बिहार के खनिज
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बिहार में खनिज सम्पदा 

  • नवम्बर 2000 में राज्य के विभाजन के कारण अधिकांश खनिज संपदाओं के झारखंड में चले जाने के बाद बिहार के मुंगेर, भागलपुर और बाँका जिले में उपलब्ध ताँबा, शीशा, जस्ता, सोना, कीमती पत्थर, अभ्रक, टीन और दुर्लभ धातुओं जैसे खनिज संपदाओं का महत्व और भी बढ़ गया है । 
  • भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार राज्य के मुंगेर जिले के खड़गपुर पहाड़ियों में सतह से 100 मीटर नीचे तक करीब 44.9 करोड़ टन क्वाटर्जाइट का पता लगाया गया है, जिसमें सिलिका की मात्रा 97 से 99 प्रतिशत है । इसका उपयोग काँच उद्योग में किया गया है और आजकल इसका उपयोग सिलिका की ईंट बनाने में व्यापक रूप से हो रहा है ।
  • राज्य के बाँका, भागलपुर एवं जमुई जिलों से गुजरने वाले इसातू – बेलबभान बहु- धात्विक पट्टी में उप-धातु ताँबा, शीशा और जस्ता का पता लगाया गया है। 
  • बाँका जिला के पिंडारा, धाबा एवं बिहारवाड़ी क्षेत्रों में 6.9 लाख टन उप-धातु अयस्क का आकलन किया गया है। 
  • अभ्रक  
    • यह एक अधात्विक खनिज है, अतः यह बिजली का कुचालक है । अत्यधिक ताप सहन करने में समर्थ इस खनिज का उपयोग बिजली के साथ अन्य उद्योगों में भी होता है । 
    • झारखंड के गिरिडीहकोडरमा से पूर्व में बिहार के नवादा और जमुई जिले तक अभ्रक की 145 किमी लम्बी और 32 किमी चौड़ी एक पेटी पायी जाती है। 
    • विश्व की सर्वोत्कृष्ट कोटि का रूबी अबरख (अभ्रक) उत्पादन करने वाला क्षेत्र बिहार और झारखंड के 4640 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है । 
    •  बिहार में प्रमुख अभ्रक क्षेत्र हैं नवादा, जमुई, मुंगेर, भागलपुर और गया । 
  • एस्वेस्टस 
  • यह एक चमकीला तथा रेशेदार खनिज है जो धारवाड़ क्रम की चट्टानों में पाया जाता है।
  • भवन-निर्माण के कार्य में लाया जानेवाला यह खनिज बिहार में मात्र मुंगेर जिला में ही कुछ मात्रा में पाया जाता है। 
  • क्वार्ट्ज 
    • इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों, जैसे— सीसा, सीमेंट, रिफेक्ट्री बिजली उद्योग इत्यादि में होता है । 
    • यह मुख्य रूप से मुंगेर जिले के धारवाड़ युग की पहाड़ियों में पाया जाता है। 
  • गंधक 
  • गंधक हालांकि एक महत्वपूर्ण खनिज है पर बिहार में इसका अभाव है। अभी तक इसकी प्राप्ति ताँबा अयस्क तथा पायराइट खनिज प्रस्तर से होती है । 
  • वर्तमान समय में व्यावसायिक स्तर पर पायराइट्स का खनन रोहतास जिले के अमझोर नामक स्थान पर होता है तथा इससे गंधक का अम्ल तैयार किया जाता है । 
  • गैलेना 
  • गैलेना लेड धातु का एक प्रमुख अयस्क है। राज्य में इस खनिज के बड़े निक्षेप बाँका जिला के अबरखा क्षेत्र में मिलने की पुष्टि की गई है । 
  • इस खनिज का उपयोग आणविक संयंत्र निर्माण, पेंट तथा अन्य रसायन उद्योग में किया जाता है । 
  • चीनी मिट्टी 
  • यह फेल्सपार के विघटन से प्राप्त होने वाली उजली मिट्टी है । इसका उपयोग तापसह उद्योग, कागज, उर्वरक, वस्त्र, कॉस्मेटिक, कीटनाशक, सीमेंट एवं बर्तन उद्योग में होता है । 
  • यह खनिज बिहार के भागलपुर और मुंगेर जिले में मिलता है । 
  • चूना-पत्थर 
  • यह सीमेंट का प्रमुख कच्चा माल है। परंतु इसका उपयोग इस्पात उद्योग के धमन भट्ठी के अलावा चीनी, सूती वस्त्र, उवर्रक जैसे अनेक उद्योगों में भी उपयोग होता है । 
  • देश में सबसे उच्च कोटि का चूना पत्थर रोहतास और कैमूर जिले में फैले कैमूर के पठार में पाया जाता है। चूनाइट्टन, रामडिहरा, बऊलिया और बंजारी आदि प्रमुख चूना पत्थर के उत्पादक क्षेत्र हैं । 
  • टिन 
  • यह कैसिटेराइट नामक खनिज संस्तर से प्राप्त होता है । इसका उपयोग अनेक मिश्र धातुओं के निर्माण में होता है । 
  • यह बिहार के गया जिले के देवराज और कुर्कखंड नामक स्थानों पर मिलता है । 
  • डोलोमाइट 
  • यह धवन भट्ठियों और रिफेक्ट्री उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है । > यह बिहार के रोहतास जिला में पाया जाता है । 
  • पाइराइट्स 
  • पायराइट्स गंधक का स्रोत है। पायराइट्स में गंधक का अंश 47 प्रतिशत है। इसका उपयोग सुपर फॉस्फेट, कठोर रबर तथा पेट्रोलियम उद्योग में होता है । 
  • यह मुख्यतः ऊपरी विंध्य समूह, अमझोर की पहाड़ियों, किसीसिमाकोह, मनकोह आदि में पाया जाता है। 
  • रोहतास जिले के अमझोर में लगभग 109 वर्ग किलोमीटर में पायराइट्स पाया जाता है । यहाँ इसका अनुमानित संचित भंडार करीब 40 करोड़ टन है । अमझोर में आयरन पायराइट्स का एक कारखाना भी है। 
  • फेल्सपार 
  • यह मुख्यतः पेगमैटाइट में क्वार्ट्ज के साथ पाया जाता है तथा इसका उपयोग सिरामिक, शीशा और रिफेक्ट्री उद्योग में होता है । 
  • यह मुंगेर जिले में पाया जाता है। जहाँ रेलमार्ग की सुविधा है, उन्हीं क्षेत्रों में व्यावसायिक स्तर पर इसका खनन संभव हो पाया  
  • बॉक्साइट 
  • लैटेराइट के साथ बिहार में बॉक्साइट के भंडार उपलब्ध हैं । यह रोहतास जिले के बंजारी में मिलता है । 
  • यूरेनियम 
  • इसका उपयोग महत्वपूर्ण रिएक्टरों को संचालित करने के लिए ईंधन के रूप में किया जाता है । यह खनिज बिहार के गया क्षेत्र में पाया जाता है । 
  • रेह 
  • यह एक क्षारीय मिट्टी है जो ग्रामीण अंचलों में शोरा उत्पादक क्षेत्रों के समीपवर्ती क्षेत्रों में पायी जाती है। उत्तर-पश्चिमी बिहार के अतिरिक्त यह पटना, गया और मुंगेर जिलों के कुछ स्थानों में भी पायी जाती है । 
  • शोरा 
  •  बिहार प्राचीन काल से ही शोरा का महत्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्र रहा है । 
  • ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने इस रसायन के निर्यात की शुरुआत की थी । 
  • यह नोनिया मिट्टी के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में पाया जाता है। बिहार में इसके मुख्य उत्पादक क्षेत्र सारण, बेगूसराय, समस्तीपुर, सिवान, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण और मुजफ्फरपुर जिले हैं ।
  • बिहार का शोरा, मुख्यतः विस्फोटक, अन्य रासायनिक पदार्थ, उर्वरक इत्यादि के निर्माण हेतु किया जाता है । 
  • स्लेट 
  • यह मुंगेर और जमुई जिलों में खड़गपुर की पहाड़ियों में पाया जाता है । 
  • सीसा 
  • यह गैलेना नामक खनिज संस्तर से प्राप्त होता है। इसका उपयोग अनेक रूपों में किया जाता है । यह भागलपुर जिले के कुछ स्थानों पर पाया जाता है । 
  • सोडियम लवण 
  • यह सारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर और पश्चिमी चंपारण जिलों में प्रचुरता से उपलब्ध है । साथ ही यह नवादा, गया, मुंगेर में भी पाया जाता है । 
  • सोना 
  • यह मुंगेर जिले के करमटिया में मिलता है । 
  • सैंडस्टोन 
  • सैंडस्टोन का उपयोग मुख्य रूप से भवन निर्माण हेतु सजावटी पत्थर तथा शीशा उद्योग में किया जाता है। रोहतास के कैमूर पहाड़ियों पर उच्च सिलिका प्रतिशत वाला सैंडस्टोन का प्रचुर भण्डार है । 
  • सोप स्टोन 
  • सोप स्टोन का प्रयोग सौन्दर्य प्रसाधन एवं पेंट उद्योग में किया जाता है । 
  • सोप स्टोन का बड़ा भण्डार जमुई जिला के शंकरपुर क्षेत्र में पाया गया है ।