बिरसा मुण्डा (Birsa Munda)
- जन्म : 15 नवंबर, 1875 ,उलिहातू गाँव (खूटी,पहले रांची ) ,मुण्डा परिवार
- जन्म का दिन : सोमवार को (बृहस्पतिवार के आधार पर नाम बिरसा )
- बचपन का नाम : दाउद मुण्डा
- पिता का नाम : सुगना मुण्डा ( उलिहातू गाँव के बंटाईदार)
- माता का नाम : कदमी मुण्डा
- बड़े भाई का नाम : कोन्ता मुण्डा
- प्रारंभिक शिक्षक का नाम : जयपाल नाग
- धार्मिक गुरू का नाम : आनंद पाण्डे (वैष्णव धर्मावलंबी)
- प्रारंभिक शिक्षा : जर्मन एवेंजेलिकल चर्च द्वारा संचालित विद्यालय में
- आंदोलन में शामिल
- छात्र जीवन में चाईबासा भूमि आंदोलन से जुड़े
- 18 वर्ष की आयु में चक्रधरपुर जंगल आंदोलन से जुड़ गये।
- वन और भूमि पर आदिवासियों के प्राकृतिक अधिकार के लिए लड़ाई
- जमींदारों और साहूकारों के खिलाफ बगावत का नेतृत्व
- बिरसा मुण्डा द्वारा नये पंथ की शुरूआत : “बिरसाइत पंथ’
- सिंगबोंगा का दूत: 1895 में बिरसा मुण्डा ने स्वयं को घोषित किया ।
- एकेश्वरवाद पर बल : अनेक देवी-देवताओं के स्थान पर केवल सिंगबोंगा की अराधना
- उपासना हेतु सबसे उपयुक्त स्थान : गाँव के सरना (उपासना) स्थल
- बिरसा मुण्डा के उपदेश
- अहिंसा का समर्थन
- पशु बलि का विरोध
- हडिया / मद्यपान का त्याग
- जनेऊ (यज्ञोपवीत) धारण करने हेतु प्रेरित
- उलगुलान विद्रोह का नेतृत्व : 1895-1900 के
- बिरसा आंदोलन का प्रमुख केन्द्र-बिन्दु : डोम्बारी पहाड़ , khunti
- पहली बार गिरफ्तार : 1895 में ,
- अंग्रेज सरकार के खिलाफ षड़यंत्र रचने के आरोप में
- सजा : 2 वर्ष की जेल तथा 50 रुपया जुर्माना
- 50 रुपया जुर्माना न चुकाने के कारण सजा 6 माह बढ़ा दिया गया।
- गिरफ्तार करने वाला : जी. आर. के. मेयर्स (डिप्टी सुपरिटेन्डेंट)
- दूसरी बार गिरफ्तार : 1900 में
- गिरफ्तार करवाने हेतु अंग्रेजों ने 500 रूपये का ईनाम रखा था।
- ईनाम जगमोहन सिंह के आदमी वीर सिंह महली को मिला था।
- बिरसा की मृत्यु : 9 जून, 1900, रॉची जेल में , हैज़ा से
- झारखण्ड का गठन : बिरसा मुण्डा के जन्म दिवस (15 नवंबर, 2000) को
- बिरसा मुण्डा झारखण्ड के एकमात्र आदिवासी नेता हैं जिनका चित्र संसद के केन्द्रीय कक्ष में लगाया गया है।
- उपन्यासकार महाश्वेता देवी ने इनसे सम्बंधितउपन्यास ‘अरण्येर अधिकार’ (जंगल का अधिकार) की रचना 1975 में की है।
सिद्धू-कान्हु (sidhu kanhu)
- 1855-56 में प्रारंभ संथाल विद्रोह का नेतृत्व – सिद्धू, कान्हु, चाँद तथा भैरव ने किया।
- सिद्धू का जन्म – 1815
- कान्हु का जन्म – 1820
- चाँद का जन्म – 1825
- भैरव का जन्म – 1835
- मूर्मू बंधुओं का गाँव – भोगनाडीह ,Barhait block in the Sahibganj
- सिद्धू का नारा – ‘करो या मरो, अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो’
- चाँद तथा भैरव की गोली लगने से मौत हुई
- सिद्धू तथा कान्हु को गिरफ्तार कर फाँसी दी गई।
- मूर्मू बंधुओं के पिता – चुन्नी माँझी थे
- सिद्धू की पत्नी – सुमी
तिलका माँझी (Tilka Manjhi)
- तिलका माँझी का दूसरा नाम – जाबरा पहाड़िया, ‘आदि विद्रोही’
- तिलका माँझी अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह करने वाले प्रथम आदिवासी थे।
- झारखण्ड के स्वतंत्रता सेनानियों में सर्वप्रथम शहीद होने वाले स्वतंत्रता सेनानी
- तिलका माँझी ने वनचरीजोर (भागलपुर) से अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह प्रारंभ किया।
- क्लिवलैंड को तीर से मार गिराया था।
- तिलका माँझी का जन्म – 11 फरवरी, 1750 को संथाल परिवार में , तिलकपुर नामक गाँव (सुल्तानगंज, भागलपुर)
- तिलका माँझी संथाल (मुर्मू) जनजाति के थे।
- पिता का नाम – सुंदरा मूर्मू
- तिलका विद्रोह का प्रतीक चिह्न – साल पत्ता
- तिलका माँझी को फाँसी – 1785 ई. में , भागलपुर में, बरगद के पेड़ पर
- तिलका माँझी के नाम पर ही 1991 में भागलपुर विश्वविद्यालय का पुनः नामकरण तिलका माँझी भागलपर विश्वविद्यालय के रूप में किया गया।
भागीरथ माँझी (Bhagirath Manjhi)
- भागीरथ माँझी का जन्म – तलडीहा (गोड्डा) में, खरवार जनजाति में
- उपनाम – बाबाजी
- भागीरथ माँझी ने 1874 में खरवार आंदोलन का प्रारंभ किया।
- भागीरथ माँझी 1874 में गिरफ्तार , 1877 में रिहा, तथा 1879 में मृत्यु
बुधु भगत (BUDHU BHAGAT)
- बुधु भगत का जन्म– 18 फरवरी, 1792 को, सिल्ली गाँव (राँची), उराँव परिवार में
- बुधु भगत ने 1828-32 के लरका महाविद्रोह को नेतृत्व प्रदान किया।
- बुधु भगत 1831-32 के कोल विद्रोह के प्रमुख नेता थे।
- बुधु भगत छोटानागपुर के प्रथम क्रांतिकारी थे
- जिन्हें पकड़ने के लिए अंग्रेज सरकार ने 1,000 रूपये ईनाम की घोषणा की थी।
- बुधु भगत की मृत्यु – 14 फरवरी, 1832 , को कैप्टेन इम्पे के नेतृत्व में सैनिक कार्रवाई में
- बुधु भगत का चौरेया के जमींदार परिवार के भुनु सिंह के साथ जनेऊ धारण को लेकर मतभेद हुआ था।
जतरा भगत (JATRA BHAGAT)
- जतरा भगत का जन्म – 2 अक्टूबर, 1888, चिंगरी नावाटोली गाँव (विशुनपुर, गुमला), उराँव परिवार
- पिता का नाम – कोहरा भगत
- माता का नाम– लिबरी भगत
- पत्नी का नाम- बुधनी भगत
- आत्मबोध की प्राप्ति – 1914 में
- हेसराग गाँव के तुरिया भगत से मति का प्रशिक्षण प्राप्त करते समय
- 1914 में ताना भगत आंदोलन प्रारंभ किया।
- ताना भगत आंदोलन एक संस्कृतिकरण आंदोलन है जो गाँधीजी के आंदोलन से प्रभावित था।
- जतरा भगत की मृत्यु – 1916 में
- ताना भगत रैयत कृषि भूमि पुनर्वापसी अधिनियम पारित – 1948 में
रघुनाथ महतो (RAGHUNATH MAHATO)
- रघुनाथ महतो का जन्म – घुटियाडीह गाँव (सरायकेला-खरसावां) में
- चुआर विद्रोह के प्रथम चरण को नेतृत्व प्रदान किया था।
- 1769 में नारा दिया– ‘अपना गाँव अपना राज, दूर भगाओ विदेशी राज’
- रघुनाथ महतो का मृत्यु – 1778 ई. में, लोटागाँव के समीप, अंग्रेज सैनिकों द्वारा गोली में
गंगा नारायण सिंह(GANGA NARAYAN)
- गगा नारायण सिंह का जन्म – बाडभूम (वीरभूम), राज परिवार में
- 1832-33 में – मानभूम के भूमिज विद्रोह का नेतृत्व किया था।
- अंग्रेजों ने ‘गंगा नारायण का हंगामा’ कहा।
- गंगा नारायण सिंह की हत्या – 7 फरवरी, 1833, को खरसावां के ठाकुर चेतन सिंह के सैनिकों के द्वारा
तेलंगा खड़िया (TELANGA KHARIYA)
- तेलंगा खड़िया का जन्म – 9 सितम्बर, 1806 , मुरगू गाँव (गुमला)
- 1849-50 ई. में अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह का नेतृत्व किया।
- हत्या – 22 अप्रैल, 1880 को बोधन सिंह ने गोली मारकर
- शव दफन स्थल – ‘तेलंगा तोपा टांड‘ (गुमला में )
रानी सर्वेश्वरी (RANI SARVESWARI)
- संथाल परगना के सुल्तानाबाद की रानी थी।
- 1781-82 में संथाल परगना क्षेत्र में पहाड़िया विद्रोह का नेतृत्व किया था।
- रानी सर्वेश्वरी की मृत्यु – 6 मई, 1807 को भागलपुर जेल में
सरदार पोटो हो(POTO SARDAR)
- सरदार पोटो हो कोल्हान के राजाबासा के निवासी थे
- पोटो सरदार का संबंध हो जनजाति से था।
- अंग्रेजों ने तत्कालीन सहायक पोलिटिकल एजेंट लेफ्टिनेंट टिकल के बनाए नियम को कोल्हान वासियों पर थोपना चाहते थे , जिसका विरोध कोल्हान वासियों ने किया था
- 19 नवंबर 1837 को सिरिंगसिया घाटी(पश्चिमी सिंहभूम) में आदिवासीयो एवं अंग्रेजों के बीच लड़ाई छिड़ गई है
- आदिवासीयो का नेतृत्व सरदार पोटो हो ने किया।
- अंग्रेजी सेना का नेतृत्व थॉमस विलकिंसन व टिकल ने किया।
- सरदार पोटो हो और डोबरो हो समेत अनेक योद्धाओं को अंग्रेजो के द्वारा 8 दिसंबर 1837 को गिरफ्तार किया गया
- 1 तथा 2 जनवरी 1838 को जगन्नाथपुर डाकबंगला परिसर में बरगद के पेड़ पर पोटो हो, नारा हो एवं बेराय हो सहित 7 हो (मुंडा) आदिवासियों को अंग्रेजों ने फांसी दे दी
जमादार माधव सिंह, सूबेदार नादिर अली खाँ तथा सूबेदार जयमंगल पाण्डेय
- 1857 के विद्रोह में अंग्रेजी सेना में शामिल जमादार माधव सिंह, सूबेदार नादिर अली खाँ तथा सूबेदार जयमंगल पाण्डेय ने लेफ्टिनेंट ग्राहम के नेतृत्व में हजारीबाग जाने के क्रम में रामगढ़ में विद्रोह कर दिया।
- 3 अक्टूबर को नादिर अली खाँ तथा जयमंगल पाण्डेय को अंग्रेजी सेना द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया तथा 4 अक्टूबर को दोनों को फाँसी दे दी गई, जबकि माधव सिंह अंग्रेजी सेना से बचकर भाग निकला।
पाण्डेय गणपत राय (PANDEY GANPAT RAY)
- 1857 के विद्रोह में हजारीबाग के विद्रोहियों ने पाण्डेय गणपत राय की सहायता से नागवंशी ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव से संपर्क स्थापित किया था।
- 21 अप्रैल, 1858 को पाण्डेय गणपत राय को राँची में कमिश्नर कंपाउंड में एक पेड़ पर फाँसी दे दी गई।
ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव(THAKUR VISWANATH SHAHDEV)
- 1857 के विद्रोह में ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने हजारीबाग के विद्रोहियों का नेतृत्व किया था।
- विश्वनाथ दुबे तथा महेश नारायण शाही के विश्वासघात के कारण अंग्रेजों ने ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को गिरफ्तार कर लिया।
- 16 अप्रैल, 1858 को राँची के कमिश्नर कंपाउंड में एक पेड़ पर ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को अंग्रेज सरकार द्वारा फाँसी दे दी गई।
टिकैत उमराव सिंह (Tikait Umrao Singh)
- टिकैत उमराव सिंह ओरमांझी के 12 गाँवों के जमींदार थे।
- अंग्रेजों द्वारा विद्रोहियों में भय उत्पन्न करने हेतु कैप्टेन मैक्डोनाल्ड की मद्रासी सेना की सहायता से टिकैत उमराव सिंह को उनके दीवान शेख भिखारी एवं भाई घासी सिंह के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।
- 8 जनवरी, 1858 को राँची के टैगोर हिल के पास उन्हें फाँसी दे दी गई।
राजा नीलमणि सिंह (RAJA NILMANI SINGH)
- राजा नीलमणि सिंह 1857 के विद्रोह के समय पंचेत के राजा थे तथा इन्होनें संथालों को अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह करने के लिए उकसाया।
- कैप्टेन माउण्ट गोमरी ने नबंबर, 1857 में इन्हें गिरफ्तार कर कोलकाता के अलीपुर जेल भेज दिया।
राजा अर्जुन सिंह (RAJA ARJUN SINGH)
- राजा अर्जुन सिंह 1857 के विद्रोह के समय पोरहाट के राजा थे तथा इन्होनें चाईबासा के विद्रोही सैनिकों को शरण प्रदान की थी।
- 1857 की क्रांति में राजा अर्जुन सिंह संपूर्ण सिंहभूम क्षेत्र में क्रांतिकारियों के प्रमुख नेता थे।
- राजा अर्जुन सिंह की मृत्यु वाराणसी में हुयी।
नीलांबर-पीतांबर (NILAMBER PITAMBER)
- 1857 के विद्रोह को पलामू क्षेत्र में नीलांबर-पीतांबर ने नेतृत्व प्रदान किया।
- अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ एक गुप्त स्थान पर जाने के क्रम में जासूसों द्वारा खबर दिये जाने पर नीलांबर पीतांबर को गिरफ्तार कर लिया गया तथा अप्रैल, 1859 में लेस्लीगंज (पलामू) में फाँसी दे दी गई। Nilambar-Pitamber
शेख भिखारी (SEKH BHIKHARI)
- शेख भिखारी का जन्म 1831 ई. में राँची के ओरमांझी (होक्टे गांव) में हुआ था।
- ये ठाकुर विश्वनाथ राय के दीवान थे।
- 1857 के विद्रोह में इन्होनें बड़कागांव की फौज में राँची एवं चाइबासा से नवयुवकों को भर्ती करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- 8 जनवरी, 1858 को चूटूपाल घाटी की पहाड़ी पर इन्हें अंग्रेजों द्वारा फाँसी दी गयी।
जमशेदजी नौशेरवानजी टाटा (JAMSEDJI TATA)
- जमशेदजी नौशेरवानजी टाटा का जन्म 3 मार्च, 1839 को नौसारी (गुजरात) में हुआ था।
- इनके पिता का नाम नौशेरवानजी तथा माता का नाम जीवनबाई था।
- इन्होनें 1887 ई. में नागपुर में कपड़ा बुनाई मिल के रूप में ‘इम्प्रेस कॉटन मिल’ तथा सूत कताई मिल के रूप में ‘टाटा स्वदेशी मिल’ की स्थापना की।
- टाटा स्टील (टिस्को) की स्थापना का प्रारंभिक विचार इन्होनें ही दिया। यही कारण है कि इन्ह टाटा कंपनी का संस्थापक माना जाता है।
- इन्होनें बेंगलुरू में भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science) तथा मुंबई में होटल ताज की स्थापना की।
- 19 मई, 1904 को जर्मनी में जे. एन. टाटा की मृत्यु हो गयी।
- (नोट – टाटा स्टील (टिस्को) की स्थापना सन् 1907 ई० में दोराबजी टाटा द्वारा टाटा स्टील का वास्तविक संस्थापक माना जा सकता है।)
सखाराम गणेश देउस्कर(SAKHARAM GANESH DEVUSKAR)
- सखाराम गणेश देउस्कर का जन्म मराठा परिवार में देवघर में हुआ था।
- देउस्कर ने बांग्ला भाषा में कई पुस्तकों की रचना की है जिनमें तिलकेर मुकदमा, देशोर कथा (1904) आदि प्रमुख हैं। देशोर कथा में इन्होनें भारत पर अंग्रेजी राज्य के प्रतिकूल आर्थिक परिणामों का विवेचन किया है।इस पुस्तक को अंग्रेज सरकार द्वारा 1910 ई. में प्रतिबंधित कर दिया गया।
- देउस्कर बांग्ला दैनिक “हितवादी’ के उपसंपादक भी थे।
नागरमल मोदी (NAGARMAL MODI)
- नागरमल मोदी स्वदेशी आंदोलन की शुरूआत करने वाले महत्वपूर्ण लोगों में शामिल थे।
- इन्होनें 1935 ई. में विधवा तथा निराश्रित महिलाओं के लिए अबला आश्रम की स्थापना की।
राम नारायण सिंह (RAMNARAYAN SINGH)
- राम नारायण सिंह का जन्म तेतरिया (चतरा) में हुआ था तथा वे पेशे से वकील थे।
- महात्मा गाँधी के आह्वान पर वे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गये।
- 1940 ई. में कांग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन में महात्मा गाँधी ने उन्हें छोटानागपुर केसरी की उपाधि दी।
- ‘स्वराज लुट गया‘ राम नारायण सिंह की प्रसिद्ध रचना है।
जहाँगीरजी रतनजी दादाभाई (जे.आर.डी.) टाटा (J.R.D TATA- Jahangirji Ratanji Dadabhai)
- जे. आर. डी. टाटा का जन्म 29 जुलाई, 1904 को पेरिस (फ्रांस) में हुआ था।
- इनके पिता का नाम जे. एन टाटा तथा माता का नाम सूनी था। इनकी माँ फ्रांसीसी थीं।
- 1929 ई. में विमान उड्डयन का लाइसेंस पाने वाले वे भारत के प्रथम व्यक्ति थे।
- जे. आर. डी. टाटा ने सन् 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की। इन्हें भारत में ‘नागरिक उड्ययन का जन्मदाता’ कहा जाता है।
- टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर बाद में एयर इण्डिया कर दिया गया तथा 1953 ई. में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।
- 1944-45 में भारत में आर्थिक विकास से संबंधित बॉम्बे प्लान को प्रस्तुत करने वाले दल में जे. आर. डी. टाटा भी शामिल थे।
- जे. आर. डी. टाटा ने 1945 ई. में मुंबई में टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ फण्डामेंटल रिसर्च (TIFR) की स्थापना की।
- जे. आर. डी. टाटा भारत रत्न (1992) प्राप्त करने वाले प्रथम उद्योगपति हैं।
- वे टाटा समूह के चौथे अध्यक्ष थे। इन्होनें सन् 1938 से 1991 तक टाटा समूह के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया।
जयपाल सिंह (JAIPAL SINGH MUNDA)
- जयपाल सिंह का जन्म – 3 जनवरी, 1903 , टकरा गाँव (खूंटी ) , मुण्डा परिवार में
- जयपाल सिंह का मूल नाम – वेनन्ह पाह था।
- इसाई धर्म अपनाने पर इनका नाम ईश्वर दास हुआ
- खूटी के पुरोहित द्वारा इनका नामकरण जयपाल सिंह किया गया।
- उपनाम – मुण्डा राजा, मरंङ गोमके,
- जयपाल सिंह की पत्नी का नाम – तारा मजुमदार
- कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष व्योमेश चंद्र बनर्जी की पुत्री थी।
- जयपाल सिंह की दूसरा पत्नी – जहाँआरा
- ब्रिटिश फौज के कर्नल रोनाल्ड कार्टिश की पत्नी थी।
- सेंट पाल हाई स्कूल के हेडमास्टर केनन कोसग्रेव ने उन्हें उच्च शिक्षा ग्रहण करने हेतु इंग्लैंड भेज दिया।
- जयपाल सिंह के नेतृत्व में भारत ने पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक पुरूष हॉकी में प्राप्त किया।
- 1928 , एम्सटर्डम (नीदरलैंड) ओलंपिक , भारतीय हॉकी टीम ने
- 1939 में आदिवासी महासभा के गठन में सहयोग प्रदान किया।
- 1950 में जयपाल सिंह ने झारखण्ड पार्टी का गठन किया।
- पृथक झारखण्ड की मांग करने वाले वे पहले नेता थे।
- मृत्यु– 20 मार्च, 1970, (Brain Haemorrhage) से, नई दिल्ली में
जुएल लकड़ा(JUVEL LAKRA/Jual Lakra)
- जुएल लकड़ा का जन्म मुरगू गाँव (राँची) में एक उराँव परिवार में हुआ था।
- जुएल लकड़ा ने 1915 ई. में छोटानागपुर उन्नति समाज की स्थापना की थी।
- इन्होनें यंग छोटानागपुर टीम के नाम से हॉकी तथा फुटबाल टीम का भी गठन किया था।
- जुएल लकड़ा झारखण्ड राज्य से पद्मश्री पुरस्कार (अक्टूबर, 1947) पाने वाले प्रथम आदिवासी हैं।
- 13 सितम्बर, 1994 ई. को जुएल लकड़ा की मृत्यु हो गयी।
विनोद बिहारी महतो (BINOD BIHARI MAHATO)
- विनोद बिहारी महतो को आदिवासियों के झारखण्ड आंदोलन को झारखण्डियों के आंदोलन में परिणत करने हेतु जाना जाता है।
- इन्होनें सन् 1969 में कुर्मी समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों को दूर करने हेतु शिवाजी समाज की स्थापना की।
- 1973 में गठित झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्यों में विनोद बिहारी महतो भी शामिल है और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के प्रथम अध्यक्ष बने।
- विनोद बिहारी महतो को लोग प्यार से बाबू के नाम से पुकारते थे।
शिबू सोरेन (SIBU SOREN)
- शिबू सोरेन का जन्म 1942 ई. में नेमरा (रामगढ़) नामक स्थान पर हुआ था।
- शिबू सोरेन का मूल नाम शिवचरण लाल महतो है।
- इनके पिता का नाम सोबरन माँझी तथा माता का नाम सोनामनी है।
- इन्हाने जयपाल सिंह के निधन के बाद पृथक झारखण्ड राज्य आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया ।
- शिबू सोरेन ने 1970 ई. में सोनोत (शुद्ध) संथाल समाज का गठन किया।
- 1973 में गठित झारखण्ड मक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्यों में शिबू सोरेन भी शामिल मुक्ति मोर्चा के प्रथम महासचिव बने।
- 1978 ई. में शिबू सोरेन के नेतृत्व में जंगल काटो अभियान चलाया गया जिसमें केन्द्र सरकार द्वारा हस्तक्षेप किया गया।
- 1980 ई. में निर्मल महतो के साथ मिलकर शिबू सोरेन ने ऑल झारखण्ड स्टूडेन्ट्स यूनियन (आजसू) का गठन किया।
- शिबू सोरेन द्वारा संचालित आंदोलन के दबाव में केन्द्र सरकार द्वारा 1989 में ‘झारखण्ड विषयक समिति’ का गठन किया गया तथा 1995 में बिहार सरकार द्वारा ‘झारखण्ड एरिया ऑटोनोमस काउंसिल’ का गठन किया गया।
- शिबू सोरेन तीन बार झारखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
- शिबू सोरेन को दिशोम गुरू तथा गुरूजी के नाम से भी जाना जाता है।
झारखण्ड के अन्य प्रमुख व्यक्तित्व के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्य
ठेबले उराँव(THEBLE ORAON)
- ठेबले उराँव ने 1930 ई. में ‘किसान सभा’ की स्थापना की। इसके सचिव पाल दयाल थे। ये ‘सनातन आदिवासी महासभा’ से भी जुड़े थे। Theble Uraon
बोनिफेस लकड़ा (BONIFESH LAKRA)
- बोनिफेस लकड़ा ने 1933 ई. में ‘छोटानागपुर कैथोलिक सभा’ की स्थापना की। इस सभा के प्रथम महासचिव इग्नेस बेक थे।
सुशील कुमार बागे(SUNIL KUMAR BAGE)
- सुशील कुमार बागे ने मुण्डारी पत्रिका ‘जगर सड़ा’ का संपादन किया।
बागुन सुम्ब्रई
- बागुन सुम्ब्रई ने 1967 ई. में ‘ऑल इण्डिया झारखण्ड पार्टी’ का गठन किया।
कार्तिक उराँव
- कार्तिक उराँव ने 1968 ई. में ‘अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद्’ की स्थापना की।
अजीत कुमार राय (ए. के. राय)
- अजीत कुमार राय (ए. के. राय) ने धनबाद कोयला खदानों के मजदूरों को संगठित कर मजदूर आंदोलन चलाया। इन्होनें 1971 ई. में ‘मार्क्सवादी समन्वय समिति’ का गठन किया। अलग झारखण्ड राज्य की मांग को लेकर इन्होने ‘लालखंड’ का नारा दिया था।
के. सी. हेम्ब्रम
- के. सी. हेम्ब्रम स्वायत्त कोलाहिस्तान की मांग करने वाले प्रथम नेता हैं। इन्हें बिहार सरकार द्वारा देशद्रोही करार दिया जा चुका है।
अल्बर्ट एक्का
- भारतीय थल सेना में शामिल झारखण्ड के अल्बर्ट एक्का ने भारत-पाक युद्ध, 1971 में वीरता से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की। भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र पाने वाले वे झारखण्ड के प्रथम एवं एकमात्र सैनिक हैं।
ललित मोहन राय
- ललित मोहन राय अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध चित्रकार हैं जिन्हें 1989 ई. में कलाश्री सम्मान प्रदान किया जा चुका है। इनके चित्रों में मुख्यतः आदिवासी जनजीवन को प्रदर्शित किया जाता है।
फादर कामिल बुल्के
- पद्मभूषण सम्मान प्राप्त फादर कामिल बुल्के का जन्म बेल्जियम में हुआ था तथा वे बाद में झारखण्ड के निवासी बन गये। इन्होनें भारत में हिन्दी विषय में पहली बार हिन्दी माध्यम में शोध किया। इनके शोध का विषय ‘रामकथा : उत्पत्ति एवं विकास’ था। इन्होनें कई हिन्दी रचनाओं के अतिरिक्त हिन्दी-अंग्रेजी शब्दकोष की भी रचना की।
डॉ० गाब्रियल हेम्ब्रम
- डॉ० गाब्रियल हेम्ब्रम झारखण्ड में जड़ी-बुटी के प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं। गुमला जिले के निवासी श्री हेम्ब्रम अपनी दवाओं से कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी का भी इलाज करते हैं।
कड़िया मुण्डा (कड़िया मुण्डा)
- कड़िया मुण्डा झारखण्ड से भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सांसद तथा लोकसभा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। वर्ष 2019 में समाज सेवा के क्षेत्र में योगदान हेतु इन्हें पद्मभूषण सम्मान प्रदान किया गया है। को
बाबूलाल मरांडी
- बाबूलाल मरांडी झारखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री हैं। अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में बाबूलाल मरांडी केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री के पद पर आसीन रह चुके हैं। इन्होनें ‘झारखण्ड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक)’ नामक राजनीतिक पार्टी की स्थापना की।
- 26 अक्टूबर, 2007 को गिरिडीह-जमुई की सीमा पर स्थित चिलखारी नामक स्थान पर एक नक्सली वारदात में इनके पुत्र अनुप मरांडी सहित 20 व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी थी।
यशवंत सिन्हा
- यशवंत सिन्हा झारखण्ड के प्रमुख राजनीतिज्ञ हैं। श्री सिन्हा भारत के वित्त मंत्री भी रह चुके हैं। श्री सिन्हा द्वरा वर्ष 2001 से प्रातः 11 बजे लोकसभा में बजट प्रस्तुत करने की परंपरा प्रारंभ की गयी। इससे पूर्व बजट का प्रस्तुतीकरण सांय 5 बजे किया जाता था।
भीष्म नारायण सिंह
- पलामू में जन्मे भीष्म नारायण सिंह केन्द्रीय मंत्री के अतिरिक्त असम तथा तमिलनाडु के राज्यपाल रह चुके हैं।
सीमोन उराँव (JHARKHAND के जल पुरुष )
- इन्होनें सामुदायिक स्तर पर जल संरक्षण एवं उसके समुचित उपयोग का सफल क्रियान्वयन किया।
- सिमोन उराँव प्रख्यात पर्यावरणविद् हैं। इन्होनें लकड़ी की तस्करी को रोकने हेतु ‘जंगल सुरक्षा समिति’ का गठन किया है।
- इन्हें ‘पानी बाबा’ के नाम से भी जाना जाता है।
- 2016 में इन्हें पद्मश्री पुरस्कार दिया जा चुका है।
पंडित रघुनाथ मुर्मू
- पंडित रघुनाथ मुर्मू ने संथाली लिपि ‘ओलचिकी’ का आविष्कार किया।
मुकुंद नायक
- मुकुंद नायक नागपुरी लोकसंगीत तथा नृत्य के प्रसिद्ध कलाकार हैं तथा राँची में इन्होने अपनी लोककला के विकास हेतु ‘कुंजवन’ की स्थापना की है।
सचिन दा
- सचिन दा संयुक्त शांति पदक से सम्मानित होने वाले प्रथम भारतीय छायाकार हैं।
हरेन ठाकुर
- हरेन ठाकुर प्रसिद्ध चित्रकार हैं तथा इन्होनें ‘बिजुका’ को केंद्रबिन्दु मानकर एक श्रृंखला में अपनी पेंटिंग प्रस्तुत की है।
बुलू इमाम
- बुलू इमाम ने जनजातीय लोककला ‘सोहराय’ तथा ‘कोहबर’ को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलायी है। वर्ष 2019 में इन्हें पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है।
जमुना टुडू
- जमुना टुडू को ‘लेडी टार्जन’ के नाम से जाना जाता है। पर्यावरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु इन्हें 2019 में पद्मश्री सम्मान दिया जा चुका है।
दिगंबर हांसदा
- दिगंबर हांसदा को शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु 2018 में पद्मश्री सम्मान मिल चुका है।
राजकुमार सुधेन्दु नारायण सिंह देव
- राजकुमार सुधेन्दु नारायण सिंह देव सरायकेला शैली के छऊ नृत्य के अंतर्राष्ट्रीय नर्तक एवं नृत्य निर्देशक हैं। इन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
केदारनाथ साहू
- पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त केदारनाथ साहू छऊ नृत्य के विश्वविख्यात कलाकार हैं।
श्रीप्रकाश
- श्रीप्रकाश झारखण्ड के संजीदा विषयों पर डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण हेतु प्रख्यात हैं। यूरेनियम खान के दुष्प्रभाव का प्रदर्शन करने वाली इनकी फिल्म ‘बुद्धा विप्स इन जादूगोड़ा’ को अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।
चामी मुर्मू
- चामी मुर्मू को भारत सरकार द्वारा ‘इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र’ सम्मान से नवाजा जा चुका है।
दयामनी बरला
- दयामनी बरला को ग्रामीण पत्रकारिता हेतु ‘काउंटर मीडिया अवार्ड’ से सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें ‘आयरन लेडी ऑफ झारखण्ड’ कहा जाता है।
आर. के. आनन्द
- आर. के. आनन्द झारखण्ड ओलंपिक संघ के अध्यक्ष हैं।
अमिताभ चौधरी
- अमिताभ चौधरी झारखण्ड राज्य क्रिकेट एसोशिएशन के अध्यक्ष हैं।
शेखर बोस
- शेखर बोस प्रसिद्ध बॉलीबॉल प्रशिक्षक हैं।
सावित्री पुर्ती
- सावित्री पुर्ती झारखण्ड की प्रथम आदिवासी अंतर्राष्ट्रीय महिला हॉकी खिलाड़ी हैं।
महेन्द्र सिंह धोनी
- राजीव गाँधी खेल रत्न, पद्मश्री तथा पद्मभूषण सम्मान प्राप्त महेन्द्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान हैं। धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम 2011 का विश्व क्रिकेट कप जीतने में सफल रही है।
सौरभ तिवारी
- जमशेदपुर के सौरभ तिवारी भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य हैं।
वरूण एरोन
- जमशेदपुर के वरूण एरोन भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज हैं।
दीपिका कुमारी
- झारखण्ड की दीपिका कुमारी विश्व स्तर पर प्रसिद्ध तीरंदाज हैं। इन्होनें टाटा धनुर्विद्या अकादमी, जमशेदपुर से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इन्हें 2016 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
झानो हांसदा
- झानो हांसदा ने तीरंदाजी के क्षेत्र में एशियन चैंपियन में स्वर्ण, विश्व कप आर्चरी में स्वर्ण तथा अन्य कई प्रतियोगिताओं में विभिन्न खिताब हासिल किया है।
सुबोध कुमार
- सुबोध कुमार सैफ फुटबाल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रह चुके हैं।
सुमेराय टेटे
- सुमेराय टेटे अंतर्राष्ट्रीय स्तर की हॉकी खिलाड़ी हैं। इन्होनें भारतीय महिला हॉकी टीम का नेतृत्व किया है।
अंसुता लकड़ा
- अंसुता लकड़ा भारतीय महिला हॉकी टीम की सदस्य हैं।
विमल लकड़ा
- विमल लकड़ा भारतीय हॉकी टीम के प्रमुख सदस्य रह चुके हैं।
राहुल बनर्जी
- राहुल बनर्जी टाटा आर्चरी एकेडमी से जुड़े हैं। इन्होनें राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है।
अरूणा मिश्रा
- अरूणा मिश्रा ने 2004 तथा 2005 के एशियन गेम्स में मुक्केबाजी का स्वर्ण पदक प्राप्त किया है।
इम्तियाज अली
- जमशेदपुर के इम्तियाज अली बॉलीवुड के निर्देशक हैं।
अलीशा,Ranchi ki Rajkumari
- राँची की अलीशा जीटीवी के कार्यक्रम ‘डांस इण्डिया डांस’ की उपविजेता थीं।
दीपक तिर्की
- दीपक तिर्की महुआ चैनल पर प्रसारित कार्यक्रम ‘चक दे बच्चे’ के विजेता रह चके हैं।
म्यांग चांग
- धनबाद के म्यांग चांग बॉलीवुड के सितारे हैं।
तनुश्री दत्ता
- 2004 की फेमिना मिस इण्डिया तनुश्री दत्ता बॉलीवुड की अभिनेत्री हैं।
माधवन
- जमशेदपुर के माधवन भारतीय सिनेमा के कलाकार हैं।
ज्योति रोज
- यूनिसेफ द्वारा वर्ष 2007 में ‘गर्ल स्टार’ के रूप में सम्मानित की जा चुकी हैं।
- वर्तमान में ज्योति रोज ऑल इण्डिया रेडियो में कार्यरत हैं।
डॉ रामदयाल मुंडा
- जन्म – 23 अगस्त 1939
- निधन – 30 सितंबर 2011(कैंसर )
- इनका जन्म देवरी गांव तमाड़ रांची में हुआ था
- 30 सितंबर 2021 को राम दयाल मुंडा का दसवां पुण्यतिथि मनाया जा रहा है
- रामदयाल मुंडा के प्रयास से ही रांची विश्वविद्यालय में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग की शुरुआत की गई थी
- वह वर्ष 1981 में रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के अध्यक्ष बने हैं
- 1986 में रांची विश्वविद्यालय के कुलपति बने
- उन्होंने द The Jharkhand Movement Retrospect and Prospect नामक आलेख लिखा।
- फिल्मकार मेघनाथ के द्वारा रामदयाल मुंडा के जीवन पर आधारित एक वृत्तचित्र(Documentary film) “नाची से बाँची” बनाई गई.
- फिल्मकार मेघनाथ उन्हें झारखंड का टैगोर मानते हैं।डा. राम दयाल मुंडा झारखंड के रवींद्रनाथ टैगोर थे।
- वे दो भाषाओं नागपुरी और मुंडारी में गीत लिखते थे।
- पहिल पिरितिया उनका प्रसिद्ध गीत है
- डॉ रामदयाल मुंडा के जीवन पर प्रथम शोध 2018 में “डॉ रामदयाल मुंडा : व्यक्तित्व एवं कृतित्व” विषय पर शोध डॉ शांति नाग के द्वारा किया गया
- रामदयाल मुंडा भारत सरकार द्वारा गठित झारखंड विषयक समिति ,1989 के सदस्य भी रहे हैं
- डॉ रामदयाल मुंडा झारखंड से राज्यसभा के लिए मनोनीत होने वाले प्रथम व्यक्ति हैं
- श्री मुंडा को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2007 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार तथा वर्ष 2010 में सांस्कृतिक योगदान हेतु पदम श्री सम्मान से सम्मानित किया गया है
- डॉ रामदयाल मुंडा की रचनाएं-आदि धर्म,मुंडारी कोठारी
वरिष्ठ पत्रकार बलबीर दत्त
- 1963 में ‘रांची एक्सप्रेस’ के संस्थापक संपादक बने।
- साप्ताहिक ‘जय मातृभूमि’ और दैनिक ‘देशप्राण’ का भी इन्होंने संपादन किया।