Samay katwa tas khela
समय कटवा तासखेला
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6.समय कटवा तासखेला
छॉइहर(कहानी संग्रह/गोछ )
लेखक – चितरंजन महतो “चित्रा’
प्रकाशक -खोरठा भाषा साहित्य संस्कृति अकैडमी, रामगढ़
प्रकाशन वर्ष -2007
कहानी संग्रह – 10
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कहानी में एक बड़ा गांव का जिक्र किया गया है जिसका एक टोला छोटा बखरी/बाखैर है.इस बखरी के सभी लोग पढ़ने लिखने में तेज तो थे ही साथ ही नौकरी चाकरी में भी तेज थे
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इस कहानी के मुख्य पात्र 3 शिक्षक(ABC) हैं ,लेकिन तीनो ताश खेलते रहते है
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आनंद कुमार – हारमोनियम
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बालकृष्ण साव – तबला
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चिन्मय मुखर्जी – सबसे बड़े/आंख खराब /चेन्नई /झांझ
सीताराम -ढोलकी
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इन तीनों का अच्छा गुण भी यह था कि यह किसी भी व्यक्ति का चुगली नहीं करते थे लोगों को डराते धमकाते नहीं थे लोगों से लड़ाई झगड़ा भी नहीं करते थे और समय आने पर लोगों की मदद भी करते थे यह सामाजिक समस्या, सामाजिक विकास और गांव के सुधार के कार्य में चंदा भी दे देते थे
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यह तीनों बैठकर कभी-कभी सड़क के किनारे पर भी ताश खेलते थे आते जाते लोग जब इनको टोकते थे तो यह लज्जित महसूस करते थे
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इसी कारण उन्होंने निर्णय लिया कि वह चिन्मय मुखर्जी के घर के बरंडा में ताश खेलेंगे लेकिन उनका ताश खेलने का बदनामी का शिकायत पूरे गांव में फैल गया और इससे उनकी पत्नियों को अच्छा नहीं लगा और इसी के कारण एक दिन चिन्मयी मुखर्जी और उनके पत्नी के बीच में बहस हो गया और इस बहस के कारण चिन्मयी मुखर्जी के मन में चोट लगा ,और ताश खेलना छोड़ कर अपने अपने काम में सभी लग गए हैं लेकिन चिन्मयी मुखर्जी का समय नहीं कटता है वह पढ़ना चाहता है लेकिन आंख कमजोर हो गया है
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चिन्मय का आंख खराब हो जाता है
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उसके आंख का रेटिना काम नहीं कर रहा था रेटिना का पानी सूख गया था जिसका इलाज अभी तक संभव नहीं हो पाया है
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उसके आंख का इलाज के लिए उसके घर वाले उसे चेन्नई ले जाते हैं चेन्नई में पता चलता है कि उसका आंख जितना खराब हुआ है उससे ज्यादा और खराब नहीं होगा और उसे एक चश्मा लग जाता है जिसकी मदद से अब वह पढ़ सकता है
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आनंद,बालकृष्ण, चिन्मय मुखर्जी एक शाम को मिलते हैं, आनंद कहता है कि ताश का खेल तो बंद हो गया है, कुछ नया शुरू करना चाहिए हमें और इस मुद्दे पर तीनों विचार करने लगते हैं
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तभी चिन्मय कहता है कि आनंद तुम हारमोनियम बजा लेना बालकृष्ण तबला बजा लेगा और हम किसी तरह झांझ बजा लेंगे और साथ ही दो-तीन गीत भी लिख देंगे और इस तरह हम लोग एक सांस्कृतिक केंद्र खोलेंगे जिसमें सीताराम ढोलकी बजा लेता जिससे कि सीताराम का भी ताश खेलने का नशा खत्म हो जाएगा
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इस तरह से इन सभी ताश खेलने वालों का चर्चा गांव में फिर से शुरू हो जाता है सांस्कृतिक कार्यक्रम के रूप में
निष्कर्ष – बुरी आदतों को कम् या समाप्त करने के लिए अच्छी आदतों को अपनाना होगा
समय कटवा तास खेला
1Q. समय कटवा तास खेला’ कहनी केकर लिखल लागे?
ANS – चितरंजन महतो ‘चित्रा’
2Q. समय कटवा तास खेला’ कहनी कोन कहनी किताबे सामिल हे?
ANS – छाँहइर
3Q. ‘समय कटवा तास खेला’ कहनीक मुइख पात्र लागथ?
ANS – चिन्मय मुखर्जी
4Q. समय कटवा तास खेला’ कहनीक एबीसी नाम रहे
ANS – आनन्द कुमार, बालकृष्ण साव, चिन्मय मुखर्जी
5Q. ‘समय कटवा तास खेला’ कहनी पात्र कोन (टोला) बखरीञ रह हलथ।
ANS – एगो बोड़ गाँवेक छोट बखरीञ
6Q. छोट बखरीक तास खेला एक, बी सी पेसा से की रहथ?
ANS – मास्टर
7Q. एबीसी मास्टर कोन दिन तास खेलथ?
ANS – सनिचर-एतवार आर छुटीक दिन
8Q. तास खेले मे ढोढ़ा करेक माने की हेवहे ?
ANS – तास खेले में पेछु करेक
9Q. तास खेला मास्टर समे कोन- कोन सामाजिक कामे चन्दा दे हलथ?
ANS – सामाजिक समसिया , सामाजिक विकास, गाँवेक सुधार
10Q.तास खेला मास्टर समे धाइर छोइड़के कहाँ तास खेले सुरू करला?
ANS – चिन्मय मुखर्जीक बरांडाञ
11Q.आपन मेहरारू से ककर बहस हेवे लागल?
ANS – चिन्मय बाबु के
12Q.तास खेला बन्द हेल बादे चिन्मय बाबु की काम करे लागला?
ANS – लिखे-पढ़ेक काम सुरू करला
13Q. केकर आँइख खराब हेइ गेल?
ANS – चिन्मय बाबु कर
14Q. आँइख देखवे ले चिन्मय बाबु के कहाँ लेइ गेला?
ANS – चेन्नई
15Q. चिन्मय मुखर्जी की नावाँ काम करेक सोंचला?
ANS – सांस्कृतिक केन्द्र खोलेक
16Q. हारमुनिया कोन बजवे जान हल?
ANS -आनन्द कुमार
17Q.तबला-डुगो कोन बजवे जान हल?
ANS – बालकृष्ण साव
18Q.ढोलक कोन बजवे जान हल ?
ANS -सीताराम
19Q.झांइझ कोन बजवे ले खोजला?
ANS -चिन्मय बाबू
20Q.सांस्कृतिक केन्द्र केकर घारे खोलल गेल ?
ANS – चिन्मय बाबूक बइठकीञ
21Q.तास कर नासा केकर नासा सेउ तेज बतवल गेल हे?
ANS – दारूक
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