रइसका (कहानी )- बंसीलाल ‘बंसी’ मांदइरेक मधुर साड़ा । आखराँइ करम डाइर। भादर मासेक एकादसीक राइत । दिन रकम इंजरिया। करम पोरबेक हुइबेक हुइलमाइल । आखराँइ लोक थइ-थइ कर – हथ । एखनो दलेक दल लोक आखरा बाटें टानाइल जा-हलथ । करमइती सभेक बेसी उमंग । करम गीत आर मांदइरेक राव दोसरो गाँवेक रसिक सब के आझिक ई आखरोंइ आवेक नेउता दइ रहल हलइ । आखराक आगु बाटें बइसइक खातिर लाकेक ठेला-ठेली भीड़ । आइझ हियाँ नामी झुमरिया रइसकाक झुमइर हतइ । इनामों राखल गेल हइ । रइसकाक झुमइर छुइट नाञ जाइ सइ खातिर चाँड़े-चाँड़े लोक आवे लागल हला ।  करमी, चमकी आर मुनियाक संगे झुनिया एकदम आगुक पाँति जघउमइड़वल हली। सभेक छातीक धक-धकी बाढ़ते जाइ रहल हलइ । कखन झुमरिया सब आखराँइ नांभता आर….. । झुनियाक धकधकी तनी बेसिये बाढ़े लालग हलइ । रइह – रइह के मुड़ उँचकाइ चाइरो बाटें नजइर घुराइ थनवे लाग-तली । ओकर नजइर जकरा […]

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Raisaka Kahani – Bansilal ‘Bansi’