9. सेवाँतिक बाउँड़ी मेला- सुभद्रा कुमारी, नारायणपुर, नावाडीह, बोकारो
हाइरे हामर सेवाँतिक मेला
चाइरो दनेक लोक कुधाइ गेला,
हाइरे हामर सेवाँतिक मेला ।
अर्थ : सेवाँतिक टुसू मेला(बाउँड़ी मेला) मकर संक्रांति के समय बोकारो के कसमार प्रखंड के सुदूरवर्ती झारखंड-बंगाल की सीमा पर सेवाँति घाटी में लगता है। उसी के बारे में लेखिका लिखती है ,हाय रे हमारा सेवाँति (स्थान का नाम ) का मेला ,चारों तरफ से लोगों का भीड़ से खचाखच मेला भर गया। हाय रे हमारा सेवाँति (स्थान का नाम ) का मेला।
चढ़इते नाभइते भाला
माझे-माझे बहइ नाला,
नाला देखी पियास लागी गेला
हाइरे हामर सेवाँतिक मेला …
अर्थ : चढ़ते-उतरते भला हालत खराब बीच-बीच में नाला बहती है नाला को देखकर प्यास लग गया। हाय रे हमारा सेवाँति (स्थान का नाम ) का मेला।
ठोनगी (मुँह /गर्दन ) उठाइ पानी पिला ।
चढ़इते गाड़ी ठेला
नाभइते बेरेक देला
माझे-माझे गाड़ी रोइक देला,
हायरे हामर सेवाँतिक मेला …
सारइ पतइ टिइप खाला
दिदी बोहनइ बुँदिया लेला
छोउवा पुता मिली सभीन खाइला,
हाइरे हामर सेवाँतिक मेला
चाइरो दनेक लोक कुधाइ गेला
हायरे हामर सेवाँतिक मेला ।
Q. सेवाँतिक बाउँड़ी मेला के लिखबइया के लागथीन ? सुभद्रा कुमारी
Q.सुभद्रा कुमारी के जन्मथान हकय ? नारायणपुर, नावाडीह, बोकारो
Q. सेवाँतिक बाउँड़ी मेला गीत कौन किताब में छपल/इंजरायल हे ? सोहान लागे रे
Q. सेवाती घाटी कँहा स्थित है ? बोकारो के कसमार प्रखंड के सुदूरवर्ती झारखंड-बंगाल की सीमा पर
Q.सेवाँतिक बाउँड़ी मेला कौन जिला में लगता है ? बोकारो
Q.सेवाँतिक टुसू मेला कौन जिला में लगता है ? बोकारो