झारखण्ड में धार्मिक आंदोलन
- 6ठी सदी ई.पू. में जैन एवं बौद्ध धर्म आंदोलन हुए
- जैन सभ्यता व संस्कृति का केन्द्र छोटानागपुर का मानभूम ( धनबाद) था। इस क्षेत्र के प्रमुख जैन स्थल थे : पकबीरा, तुइसामा, देवली, पवनपुर, पलमा, अरशा, चर्रा, गोलमारा, बड़म, बलरामपुर, कर्रा, परा, कतरास आदि ।
- जैन ग्रंथों में महावीर के यात्रा ‘लोरे-ए-यदगा‘ का उल्लेख है जिसका अर्थ मुंडारी में ‘आंसुओं की नदी’ होता है।
- जैन धर्म के अवशेष कंसाई और दामोदर नदियों की घाटी से मिले हैं।
- जैन धर्म के अवशेष पलामू के हनुमांड गाँव (सतबरवा के निकट) से मिले हैं।
- सिंहभूम के आरंभिक निवासी जैन मतावलंबी थे, जिन्हें ‘सरक‘ कहा जाता था। सरक गृहस्थ जैन मतावलंबी को कहा जाता था। बाद में हो जनजाति के लोगों ने इन्हें सिंहभूम से निकाल बाहर किया।
पारसनाथ पहाड़ी
- झारखंड की सबसे ऊंची चोटी (1365 मी / 4478 फीट)
- जिला- गिरिडीह
- जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों ने इसी पहाड़ी पर निर्वाण प्राप्त किया।
- जैनियों के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का निर्वाण 717 ई.पू. में हुआ था। ये पारसनाथ की पहाड़ी पर निर्वाण प्राप्त करने वाले अंतिम तीर्थंकर थे। उन्हीं के नाम पर पहाड़ का का नाम पार्श्वनाथ/पारसनाथ पड़ा।
- इसे ‘जैन धर्म का मक्का ‘ कहा जाता है।
- नोट – झारखंड की दूसरी सबसे ऊंची चोटी Gulgulpath/गुलपुलनाथ(3819 फीट) ,गढ़वा में स्थित है (source- https://garhwa.nic.in/history/)
1. अजीत नाथ
|
2. संभव नाथ
|
3. अभिनंदन नाथ
|
4. सुमति नाथ
|
5. पद्म प्रभु
|
6. सुपार्श्वनाथ
|
7. चंद्र प्रभू
|
8. सुविधिनाथ
|
9. शीतल नाथ
|
10. श्रेयांस नाथ
|
11. विमल नाथ
|
12. अनंत नाथ
|
13. धर्म नाथ
|
14. शांति नाथ
|
15. कुंथुनाथ
|
16. अर्हनाथ
|
17. मल्लिनाथ
|
18. मुनि सुव्रतनाथ
|
19. नेमिनाथ
|
20. पार्श्वनाथ
|
कोल्हुआ पहाड़ ,चतरा
|
- इसका संबंध बौद्ध एवं जैन धर्म दोनों से है।
- यहाँ 10वें तीर्थंकर शीतनाथ को ज्ञान की प्राप्ति हुयी थी।
- यहाँ पर नौ जैन तीर्थंकरों की प्रतिमा है।
- इस पहाड़ पार्श्वनाथ का पद चिन्ह हैं।
|
सिंहभूम
|
- बेनूसागर से 7वीं शताब्दी की जैन मूर्तियां प्राप्त हुई हैं।
|
दामोदर व कसाई नदी घाटी
|
|
हनुमांड गाँव, पलामू
|
|
मानभूम( धनबाद)
|
|
बौद्ध धर्म
झारखंड के विभिन्न स्थलों से बौद्ध धर्म संबंधी अवशेष मिले हैं।
- जोन्हा जलप्रपात के पास से एक बुद्ध प्रतिमा मिली है।
- बंगाल में पाल शासकों के शासन के दौरान झारखण्ड में बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा विकसित हुयी।
बौद्ध धर्म
|
मूर्तिया गाँव ,पलामू
|
- यहाँ से एक सिंह शीर्ष मिला है जो सांची स्तूप के द्वार पर उत्कीर्ण सिंह शीर्ष से मेल खाता है।
|
इटखोरी, चतरा
|
- 58 पूरा अवशेष 4 बौद्ध स्तूप
|
सूर्यकुंड
हजारीबाग
|
- यहाँ से बुद्ध की प्रस्तर मूर्ति मिली है।
|
सीतागढ़ पहाड़
हजारीबाग
|
- बुद्ध की चार आकृतियों वाला एक स्तूप मिला है।
- यहाँ से प्राप्त बौद्ध विहार का उल्लेख फाह्ययान द्वारा किया गया है।
|
करूआ गाँव,गोड्डा
|
- यहाँ से बौद्ध स्तूप की प्राप्ति हुई है।
|
दियापुर-दालमी
धनबाद जिला
|
- बौद्ध स्मारक प्राप्त हुए हैं।
- बुद्धपुर में बुद्धेश्वर मंदिर निर्मित है।
- यह बौद्ध स्थल दामोदर नदी के किनारे है।
|
बेलवादाग
खूंटी
|
- यहाँ से बौद्ध विहार के अवशेष मिले हैं।
|
ईचागढ़
सरायकेला-खरसावां
|
- यहाँ से बौद्ध देवी तारा की मूर्ति मिली है।
- मूर्ति को राँची संग्रहालय में रखा गया है।
|
घोलमारा,
पुरुलिया के निकट
|
- यहाँ से बुद्ध मूर्ति मिली है।
|
पटम्बा गाँव
जमशेदपुर
|
- यहाँ से बुद्ध की दो प्रतिमाएं मिली है।
|
कटुंगा गाँव
गुमला
|
- यहाँ से बुद्ध की एक प्रतिमा मिली है।
|