को निम्नांकित नाम दिए गए हैं,
- एकात्मकता की भावना में संघ,
- अर्थ संघ-के.सी. वेरे
- Bargaining Federalism -मॉरिज जोंस
- Co-operative Federalism – ग्रेनविल ऑस्टिन
- Federation with a Centralizing Tendency – आइवर जेनिंग्स
- संसदीय प्रणाली को सरकार के वेस्टमिंस्टर” रूप, उत्तरदायी सरकार और मंत्रिमंडलीय सरकार के नाम से भी जाना जाता है।
- संसद की संप्रभुता का नियम ब्रिटिश संसद से से लिया गया है।
- न्यायपालिका की सर्वोच्चता का सिद्धांत, अमेरिका से लिया गया है।
- अमेरिकी संविधान में ‘विधि की नियत प्रक्रिया’ का प्रावधान है,
- भारतीय संविधान में विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया’ (अनुच्छेद 21) का प्रावधान है।
- संविधान के तीसरे भाग में छह मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है।
- राज्य के नीति-निदेशक सिद्धांत का उद्देश्य भारत में एक ‘कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
- मूल संविधान में मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख नहीं किया गया है।
- इन्हें स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश के आधार पर 1976 के 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से 10 मौलिक कर्तव्य शामिल किया गया था।
- 2002 के 86वें संविधान संशोधन ने एक और मौलिक कर्तव्य को जोड़ा।
- संविधान के 4ए भाग में मौलिक कर्तव्यों का जिक्र किया गया है (जिसमें केवल एक अनुच्छेद 51-क है)।
- नीति-निदेशक तत्वों की तरह मौलिक कर्तव्यों को भी कानून रूप में लागू नहीं किया जा सकता।
- वर्ष 1976 के 42वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष‘ शब्द को जोड़ा गया।
- राज्य सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने के लिए प्रयास करेगा (अनुच्छेद-44)
- 1989 में 61वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1988 के द्वारा मतदान करने की उम्र को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया था।
- संविधान में तीन प्रकार के आपातकाल की विवेचना की गई है:
- 1.राष्ट्रीय आपातकालः युद्ध, आक्रमण अथवा सशस्त्र (अनुच्छेद-352)।
- 2.राज्य में आपातकाल(राष्ट्रपति शासन):
- राज्यों में संवैधानिक तंत्र की असफलता (अनुच्छेद 356)
- केन्द्र के निर्देशों का अनुपालन करने में असफलता (अनुच्छेद 365)
- 3. वित्तीय आपातकालः(अनुच्छेद 360)
- वर्ष 1992 में 73वें एवं 74वें संविधान संशोधन ने तीन स्तरीय (स्थानीय) सरकार का प्रावधान किया गया, जो विश्व के किसी और संविधान में नहीं है।
- संविधान में एक नए भाग (9वें) एवं नई अनुसूची (11वीं) जोड़कर वर्ष 1992 के 73वें संविधान संशोधन के माध्यम से पंचायतों को संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई। इसमें एक नया भाग 9 जोड़ा गया।
- 74वें संविधान संशोधन विधेयक, 1992 ने एक नए भाग 9ए तथा नई अनुसूची 12वी को जोड़कर नगरपालिकाओं (शहरी स्थानीय सरकारें) का संवैधानिक मान्यता प्रदान की।
- 97वां संविधान संशोधन अधिनियम 2011 ने सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा और संरक्षण प्रदान किया।
- सहकारी समिति गठित करने के अधिकार को मौलिक अधिकार बना दिया (अनुच्छेद 19)
- सहकारी समितियों प्रोत्साहन देने के लिए एक नया राज्य का नीति निदेशक तत्व जोड़ा (अनुच्छेद 43-B)
- इसने संविधान में एक नया भाग IX-B जोड़ा “सहकारी समितियां” (The Co-operative Societies) शीर्षक से (अनुच्छेद 243 ZH से लेकर 243-ZT तक)