संगमकालीन हस्तशिल्प (Sangam Handicrafts)
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इस काल में आंतरिक एवं बाह्य व्यापार उन्नत अवस्था में था जिसके कारण अनेक व्यापारिक संस्थाएँ एवं श्रेणियाँ शिल्पकला के विकास में अपना योगदान दे रही थीं।
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संगम काल में वस्त्र की बुनाई से संबंधित कार्य प्रमुख रूप से किये जाते थे। इसके अतिरिक्त, रस्सी बंटने, हाथी दाँत की वस्तुएँ बनाने, सोने के आभूषण बनाने की कला में भी इस काल के लोग दक्ष थे।
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उरैयूर एवं मदुरईवस्त्र-निर्माण के प्रमुख केंद्र के रूप में प्रसिद्ध थे।