पाकिस्तान का अलग राज्य आंदोलन
separate state movement of pakistan
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मुहम्मद इकबाल को प्रायः मुसलमानों के लिये पृथक् राष्ट्र के विचार का प्रवर्तक माना जाता है।
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इकबाल ने 1930 में मुस्लिमलीग के इलाहाबाद अधिवेशन में ‘द्विराष्ट्र’ के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
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1933-35 के बीच कैंब्रिज(इंग्लैंड) में पढ़ने वाले चौधरी रहमत अली नामक एक मुस्लिम छात्र ने ‘पाकिस्तान’ शब्द को गढ़ा।
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इनके परिकल्पित पाकिस्तान में पंजाब, अफगान प्रांत, कश्मीर, सिंध तथा बलूचिस्तान को शामिल होना था।
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इस प्रस्ताव की रूपरेखा तैयार करने में फज़लूल हक तथा सिकंदर हयात खाँ ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई
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23 मार्च, 1940 को मुस्लिम लीग का वार्षिक अधिवेशन लाहौर में संपन्न हुआ। इस अधिवेशन में पाकिस्तान का प्रस्ताव पारित किया गया। इस अधिवेशन की अध्यक्षता मोहम्मद अली जिन्ना ने की थी।
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पृथक् पाकिस्तान की मांग को पहली बार आंशिक मान्यता 1942 में क्रिप्स प्रस्तावों में मिली। प्रस्तावों में व्यवस्था थी कि ब्रिटिश भारत का कोई राज्य यदि भारतीय गणराज्य से अलग होना चाहे तो उसे आज़ादी मिलेगी।
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23 मार्च, 1943 को मुस्लिम लीग लीग द्वारा ‘पाकिस्तान दिवस‘ मनाया गया।
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मुस्लिम लीग, ने 29 जून, 1946 को कैबिनेट मिशन योजना ( 1946) को अस्वीकार कर दिया तथा 16 अगस्त को ‘सीधी कार्यवाही दिवस‘ की घोषणा की।
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1947 में मुस्लिम बहुल प्रांत पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत तथा पूर्वी बंगाल को मिलाकर एक नया राष्ट्रीय स्वतंत्र पाकिस्तान का गठन किया गया
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14 Aug 1947 को पाकिस्तान बना।
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पाकिस्तान की राजधानी का क्रम
कराची(1947)—–रावलपिंडी(अस्थायी)—– इस्लामाबाद(1968 )
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14 अगस्त, 1947 को मुहमद अली जिन्ना पाकिस्तान के प्रथम गवर्नर जनरल बने और लियाकत अली खान प्रथम प्रधानमंत्री बने