राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम”
बंकिम चंद्र चटर्जी के बाँग्ला उपन्यास आनंद मठ(1882) से वंदे मातरम को राष्ट्रगीत के रूप में 24 जनवरी 1950 को स्वीकार किया गया
आनंदमठ उपन्यास अंग्रेजी शासन, जमींदारों के शोषण व प्राकृतिक प्रकोप (अकाल) से त्रस्त जनता द्वारा बंगाल में किए गए सन्यासी विद्रोह पर आधारित था।
इसे सर्वप्रथम 1896 में कांग्रेस के कलकाता अधिवेशन में रवीन्द्र नाथ टैगोर ने गाया गया था जिसका अध्यक्षता रहीमतुल्ला सयानी के द्वारा किया गया था
इस गीत को गाने का समय 65 सेकेंड है
भारतीय संसद का अधिवेशन का प्रारंभ “जन गन मन” से और समापन “वंदे मातरम” से होता है
वंदे मातरम् गीत के प्रथम दो पद संस्कृत में तथा शेष पद बांग्ला भाषा में थे।
राष्ट्रकवि रवींद्रनाथ टैगोर ने इस गीत को compose किया
अरबिंदो घोष ने इस गीत का अंग्रेज़ी में और आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने इसका उर्दू में अनुवाद किया।
इस राष्ट्रगीत के प्रथम गायक पंडित ओमकारनाथ ठाकुर थे
बंकिम चंद्र चटर्जी
बंगाली के साहित्य सम्राट
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 27 जून, 1838 को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के कांठलपाड़ा नामक गांव में हुआ था
बंकिमचंद्र चन्द्र चट्टोपाध्याय का पहला उपन्यास ‘रायमोहन्स वाईफ’ अंग्रेजी में था.
साल 1865 में उनकी प्रथम बांग्ला कृति ‘दुर्गेशनंदिनी’ प्रकाशित हुई.
1872 में मासिक पत्रिका ‘बंगदर्शन’ का भी प्रकाशन किया.
बंकिमचंद्र चटर्जी को रवींद्रनाथ टैगोर अपना गुरु भी मानते थे.
उनकी अगली रचनाएं कपालकुंडला, मृणालिनी, विषवृक्ष, चंद्रशेखर, रजनी, राजसिंह ,देवी चौधुरानी आईं.
उन्होंने ‘सीताराम’, ‘कमला कांतेर दप्तर’, ‘कृष्ण कांतेर विल’, ‘विज्ञान रहस्य’, ‘लोकरहस्य’, ‘धर्मतत्व’ जैसे ग्रंथ भी लिखे.