चट्टान/शैल (Rock) 

  •  पृथ्वी के तीन स्तर हैं- भूपर्पटी ,मेंटल तथा क्रोड 
  • भूपर्पटी में विभिन्न खनिजों का मिश्रित ठोस रूप को चट्टान कहा जाता है 
    • सामान्यता चट्टान या शैल शब्द का प्रयोग कठोर वस्तु के लिए किया जाता है, जबकि एक भू वैज्ञानिक के अनुसार धातुओं के अतिरिक्त पृथ्वी के  वे समस्त पदार्थ जिनसे भूपर्पटी का निर्माण हुआ है, चाहे वह कठोर हो या मुलायम हो शैल कहलाते हैं
  • पृथ्वी पर मुख्य रूप से 24 खनिज ऐसे हैं, जिनसे स्थलमंडल की चट्टानों का निर्माण हुआ है इसलिये इन्हें ‘चट्टान निर्माणकारी खनिज’ भी कहते हैं, जैसे- ऑक्साइड, सिलिकेट, कार्बोनेट आदि। 
  • इन प्रमुख खनिज तत्त्वों में से भी केवल 6 खनिज (क्वार्ट्ज, अभ्रक, पाइरोक्सीन, ओलिवीन, फेल्सपार व एंफीबोल्स) Quartz, mica, pyroxene, olivine, feldspar and amphibole ही मुख्य रूप से पाए जाते हैं। 
  • पृथ्वी की आंतरिक परतों में पाया जाने वाला मैग्मा सभी खनिजों का मूल स्रोत है। 
  • पृथ्वी की संपूर्ण भूपर्पटी का लगभग 98 प्रतिशत भागआठ तत्त्वों, जैसे- ऑक्सीजन, सिलिकॉन, एल्युमीनियम, लोहा, कैल्शियम, सोडियम, पोटैशियम तथा मैग्नीशियम से निर्मित है तथा शेष भाग हाइड्रोजन, फॉस्फोरस, मैंगनीज़, सल्फर, कार्बन, निकेल तथा अन्य पदार्थों से बना है। 

महत्त्वपूर्ण खनिज समूह

सिलिकेट समूह

silicate group

फेल्सपार, क्वार्ट्ज व अभ्रक

feldspar, quartz and mica

कार्बोनेट समूह

carbonate group

कैल्साइट एवं डोलोमाइट

calcite and dolomite

सल्फाइड समूह

sulfide group

पाइराइट, गैलेना

pyrite, galena

धात्विक ऑक्साइड समूह

metallic oxide group

हेमेटाइट, बॉक्साइट एवं मैग्नेटाइट

Hematite, Bauxite and Magnetite

  • शैलों के अध्ययन/study of rocks को  पेट्रोलॉजी/Petrology कहते है।

चट्टान के प्रकार(rock type)

  1. आग्नेय चट्टान (Igneous rock)
  2. अवसादी चट्टान (Sedimentary rock)
  3. रूपांतरित चट्टान (Metamorphic rock)

आग्नेय चट्टान (Igneous Rock) 

  • आग्नेय चट्टानों का निर्माण ज्वालामुखी से निकले मैग्मा या लावा से होता है। 
    • जब तप्त एवं तरल मैग्मा ठंडा होकर पृथ्वी की बाह्य व आंतरिक परतों में जमकर ठोस अवस्था को प्राप्त कर लेता है, तो इस प्रकार की चट्टानों का निर्माण होता है। 
  • पृथ्वी की उत्पत्ति के पश्चात् सर्वप्रथम इन चट्टानों का निर्माण हुआ था, इसलिये इन चट्टानों को ‘प्राथमिक चट्टानें’ या ‘जनक चट्टानें‘ भी कहते हैं।

 विशेषताएँ 

  • आग्नेय चट्टान जीवाश्म रहित होती हैं। 
    • इसलिये इन चट्टानों से खनिज तेल, प्राकृतिक गैस एवं कोयले की प्राप्ति नहीं होती है।
  • आग्नेय चट्टान परत रहित  होती हैं। 
  • आग्नेय चट्टान कठोर होती हैं। 
  • यह चट्टान रवेदार((fibrous)) होती है
  • यह चट्टाने अरंध्री  होते हैं
  • इनमे रासायनिक अपक्षय(weathering) की तुलना में भौतिक अपक्षय का प्रभाव अधिक होता है
  • इनमें धात्विक खनिज मिलते हैं
    •  चुंबकीय लोहा, निकेल, तांबा, सीसा, जस्ता, क्रोमाइट, मैंगनीज़, सोना तथा प्लेटिनम आदि बहुमूल्य खनिज पाए जाते हैं। 

आग्नेय चट्टानों का वर्गीकरण (Classification of Igneous Rocks) 

  • ज्वालामुखी प्रक्रिया के द्वारा निकले तप्त एवं तरल मैग्मा या लावा का जमाव पृथ्वी के अंदर तथा बाहर दोनों स्थानों पर होता है। अतः मैग्मा के जमाव के आधार पर आग्नेय चट्टानों को निम्नलिखित उपभागों में बाँटा जा सकता है

उत्पत्ति(origin) के आधार  पर 

  1. आंतरिक आग्नेय चट्टान (internal/Intrusive igneous rock)
    1. पातालीय चट्टाने (terrestrial rocks)
    2. मध्यवर्ती चट्टानें (intermediate rocks)
  2. बाह्य आग्नेय चट्टान(External/Extrusive igneous rock)

रासायनिक संरचना(chemical composition) के आधार पर 

  1. क्षारीय चट्टानें  (alkaline rocks)
  2. अम्लीय चट्टानें  (acidic rocks)

आंतरिक आग्नेय चट्टान (Intrusive Igneous Rock)

  • पृथ्वी के अंदर की परतों में मैग्मा के ठंडा होकर जम जाने से आंतरिक आग्नेय चट्टानों का विकास होता है। यह ठंडा होकर ठोस रूप प्राप्त कर लेता है। 
  • ये चट्टानें दो प्रकार की होती हैं, जो निम्न हैं

पातालीय आग्नेय चट्टानें 

  • ज्वालामुखी क्रिया द्वारा निकला तप्त एवं तरल मैग्मा या लावा पृथ्वी की सतह पर न आकर पृथ्वी के अंदर अधिक गहराई में ठंडा होकर जम जाता है तो इस प्रकार की आग्नेय चट्टानों का निर्माण होता है। 
  • इन चट्टानों को ‘आभ्यंतरिक आग्नेय चट्टान’ भी कहते हैं। चूंकि इनका शीतलन मंद गति से सम्पन्न होता है, अतः इनके रवे बड़े आकार के होते हैं, जैसे- ग्रेनाइट। 

मध्यवर्ती आग्नेय चट्टानें 

  • भू-गर्भ से निकलने वाला मैग्मा धरातल पर न पहुँचकर मार्ग में मिलने वाली संधियों, दरारों अथवा तलों में जमकर ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है तो इसे ‘मध्यवर्ती आग्नेय चट्टानें’ कहा जाता है। जैसे- लैकोलिथ, डाइक, सिल, फैकोलिथ (lacolith, dyke,  phacolith) आदि। 
  • चूंकि इनका शीतलन तीव्र गति से सम्पन्न होता है, अतः इनके रवे बड़े आकार के होते हैं

बाह्य आग्नेय चट्टान (Extrusive Igneous Rock)

  • ज्वालामुखी के उद्भेदन के समय मैग्मा या लावा के पृथ्वी की सतह पर आकर ठंडे होने से जो चट्टानें बनती हैं, उन्हें ‘बाह्य आग्नेय चट्टान’ या ‘बहिर्भेदी आग्नेय चट्टान‘ कहते हैं। 
  • ये चट्टानें प्रायः अक्रिस्टलीय(amorphous) होती हैं, जैसे- बेसाल्टिक चट्टानें,गैब्रो 
  • इन चट्‌टानों के रवे बहुत छोटे होते हैं ।

आग्नेय शैलों का रासायनिक आधार पर वर्गीकरण

अम्लीय आग्नेय चट्टान

क्षारीय आग्नेय चट्टान 

इसमें सिलिका की मात्रा(65 %+) अधिक होती है 

इसमें सिलिका की मात्रा(60 %-) कम होती है 

सिलिका की मात्रा अधिक होने के कारण जल्दी ठंडा  होता है 

सिलिका की मात्रा कम होने के कारण धीमी गति से ठंडा होता है 

इस प्रकार की चट्टानों से ऊंचे ज्वालामुखी पर्वतों का निर्माण होता है

इस प्रकार की चट्टानों से सामान्य पठारों का निर्माण होता है

यह चट्टाने अत्यधिक कठोर प्रकृति की होती है जिससे अपरदन की प्रक्रिया बहुत ही मंद गति से होती है 

इस प्रकार के चट्टानों की प्रकृति प्राय मुलायम होती है जिससे अपरदन के कारकों द्वारा अपरदन कर पाना अधिक आसान होता है

ग्रेनाइट

बेसाल्ट ,गैब्रो

आग्नेय चट्टान में अम्लीयता के आधार पर संरचना

मैग्मा में सिलिका की मात्रा

मैग्मा के प्रकार

आंतरिक 

आग्नेय चट्टान

बाह्य आग्नेय

चट्टान

80% से  अधिक

अम्लीय मैग्मा 

ग्रेनाइट

granite

रायोलाइट

rhyolite

55% से 80% तक

मध्यवर्ती मैग्मा

डायोराइट

diorite

एंडेसाइट

andesite

45% से 55% तक

(पेठिक शैले )

क्षारीय मैग्मा

गैब्रो

gabbro

बेसाल्ट

basalt

45% से कम

(अल्ट्रा पेठिक शैले )

अत्यधिक क्षारीय

पेरीडोटाइट

peridotite

कोई रूप नहीं

अवसादी चट्टान (Sedimentary Rock) 

  • पृथ्वी के उत्पत्ति के बाद अक्षय या अपरदन प्रक्रिया के द्वारा, मूल चट्टान टूटकर उसी स्थान पर या अन्यत्र, जीवावशेष तथा वनस्पतियों के अवशेष  के साथ परत के रूप में जमा जमा होती जाती है ,इस प्रकार निर्मित चट्टानों को अवसादी चट्टान कहते हैं
    • यानि की अवसादों का परतों के रूप में जमाव (deposition of sediments) होने से अवसादी चट्टान का निर्माण होता है। 
  • ये चट्टानें परतों के रूप में पाई जाती हैं अतः इन्हें ‘परतदार चट्टान’ भी कहते हैं। 
  • इन चट्टानों की परतों के बीच अत्यधिक मात्रा में अवशेष दबे होते हैं, इसलिये इनमें जीवाश्म अत्यधिक मात्रा में पाए जाते हैं। 
    • जिसके कारण यहाँ खनिज तेल, प्राकृतिक गैस एवं कोयला के भंडार होने की संभावना सर्वाधिक रहती है। 
  • चट्टानों से पहले अनेक कण टूटते हैं और फिर उन टूटे कणों को परिवहन के कारक, जैसे- बहता जल, समुद्री लहरें, हिमानी, पवन आदि एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाकर जमा कर देते हैं। इस प्रक्रिया को ‘अवसादन’ ‘sedimentation’कहते हैं। 
  • पृथ्वी के भू-पृष्ठ के लगभग 75 प्रतिशत भाग पर अवसादी चट्टानों का विस्तार पाया जाता है, जबकि भू-पृष्ठ की बनावट में इसका केवल 5 प्रतिशत योगदान है।

विशेषताएँ

  • ये चट्टानें अधिकांशतः परतदार रूप में पाई जाती हैं। 
  • यह चट्टाने रंध्र युक्त होती है 
  • शैलो के मध्य में जीवावशेष मिलते हैं 
    • खनिज तेल की उपस्थिति भी पाई जाती है। 
  • चट्टानों का अपरदन अपेक्षाकृत तीव्र गति से होता है 
  • यह चट्टाने प्राय मुलायम होती है

निर्माण पद्धति के आधार पर अवसादी चट्टानों का वर्गीकरण 

A.निर्माण में प्रयुक्त अवसाद के अनुसार 

  • अकार्बनिक शैल (शैल चूर्ण से निर्मित)
    • बालू प्रधान शैल
    • क्ले प्रधान शैल
  • कार्बनिक शैल (जैविक तत्वों से निर्मित) 
    •  चुना प्रधान शैल – खड़िया, जिप्सम, डोलोमाइट
    • कार्बन प्रधान शैल -ऑयल शैल, कोयला कायांतरित सेल

B.निर्माण में प्रयुक्त साधन के अनुसार 

  • जल निर्मित शैले 
  • वायु निर्मित शैले – लोएस
  • हिमानी निर्मित शैले – हिमोढ़  (मोरेन)

अन्य 

  • बालुका पत्थर एक परतदार चट्टान है क्योंकि इसका निर्माण पानी के नीचे होता है। 
    • इन चट्टानों से फॉस्फेट, कोयला, पीट, बालुका पत्थर आदि खनिज प्राप्त किये जाते हैं। 
  • दामोदर, महानदी तथा गोदावरी नदी बेसिनों की अवसादी चट्टानों में कोयला पाया जाता है। 
  • ये चट्टाने अपेक्षाकृत मुलायम होती हैं। जिप्सम, खड़िया, चीका मिट्टी, नमक आदि प्रमुख. अवसादी शैलें हैं। 
  • ग्लेशियर के अपरदन से भी अवसादी चट्टानें बनती हैं। 
    • हिमोढ़  (मोरेन) इसी तरह की चट्टान है।
  • गर्म एवं शुष्क प्रदेशों में वायु के द्वारा लाये गए धूल व मिट्टी से भी अवसादी चट्टानों का निर्माण होता है। ‘लोएस’ इसका उदाहरण है। 

नोट: आगरा का किला तथा दिल्ली का लाल किला लाल बलुआ  पत्थर नामक अवसादी चट्टानों से ही बना है।

रूपांतरित या कायांतरित चट्टान (Metamorphic Rock)

  • अवसादी तथा आग्नेय चट्टानों पर अत्यधिक ताप व दाब तथा आयतन में परिवर्तन के कारण उनकी रासायनिक संरचना के साथ-साथ उसकी मूल भौतिक विशेषताओं में भी परिवर्तन होता है। इस प्रक्रिया को ‘कायांतरण या रूपांतरण’ कहते हैं तथा इस प्रक्रिया द्वारा निर्मित चट्टान को ‘रूपांतरित या. कायांतरित चट्टान’ कहते हैं। 

विशेषताएँ

  • यह गौण शैल(secondary) होती है क्योंकि इनका निर्माण अन्य शैल के रूपांतरण अथवा रूप परिवर्तन से होता है 
  • यह मौलिक शैल की अपेक्षा अधिक संगठित व कठोर होती है 
  • इनमें धात्विक खनिजों की प्रधानता होती है 
    • यह शैले आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है 
  • यह शैले अरंध्रपूर्ण होती है
  • रूपांतरण की प्रक्रिया में शैलों के कुछ कण या खनिज जब सतहों या रेखाओं के रूप में व्यवस्थित होते हैं तो उन्हें ‘फोलिएशन’ अथवा ‘रेखांकन’ कहते हैं। 

आग्नेय चट्टानों के रूपांतरण से बनी शैलें

मौलिक चट्टान

रूपांतरित चट्टान

ग्रेनाइट

granite

नीस

Gneiss 

बेसाल्ट

basalt

एंफीबोलाइट/सिस्ट

amphibolite/SCHIST

गैब्रो 

gabbro

सर्पेन्टाइन 

serpentine

अवसादी चट्टानों के रूपांतरण से बनी शैलें

मौलिक चट्टान

रूपांतरित चट्टान

शैल 

shale

स्लेट

slate

चूना पत्थर

Limestone

संगमरमर 

marble

बालुका पत्थर

sandstone

क्वार्टज़ाइट 

quartzite

चॉक एवं डोलोमाइट

chalk and dolomite

संगमरमर 

marble

कोग्लोमेरेट 

Coglomerate

क्वार्टज़ाइट

quartzite

कोयला 

ग्रेफाइट ,हीरा 

रूपांतरित चट्टानों के पुनः रूपांतरण से बनी शैलें

मौलिक चट्टान

रूपांतरित चट्टान

स्लेट

slate

फाइलाइट

phyllite

फाइलाइट

phyllite

सिस्ट

SCHIST 

शैल चक्र (Rock Cycle) 

  • इस प्रक्रिया का संबंध चट्टानों के स्वरूपीय परिवर्तन से है। 
  • चट्टानों का स्वरूप सदैव स्थायी नहीं होता ,इनमें परिवर्तन होते हैं। 

आग्नेय शैल ==>अवसादी शैल ==>कायांतरित चट्टान 

चट्टान (Rocks)