1.सात भाय एक बहिन – शांति भारत

  • पुस्तक – खोरठा लोकसाहित्
  • प्रकाशक – झारखण्ड जनजातीय कल्याण शोध सस्थान ,मोरहाबादी ,रांची ,कल्याण विभाग झारखण्ड सरकार 
    • प्रथम संस्करण – 2012   “©www.sarkarilibrary.in”
  • संपादक – 
    • प्रधान संपादकए. के. झा
    • अन्य संपादक
      • गिरिधारी गोस्वामी आकाशखूंटी 
      • दिनेश दिनमणि
      • बी एन ओहदार
      • श्याम सुन्दर महतो श्याम 
      • शिवनाथ प्रमाणिक
      • चितरंजन महतो “चित्रा’
  • रूपांकनगिरिधारी गोस्वामी आकाशखूंटी
  • मुद्रक – सेतु प्रिंटर्स , मोरहाबादी ,रांची 

KeyPoints – सात भाय, एगो बहिन सुगा, सात भोजी, घोड़ा, एगो फुटल घइला, खुदी-चुनिक माँड़, बाँध  घाटें , बेंग, बिन-बांधनाक एक बोझा काठ, बोनेक साँप, बोनेक सभे  जीउ-जंतु, धामना साँप, एगो जोतल बारी, एक पइला सइरसा , एक पाल पेरवा, डुमइर, कोइर काँटा, बाबला काँटा  “©www.sarkarilibrary.in”

 

हिंदी संक्षेपण 👍

सात भाय एक बहिन लोककथा के संकलनकर्ता शांति भारत है। इस लोक कथा में सात भाइयों की एक दुलारी बहन है जिसका नाम है –  सुगा।  इन सभी के माता-पिता का देहांत हो चुका है।  सातों भाइयों के द्वारा ही बहन का पालन पोषण किया गया। सातों भाइयों का विवाह हो चुका है। सभी भाभियों को , भाइयों का बहन के प्रति प्यार देखकर उन्हें बड़ा चीड़ होता था। वह सभी सोचती थी कि उनके पति उन पर ज्यादा ध्यान सुगा के कारण नहीं देते हैं।  बाहर से तो सभी उन्हें ‘नुनी-नुनी’ कहते थे।  जबकि सभी भाभियों हमेशा यह सोचते रहती  थे कि कैसे सुगा से छुटकारा मिले। 

एक बार सातों भाई व्यापार करने के लिए बाहर चलेते हैं।  जाने से पहले वे अपनी पत्नियों को कहते हैं कि सुगा हमारी एकलौती और प्यारी बहन है।  उसका मां-बाप की तरह हम लोगों ने पालन पोषण किया है।  उसका ध्यान अच्छे से रखना।  किसी भी प्रकार का परेशानी नहीं होना चाहिए।  यह कहने के बाद सातो भाई घोड़ा में चढ़कर व्यापार करने चले गए।  “©www.sarkarilibrary.in”

बिना मर्द के घर की महिलाएं ही अब मालिक बन गई।  सातों गोतनी में मंझली गोतनी सबसे ज्यादा बदमाश थे।  क्योंकि उसके ससुराल वाले थोड़े पैसे वाले थे।  मंझली सभी गोतनी को हमेशा उकसाते रहते थी , कि सुगा को ज्यादा माथा पर मत चढ़ाओ।  सुगा को कुछ काम करने का तरीका भी नहीं पता है।  शादी के बाद वह जब ससुराल जाएगी तो वहां हमेशा गाली सुनेगी और ससुराल वाले दोष हम गोतनीयो को ही देंगे।  

सातों मिलकर सुगा के खिलाफ साजिश करने लगी। सातों गोतनी खुद खाती-पीती, लेकिन सुगा को कोई नहीं पूछती थी की ,खाई कि नहीं खाई, भूखे है तो है किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता।  पहले वे उसे नुनी नुनी कहकर पुकारते थे, अब ए लो सुगिया कहकर पुकारने लगे। 

एक दिन वै सातो सुगा को फूटा हुआ घड़ा देते हैं और तालाब से पानी भर लाने के लिए कहते हैं।  तभी उसे खाने के लिए खुदी-चुनिक माँड़ मिलेगा।  सुबह तलाब जाती है और वहां खूब रोती है जहां उसका मदद बांध के मेढको  के द्वारा किया जाता है।  उन्हीं के सहायता से वह फूटे घड़े में पानी भर घर आती है।

फिर दूसरे दिन उसे जंगल से बिना रस्सी बांधे हुए एक बोझा  लकड़ी  लाने के लिए कहते हैं।  वह जंगल में खूब रोती है फिर उसका मदद धामना सांप करता है और वह लकड़ी लेकर घर वापस लौट आती है।  “©www.sarkarilibrary.in”

तीसरे परीक्षा में एक जुटे हुए खेत में एक पइला सरसों के बीज छींट दिया जाता है जिनको उसे चुनने के लिए कहा जाता है इस परीक्षा में उसका मदद कबूतरों (एक पाल पेरवा) के द्वारा किया जाता है।

इन तीनों परीक्षाओं में पास होने से उनकी सभी भाभी आश्चर्यचकित हो जाती है।  फिर कुछ दिन वे शांत रहती है।  फिर एक दिन वे  सुगा  से कहती है कि, बहुत दिन से डूमर का सब्जी नहीं बना है।  चलो जंगल, जंगल से डूमर तोड़कर लाएंगे और सब्जी बनाएंगे।  

जंगल में डूमर के पेड़ पर सुगा चढ़ती है और पेड़ से तोड़कर गिराने लगती है।  तब तक उनकी भाभिय डूमर पेड़ के चारों और कांटा बिछा देती है और घर वापस लौट आती है।  सुगा डूमर के पेड़ में ही बैठी हुई रोती रह जाती है और रात हो जाता है।  “©www.sarkarilibrary.in”

ठीक उसी रात उसके सभी भाई उसी रास्ते से घर लौट रहे थे और सभी उसी डूमर पेड़ के नीचे आराम करने लगे।  तभी सबसे छोटे भाई के शरीर में एक दो बूंद आंसू गिरता है।  फिर सभी भाई जब पेड़ के ऊपर देखते हैं तो वहां सुगा रहती है।  फिर वह सुगा को वहां से उतारते हैं और घर ले जाते हैं।  घर में वे अपनी पत्नियों को पूछते हैं कि सुगा कहां है।  तो वह कहती है कि सुगा कहीं बाहर तरफ खेलने गई है।  यह सुनकर सभी आग बबूला हो जाते हैं और अपनी पत्नियों को दम तक मारते हैं।  फिर सुगा आगे आती है और उनका बचाव करती है।  

फिर कुछ दिन तक वह सभी हंसी खुशी साथ में रहने लगे।  फिर सुगा का विवाह पहाड़ धार में तय होता है।  उसका शादी हो जाता है और विदाई में सातों भाई और उनकी भाभिय खूब रोती है।  “©www.sarkarilibrary.in”

 

सात भाय एक बहिन – शांति भारत 

सात भायेएगो दुलरइति बहिन हली सुगामाञ-बाप मोइर गेल हल्थिन । सातो भाइ दुलारें बहिनके पोसल हला। सातो भायेक बिहा भइ गेल हलइन। बहिन बाट बेसी टान देइख सातो भोजीक बड़ी पसपसी । ऊ सभेक सोंच हलइ जे बहिनेक पियारेक चलते मरदइन जनीक बाट बेसी धेयान नाइ दे हथ। से लेल बाहर से तो सब ‘नुनी-नुनी’ कहतला मेनेक भितर-भितर कि तरि सुगा से छुटकारा पइता तकर उपाय सोंचइत रहतला ।

 

एक बेर सातो भाइ बनीजें (बेपार करे) बाहर जाइ लागला । जाइक सँवइ सातो भाइ जनियइन के कहल्थिन- “सुगा हामनिक साधेक बहिन लागी । हामनिएँ ओकर माँय-बाप। ओकर जइसें कोन्हों दुख नाँइ हवेक चाही।” तकर बाद सातो भाइ घोड़ा चढ़ला आर बनिजें चइल गेला । “©www.sarkarilibrary.in”

 

बिन मरदेक घारें जनिए भेला मालिक । सातो गोतनिक हाँथें घार-कारना अइलइ । तो जइसन मन तइसन खाइ-पींधे लागला । मेंतुक मंझली तनी परसिनाही हलिक, काहे जे ओकर नइहराइ तनी बेसे चास-बारी आर चमक-दमक हलइ । ऊ सभे गोतनिक उसकुवइते रहतलइन जे सुगिया के एते दुलार देले ऊ मुड़ें चढ़तो। आर लुइर नॉइ सिखलें ओकर ससुर घारेक लोकें सातो गोतनिक ढेंस लगाइकें गाइर देवथिन ।

 

एहे बुझा मता करल बादें सातो गोतनी खुनुस खोजे लागल्थिन । सातो खइतला-पितला, मेंतुक सुगाक खोज पुछाइर के करे। बेचारी सुगा खाइल ही तो खाइल ही, भुखें ही तो भुखें ही जे भउजी सब सुगा के ‘नुनी नुनी‘ कह हल्थिन, से सब अबरी ओकरों ‘एह लो सुगिया कहे लागल्थिान ।

 

अइसने एक दिन सातो गोतनी सुगा के एगो फुटल घइला दड़कें पानी भोइर आने कहल्थिन- “एहलो सुगिया, बाँध से भोइर घइला पानी लइ आन, तवे खुदी-चुनिक माँड़ दुकचे ले देबउ ।” बेचारी सुगा घइला लइकें बाँध गेलिक आर घाटें बइस फफक-फफइक कांदे लागली- “सुन गेऽ सुन चरँइयाँ, हामर बड़ी दुख!  “©www.sarkarilibrary.in”

 

सातो भाइ बनिजें गेला,

सातो भोजी बड़ी दुख देला !

आवारे बांधेक बेंग, सुगा कांदो हो ।”

 

सुगाक कांदना सुइनकें बांधेक बेंग सुगा ठिन आइकें पुछे लागल्थिन – “नुनी तोंञ काहे कांदे हैं?” सुगा आपन भूर घइला ऊ सभेक देखाइ के भोउजी सभेक कहल बात सुनाइ देली। तखन भुरकें-भुरकें बेंग बइस गेला आर सुगा पानी भोइरकें घार घुइर गेली।

 

सातो गोतनी भोरल घइला देइखकें सुगा के खुदी-चुनिक माँड़ पीए देल्थिन । सुगा लोरो पोंछें आर माड़ो पीये। दोसर दिन सातो गोतनी बिहान्हीं सुगा के कहल्थिन – “एहलो सुगिया, बइसल-बइसल खइलें तो नदिक बालिओ नाँइ जुटतबउ । आइज बोन से बिन-बांधनाक एक बोझा काठ लइ आन। तबे खुदी – चुनिक माड़ देबउ ।” फइर सुगा कांदल – कांदल बोन बाटें सोझइली। मेंतुक, बिन बांधनाक काठ लेगती तो लेगती कइसें! एहे सोइच के बोनेक भीतर कांदे लागली-  “©www.sarkarilibrary.in”

 

सुन गे सुन चरइया, हमर बड़ी दुख,

सातो भाय बनिजें गेला,

सातो भोजी बड़ी दुख देला ।

आवा रे बोनेक साँप, सुगा कांदो हो ।

 

करून कांदना सुइन बोनेक सभे  जीउ-जंतु सुगा ठिन आइक गोठाइ गेला । पुछल्थिन  “काहे कांदे हे सुगा?” तखन सुगा आपन भोउजी सभेक बात कही देली। तखन एगो लंबा धामना साँप काठे  बेधाइ गेलइ आर कहलइ- आव सुगा ई बोझा उठाउ आर तनि  धिरे – धिरे हेंठें राखिहें ।

 

सुगा बिन बांधनाक काठेक बोझा लइ घार घुरली धिरे धिरे बोझा आंगनॉइ राखली तखन साँप बोझा से बाहराइ बोन घुइर आइल | भोउजी सब ननंदेक लुइर देइखकें मुँड़ें हाँथ लइ लेला। तकर बाद ओकराँ खुदी–चुनिक माँड़ देल्थिन । सुगा सुरइप – सुरइप माँड़ पीए लागली ।

 

घुइर दिन बिहान्हीं सातो गोतनीं एगो जोतल बारी एक पइला सइरसा छिंटकें सुगाक कहल्थिन – “एहलो सुगिया, सब सइरसा बीच के पइला टा भोरे पारबें तो खुदी-चुनिक माँड़ देबो । ” सुगाक आँखिक आगुइँ आँधार बुझाइ लागलइ । सुगा जोतल बारी बइसकें कांदे लागली.  “©www.sarkarilibrary.in”

 

“सुन गे सुन चरइयाँ, हामर बड़ी दुख,

सातो भाइ बनिजें गेला, सातो भोउजी बड़ी दुख देला ।

आवा रे चरइँ-चुनगुनी,

सुगा कांदो हो!”

 

ओकर कांदना सुइनकें आकासें उड़वइया एक पाल पेरवा  सुगा ठिन आइकें पुछल्थिन- हाँ नुनी तोंय  की दुखें कांदे हे ?” तखन सुगा आपन भोजीक सब बात सुनाई कहली जे एक पइला सइरसा ई जोतल बारी से कइसे बिछब ! तखन चाँड़ा-चाँड़ी सब पेरवा गोटे जोतल खेते छिंटल सइरसा बीछ-बीछ पइला भोइर देलथ आर सब पेरवा उड्ड गेला ।

 

सुगा पइला लइकें घार घुरली । भोरल पइला देइखकें सातो गोतनी हाइचक! अबरी करता तो करता की? सब बुधी वयाध भइ गेलइन । सुगा के खुदी-चुनीक माँड़ दिअल बादें सातो गोतनी एक-एक माथा खटवे लागला, जे अबरी कि उपाय करल जितइ ।  “©www.sarkarilibrary.in”

 

अइसने सोंचइत-बुझइत कुछ दिन बित गेलइ । सुगाक मने भेलइ जे भउजी सब आर ओकराँ नाँइ सँतइबथिन। तखने एक दिन सातो गोतनी सुगा ठिन आइकें दुलार से कहल्थिन – “नुनी सुगा, हामिन तोहरा जते बा दुख देलियो, सब भुइल जिहा आर दादा सब के नाँइ सुनाइ दिहाक। (तनी थाइम के) नुनी, बड़ी दिन से डुमइर तियन घारे नाँइ भेल हइ । चाला आइज डुमइर पारेले ।”

 

परेमेंक पियासल मानुस परेम पइलें गइल जाइ । तइसने सुगा आपन भउजी सभेक संग खावा – पिया करल बादें पछिया लइकें हाँसल-खेलल डुमइर पारे चलली । बोनेक भीतर एगो गाछें लुगदी रकम डुमइर फोरल हलइ । सातो गोतनी सुगा के ठेइल-धकइलकें डुमइर गाछें चढ़ाइ देल्थिन । जाउ ले सुगा डुमइर तोइर-तोइर गिरवे लागली, ताउ ले सातो गोतनीं गाछेक चाइरो बाटें कोइर काँटा, बाबला काँटा बोझाक-बोझा दइकें घोइर देल्थिन । सुगा देइखकें हाइचक!  “©www.sarkarilibrary.in”

 

सातो गोतनी हिलल-हिलल घार घुरला आर सुगा एकाइ डुमरइ गाछें रही गेलिक । नांभेक जिगिस्ता करली मेंनेक सब बेकार । तखन सइ अरून बोने सुगा कांदे लागली-

 

“सुन गे सुन चरइयाँ,

हमर बड़ी दुख,

सातो भाइ बनिजें गेला,

सातो भोउजी बड़ी दुख देला ।

आवा रे परदेसी दादा,

सुगा कांदो हो।”

 

सुगाक कांदना सुइन बोनेक चरइँ चुनगुनी, पसु-पाखी सब कांदे लागला । ताउ ले राइत भइ गेलइ। गाछेक डारौं सुगा पाटाइक कांदइते रहली ।

सइये राती ओहे डहरें सातो भाइ बनिज सें घुरऽ हला। सातो झन सइ डुमइर गाछेक तरें साँथाइ लागला । तखन छोट भाएक गातें एक-दू टिपका लोर गिरलइ। ई बात जखन ऊ भाइ सभेक सुनउलइन तखन ऊ सब लुआठी जलाइ गाछ उपरें ताके लागल्थिन तो ताकते रहला । ऊ सब देखल्थिन जे डुमइरेक डारी ऊ सभेक दुलरउति बहिन सुगा कंदे हे ।  “©www.sarkarilibrary.in”

 

चॉड़े-चाँड़ें काँटा-झोंटा के उसब उखराइ फेंकल्थिन आर सुगा के नांभाइ एकें- एकें सब कइहनी सुनउल्थिन । सातो झन रागें काँपे लागलथ । झलफले सभीन घार अइलथ तो जनि सब बड़ी मान-खातिर करे लागल्थिन । सातो भायें सुगाक ठेकान पुछल्थिन तो जनी सब कहल्थिन जे ‘नुनी’ बाहर बाटें खेले गेल हथ ।

 

एतना सुनबाइ कि सातो भायेक राग नाँइ संभरलइ आर सातो जनिक दोमाठे लागल्थिन । सातो जनि ‘माइ गो-बाप गो’ कइरकें चिचिआइ लागल्थिन आर कहे लागल्थिन- – ” हामिन सोंचलो जे, सुगा पर-घार जिता, से ले उनखर लुइरेक परीखा कर-हलिए ।” ताव ले, सुगा आइकें भोउजी सब के समरथन करलइन । तखन सातो भायें ऊ सभेक छाइड़ देल्थिन मारे ले ।  “©www.sarkarilibrary.in”

 

कुछ दिन सभीन हाँसी-खुसी सें रहला। ताउ ले सुगा के जोर-नार पाहार धारीं भेलइ । बिहाक दिने जखन सुगा बिदाइ भइकें ससुर घार जाइ लागलइ तखन सातो भाय आर सातो गोतनी भोंकइर-भोंकइर कांदे लागला ।

 

  • Q.सात भाय एक बहिन लोककथा कौन किताब में संकलित है ? खोरठा लोक साहित, संयुक्त संपादन प्रकाशक – कल्याण विभाग, झारखण्ड सरकार
  • Q.सात भाय एक बहिन लोककथा के लिखवइया के लागे ? शांति भारत 
  • Q.सात भाय बहिन लोककथा के लिखवइया के लागे ? गजाधर महतो प्रभाकर 
  • Q.सात भाय एक बहिन लोककथा के मुख्य पात्र हकय ? सुगा 
  • Q.सुगा कौन लोककथा के मुख्य पात्र हकय ? सात भाय एक बहिन लोककथा
  • Q.सात भाय एक बहिन लोककथा में कितने भाई विवाहित थे ? सातो  “©www.sarkarilibrary.in”
  • Q.सात भाय एक बहिन लोककथा में सातो भाई सुगा के घरे एकाय छोड बाहर काहे गेलथिन  ? बनीजें (बेपार करे)
  • Q.सात भाय एक बहिन लोककथा में सातो भाई बाहर बनीजें (बेपार करे) की से गेलथिन  ? घोड़ा
  • Q.सुगाह की कितनी भाभि थी ?  7
  • Q.सात भाभी में से कौन सी भाभी परसिनाही हलिक ? मंझली 
  • Q.सात भाभी में से कौन सी भाभी के  नइहराइ चास-बारी आर चमक-दमक हलइ ? मंझली 
  • Q.सात भाभी सुगा के ‘नुनी नुनी’ जगह की नाम से कहे लागल्थिान ?  ‘एह लो सुगिया 
  • Q.सातो गोतनी सुगा के केथिय पानी भोइर आने कहल्थिन ? एगो फुटल घइला 
  • Q.सातो गोतनी सुगा के फुटल घइला पानी भोइर कँहा से आने कहल्थिन ? बाँध
  • Q.सुगा जखन फुटल घइला पानी भोइर लनतय तखन ओकरा भौजी सब की खाय ले देते  ? खुदी-चुनिक माँड़
  • Q. सुगा बाँध घाटें बइस फफक-फफइक कांदे केकरा हकवे लागली ? चरँइयाँ
  • Q.सुगाक  बाँध घाटें कांदना सुन के मदद करे आव है ? बांधेक बेंग  “©www.sarkarilibrary.in”
  • Q.’बइसल-बइसल खइलें तो नदिक बालिओ नाँइ जुटतबउ “ ईटा कोकरा खातिर प्रयोग करल ? सुगाक खातिर 
  • Q.सातो गोतनी सुगा के केतना परीक्षा लेलथिन ? तीन गो 
  • Q.सातो गोतनी सुगा के पहिल परीक्षा में की कहलथिन ? फुटल घइला में बाँध से पानी आने 
  • Q. फुटल घइला में बाँध से पानी आने में सुगा के पहिल परीक्षा में मदद के करल ?  बांधेक बेंग
  • Q.सातो गोतनी सुगा के दूसरा परीक्षा में की कहलथिन ? बोन से बिन-बांधनाक एक बोझा काठ आने 
  • Q. बोन से बिन-बांधनाक एक बोझा काठ आने में सुगा के मदद के करल ? धामना साँप
  • Q.सातो गोतनी सुगा के तीसरा परीक्षा में की कहलथिन ? जोतल बारी में छितल एक पइला सइरसा के पइला टा भोरे खातिर 
  • Q.जोतल बारी में छितल एक पइला सइरसा के पइला टा भोरे में  सुगा के मदद के करल ? एक पाल पेरवा
  • Q.डुमइर तियन खातिर डुमइर पारे ले सुगिया के कहलथिन ? ओकर भौजी सब 
  • Q.डुमइर पारे ले सुगिया से के के गेलथिन ? ओकर भौजी सब  “©www.sarkarilibrary.in”
  • Q.सुगा डुमइर तोइर-तोइर गिरवे लागली, ताउ ले सातो गोतनीं गाछेक चाइरो बाटें की दइकें घोइर देल्थिन ?  कोइर काँटा, बाबला काँटा 
  • Q.सुगा डुमइर तोइरइ जा रहील तखन ओकर साथै रातीय बोन में कौन बौजी रुकल ? कोय नाय 
  • Q.सुगाक सातो भाइ बनिज सें घुरऽ हला तखन सातो झन कौन गाछेक तरें साँथाइ लागला ? डुमइर 
  • Q.सुगाक लोर कौन भाएक गातें एक-दू टिपका गिरलइ? छोट भाएक
  • Q.ऊकर भाइ सभेक सुगाक कंदना सुनउलइन तखन ऊ सब की जलाइ गाछ उपरें ताके लागल्थिन ? लुआठी जलाइ
  • Q.सुगा के जोर-नार कंहा भेलइ ? पाहार धारीं

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शांति भारत 

जन्म 

6 अप्रैल 1965, चोफंद गांव, बोकारो 

अन्य -(6 अप्रैल 1963)

पिता का नाम

कुंजू महतो 

माता का नाम 

रतनी  देवी

कृति 

  • खोरठा एकांकी 
  • लउतन डहर (कविता)
  • बेलनदरी (लोक गीत संग्रह),तितकी पत्रिका में प्रकाशित 
  • जुगेक मरम (कविता )
  • माटिक घरे चाँद तोहर (कविता संग्रह  )
  • बोरवा अड्डाक अखय बोर 

(श्रीनिवास पानुरी से सम्बंधित सस्मरण )

सम्मान 

सात भाय एक बहिन (Sat Bhai Ek Bahin)