दूरी (Distance)

  • गति करती हुई वस्तु के द्वारा तय किये गए  संपूर्ण मार्ग की लंबाई को दूरी कहा जाता है।
  • दूरी अदिश राशि है।
  •  दूरी का मान सदैव धनात्मक होता है।

विस्थापन (Displacement)

चाल (Speed) 

  • किसी वस्तु द्वारा इकाई समय में तय की गई दूरी  के मान को उस वस्तु की चाल कहते हैं।
  • चाल अदिश राशि है।
  • चाल का SI मात्रक मीटर/सेकंड होता है।

वेग (Velocity) 

 

 त्वरण (Acceleration)

  • यदि किसी वस्तु का वेग समय के साथ परिवर्तित होता है तो उस वस्तु के वेग परिवर्तन की दर को त्वरण कहा जाता है।
  • त्वरण = वेग में परिवर्तन /समयांतराल
  • a = (v-u)/t
    • जहाँ, V = अंतिम वेग ,
    • u = प्रारंभिक वेग,
    • t = समयांतराल
  •  त्वरण एक सदिश राशि है।
  •  त्वरण का SI मात्रक मीटर/सेकंड2 होता है।
  • वेग की दिशा में त्वरण होने पर इसे धनात्मक जबकि वेग की विपरीत दिशा में त्वरण होने पर इसे ऋणात्मक रूप में दर्शाते हैं।

Galileo Equations (एकसमान गति के लिए ) : 

s = displacement, u = initial velocity, v = final velocity, a = acceleration, t = time.

 

वृत्तीय गति (Circular Motion)

  • जब कोई वस्तु किसी वृत्ताकार मार्ग पर गति करती है तो इसे वृत्तीय गति कहते हैं। 
  • यदि वह एक समान चाल से गति करती है तो उसकी गति को “एक समान वृत्तीय गति’ (Uniform Circular Motion) कहते हैं। 
  • एक समान वृत्तीय गति एक त्वरित गति होती है, क्योंकि वेग की दिशा प्रत्येक बिंदु पर बदल जाती है। चूँकि इस त्वरण की दिशा हमेशा केंद्र की ओर होती है अतः इसे अभिकेंद्र त्वरण(centripetal acceleration) भी कहते हैं।
  • There is no acceleration in a uniform straight line motion, whereas in a uniform circular motion there is always an acceleration at work.

कोणीय विस्थापन (Angular Displacement) 

  • वृत्तीय गति के अधीन कोई वस्तु अपनी प्रारंभिक स्थिति के सापेक्ष जितने कोण घूम जाती है उसे कोणीय विस्थापन कहा जाता है।
  •  कोणीय विस्थापन एक सदिश राशि है।
  •  कोणीय विस्थापन का मात्रक रेडियन’ (Radian) होता है।
  •  कोणीय विस्थापन की विमा [M°L° T°] होती है अर्थात् इसे द्रव्यमान, लंबाई एवं समय के पदों में नहीं व्यक्त किया जा सकता।

कोणीय वेग (Angular Velocity)

  • वृत्तीय मार्ग पर गति करते हुए कण के कोणीय विस्थापन की परिवर्तन दर को उस कण का कोणीय वेग कहते हैं। 
  • इसे ओमेगा (ω) से दर्शाते हैं।
  •  कोणीय वेग एक सदिश राशि है।
  •   कोणीय वेग का मात्रक रेडियन/सेकंड होता है। 
  •  यदि कण पूरे चक्कर में 2 रेडियन कोण (360°) घूम जाए तो एक चक्कर पूर्ण करने में लगा समय कण का परिक्रमण काल (T) कहलाता है। 
  • वहीं, कण द्वारा एक सेकेंड, समय में लगाए गए चक्कर की संख्या कण की आवृत्ति (n) कहलाती है।
  •  कोणीय वेग तथा आवृत्ति में संबंधः औसत कोणीय वेग 

बल (Force) 

  • बल वह बाह्य कारक है, जो किसी वस्तु की आकृति (Size), आकार (Shape) या गति की अवस्था (विरामावस्था या एक समान गति अवस्था) में परिवर्तन कर सकता है। 
  • बल एक सदिश राशि है।
  • इसका SI मात्रक कि.ग्रा. मीटर/सेकंड2 या न्यूटन(N) है।  

FORCE = MASS * ACCELERATION

F=ma

 

न्यूटन के गति के नियम (Newton’s Laws of Motion)

  •  गैलिलियो एवं आइजैक न्यूटन ने सर्वप्रथम वस्तुओं की गति के संबंध में विचार प्रस्तुत किये।
  •  आइजैक न्यूटन ने सन् 1687 में अपनी पुस्तक ‘प्रिंसिपिया (Principia)’ में गति संबंधी अपने विचारों को तीन नियमों के रूप में बताया जिन्हें न्यूटन के गति विषयक नियम कहा जाता है।

 

गति का प्रथम नियम : जड़त्व का नियम 

(First Law of Motion : Law of Inertia)

  • इस नियम के अनुसार, यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है तो वह विराम अवस्था में रहेगी या यदि एक समान गति से सीधी रेखा में चल रही है तो वैसी ही चलती रहेगी, जब तक उस पर कोई बाह्य बल लगाकर उसकी वर्तमान अवस्था में परिवर्तन न किया जाए।
  • इस नियम को जड़त्व का नियम’ भी कहते हैं। इस नियम से स्पष्ट है कि किसी वस्तु के अवस्था परिवर्तन हेतु एक बल का होना आवश्यक है।

 

 जड़त्व 

  • जड़त्व किसी वस्तु का वह गुण है, जिसके कारण वस्तु बाह्य बल की अनुपस्थिति में अपनी नियत अवस्था में बनी रहती है। 
  •  अतः ‘परिवर्तन का प्रतिरोध जड़त्व है। 
  • जड़त्व की माप द्रव्यमान है अर्थात् भारी वस्तु का जड़त्व अधिक और हल्की का कम होगा। 

जड़त्व के नियम से प्राप्त बल की परिभाषा  

  • बल वह बाह्य कारक है जो किसी वस्तु की प्रारंभिक अवस्था में परिवर्तन करता है या परिवर्तन करने की चेष्टा करता है।”

 जड़त्व के नियम के दैनिक जीवन में प्रेक्षण

  • चलती हुई ट्रेन या बस से उतरने वाले व्यक्ति को थोड़ी दूर तक उसी दिशा में दौड़ना पड़ता है।
  • चलती गाड़ी में अचानक ब्रेक लगने पर गाड़ी में बैठा हुआ व्यक्ति आगे झुक जाता है और स्थिर गाड़ी के एकाएक चलने पर व्यक्ति को पीछे की ओर झटका लगता है।  
  • तेज़ी से चलती गाड़ी के मुड़ने पर उसमें बैठा व्यक्ति गाड़ी के मुड़ने की दिशा की विपरीत दिशा में झुक जाता है। 
  • पेड़ की शाखाओं को ज़ोर से हिलाने पर उसमें लगे फल टूट कर गिर पड़ते हैं। 

 

संवेग (Momentum)

  • किसी  वस्तु के द्रव्यमान और वेग के गुणनफल(product of mass and velocity) को उस वस्तु का संवेग कहते हैं। 
  • संवेग एक सदिश राशि है।
  •  इसका मात्रक कि.ग्रा. मी./सेकंड है। 

momentum = mass x velocity

  • यदि दो वस्तुओं का वेग समान हो तो भारी वस्तु का संवेग अधिक होगा परंतु दो समान भारी वस्तुओं में जिसका वेग अधिक होगा उसका संवेग अधिक होगा।

 

गति का द्वितीय नियम (Second Law of Motion)

  • According to this law, the rate of change of momentum of an object is directly proportional to the unbalanced force acting on it 
  • माना कि m द्रव्यमान की कोई वस्तु, u प्रारंभिक वेग से सीधी रेखा में चल रही है। t समय तक एक निश्चित बल ‘F’ लगने पर उस वस्तु का वेग v हो जाता है। 

इसके प्रारंभिक एवं अंतिम संवेग क्रमशः  P1 = mu और P2= mv होंगे।

 संवेग में परिवर्तन ‘P’ = P2 – P1

                             = mv – mu

                              = m (v-u)

                               F   m (v-u)t

                                  F ma    F =ma

 

गति के द्वितीय नियम के अनुप्रयोग 

  • क्रिकेट के खेल में क्षेत्र रक्षक जब तेज़ी से आती गेंद को कैच करता है तो अपने हाथों को गेंद के वेग की दिशा में पीछे की ओर करते हुए गेंद पकड़ता है।
  •  गाड़ियों में लगने वाले झटकों से बचने के लिये स्प्रिंग तथा शॉक एब्जारवर लगाए जाते हैं।
  • यदि हल्की और भारी दो गेंदें एक समान वेग से गतिशील हैं, तो हल्की गेंद को कैच करना आसान होता है।

 

गति का तृतीय नियम : क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम 

(Third Law of Motion : Action Reaction Law)  

  • गति के तृतीय नियमानुसार- एक वस्तु क्रिया रूप में दूसरी वस्तु पर जितना बल लगाती है, दूसरी वस्तु भी उतना ही बल विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया रूप में लगाती है 
  • अर्थात प्रत्येक क्रिया की उसके बराबर तथा विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है। 
  • every action, there is an equal and opposite reaction

 

उदाहरण के लियेः 

  • बंदूक से जब गोली छोड़ी जाती है तो हमें पीछे की ओर झटका लगता है। इसका कारण है जितने बल से गोली आगे जाती है। उतना ही बल वह प्रतिक्रिया स्वरूप बंदूक पर लगाती है।
  • रॉकेट की गति उससे निकलने वाले तीव्र गैसीय निकास (Exhaust) की प्रतिक्रिया होती है।
  • नाव को जल में चलाने के लिये चप्पू से जल को पीछे की ओर धकेलना। 
  • हम अपने भार का जो अनुभव करते हैं वह भी प्रतिक्रिया बल का उदाहरण है। 

संवेग संरक्षण का सिद्धांत (Law of Conservation of Momentum)

  • न्यूटन के गति के द्वितीय और तृतीय दोनों नियमों के सम्मिलित प्रभावों से संवेग संरक्षण के नियम की प्राप्ति होती है। 
  • The principle of conservation of momentum law tells us that the total momentum of a system is always conserved.
  • इसके अनुसार, “यदि कणों के किसी समूह या निकाय पर बाह्य बल न लग रहा हो तो, उस निकाय का कुल संवेग नियत रहता है।”
  • For two or more bodies in an isolated system acting upon each other, their total momentum remains constant unless an external force is applied. Therefore, momentum can neither be created nor destroyed.

                

संवेग संरक्षण के नियम के उदाहरण 

  • रॉकेट प्रणोदन(rocket propulsion)– रॉकेट का उड़ना क्रिया-प्रतिक्रिया एवं संवेग सरंक्षण के सिद्धांतों पर आधारित है। रॉकेट का ईंधन जब जलता है तो तीव्र गति से गैसीय निकास होता है, जो प्रतिक्रिया स्वरूप रॉकेट को ऊपर धकेलता है। 
  • रॉकेट ईंधन का नियत वेग से दहन होने पर संवेग परिवर्तन की दर भी नियत रहती है, पर जैसे-जैसे रॉकेट उड़ता है उसमें ईंधन का दहन होने से रॉकेट का द्रव्यमान कम हो जाता है, जिसके कारण संवेग संरक्षण के नियमानुसार रॉकेट के वेगत्वरण में वृद्धि होती है। 
  •  संवेग संरक्षण के कारण ही जब कोई व्यक्ति नाव से कूदता है तो नाव पीछे खिसकती है।

 

 अभिकेंद्रीय बल (Centripetal Force)

  • न्यूटन के द्वितीय नियमानुसार त्वरण सदैव किसी बल का ही परिणाम होता है तथा इस बल की दिशा वही होती है जो त्वरण की होती है।
  • हम जानते हैं कि वृत्तीय पथ पर गति करते कण पर एक अभिकेंद्र त्वरण कार्य करता है। अतः हम कह सकते हैं कि वृत्तीय पथ पर गति करने वाले कण पर एक बल कार्य करता है, जिसकी दिशा सदैव वृत्त के केंद्र की ओर रहती है। इसी बल को अभिकेंद्र बल कहा जाता है।
  • A centripetal force is a net force that acts on an object to keep it moving along a circular path.

वृत्तीय पथ पर गतिमान कण का अभिकेंद्र त्वरण a = v2/r

 

अभिकेंद्र बल के उदाहरण 

  • जब कोई कार सड़क के मोड़ पर मुड़ती है तो उसे मुड़ने के लिये आवश्यक अभिकेंद्र बल टायरों तथा सड़क के बीच लगने वाले घर्षण बल से प्राप्त हो जाता है। 
  •  ग्रहों को सूर्य के परिक्रमण के लिये एवं उपग्रहों को ग्रहों के परिक्रमण के लिये आवश्यक अभिकेंद्र बल गुरुत्वाकर्षण बल से प्राप्त होता है। 
  • किसी परमाणु के नाभिक के चारों ओर वृत्तीय कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन को घूमने के लिये आवश्यक अभिकेंद्र बल विद्युत आकर्षण बल से प्राप्त होता है।
  •  जब किसी पत्थर के टुकड़े को डोरी से बाँधकर वृत्ताकार पथ पर घुमाया जाता है तो डोरी को अंदर की ओर खींचे रहना पड़ता है अर्थात् डोरी पर अंदर की ओर एक बल लगाना पड़ता है, यह डोरी पर उत्पन्न तनाव होता है। अतः डोरी के तनाव द्वारा गेंद पर अभिकेंद्र बल लगाया जाता है। यदि डोरी को छोड़ दिया जाए तो डोरी का तनाव समाप्त हो जाता है और आवश्यक अभिकेंद्र बल न मिल पाने के कारण पत्थर का टुकड़ा सरल रेखा में गति करने लगता है।
  •  आकाश में उड़ता हुआ हवाई जहाज़ जब क्षैतिज वृत्ताकार पथ में मुड़ता है तो कुछ तिरछा होकर आवश्यक अभिकेंद्र बल प्राप्त करता है।

 

अपकेंद्रीय बल (Centrifugal Force)

  • न्यूटन के तृतीय नियमानुसार अभिकेंद्र बल की प्रतिक्रिया स्वरूप एक बल इसकी विपरीत दिशा में अर्थात् केंद्र से बाहर की ओर लगता है। इसी प्रतिक्रिया बल को अपकेंद्रीय बल कहते हैं। 
  • अपकेंद्रीय बल एक प्रकार का pseudo force or inertial force है।

 

 अपकेंद्रीय बल के उदाहरण 

  • यदि कोई व्यक्ति किसी घूमती हुई वस्तु पर स्थित हो जैसे कि चक्रीय झूला तो वह बाहर की ओर एक बल (अपकेंद्र बल) अनुभव करेगा और यदि वहझूला को हाथ से न पकड़े तो बाहर की ओर गिर भी सकता है। 
  • एक तीक्ष्ण वृत्ताकर पथ पर तीव्र गति से जाता हुआ 4-पहियों वाला वाहन यदि वांछित चाल के सापेक्ष तेज़ गति से चल रहा है तो वह मोड़ पर बाहर की ओर पलट सकता है। 

अतः कोई गाड़ी वांछित चाल से कम चाल से चल रही है तो वह मोड़ पर बाहर की ओर फिसलने लगती है परंतु तब घर्षण बल भीतर की ओर लगकर आवश्यक अभिकेंद्रीय बल प्रदान कर देता है।

              

  • दूध से मक्खन निकालने की मशीन एवं वाशिंग मशीन आदि अपकेंद्रीय बल के सिद्धांत पर कार्य करती हैं। भिन्न-भिन्न द्रव्यमान के कणों को पृथक् करने के यंत्र को अपकेंद्रित (Centrifuge) कहते हैं। वाशिंग मशीन और दूध से मक्खन निकालने की मशीन वास्तव में इसी का परिवर्द्धित रूप हैं।

 

बल आघूर्ण (Torque

  • Torque is the measure of the force that can cause an object to rotate about an axis.
  •  Force is what causes an object to accelerate in linear kinematics. 
  • Similarly, torque is what causes an angular acceleration. 
  • Hence, torque can be defined as the rotational equivalent of linear force
  • The point where the object rotates is called the axis of rotation.
  • In physics, torque is simply the tendency of a force to turn or twist. 

Different terminologies such as moment or moment of force are interchangeably used to describe torque.

           

अतः स्पष्ट है कि यदि किसी बल को अक्ष से अधिक दूरी पर लगाया जाए तो बल आघूर्ण अधिक होगा और यदि अक्ष से दूरी शून्य हो अर्थात् बल की क्रिया रेखा पिंड के द्रव्यमान केंद्र से गुज़रे तो बल आघूर्ण शून्य होगा। इस दशा में पिंड को घुमाया नहीं जा सकता चाहे उस पर कितना भी बल क्यों न लग रहा हो।

 

द्रव्यमान केंद्र (Center of Mass) 

  • Centre of mass of a body or system of a particle is defined as, a point at which whole of the mass of the body or all the masses of a system of particle appeared to be concentrated.

 

बल आघूर्ण का उदाहरण/अनुप्रयोग

  •  स्क्रू ड्राइवर द्वारा पेच को आसानी से घुमा देना। 
  •  रिंच द्वारा नट-बोल्ट को आसानी से घुमाया जा सकता है। 
  • हैंड पंप के हत्थे को लंबा रखना, इससे हैंड पंप चलाने में आसानी होती है।

 

बलयुग्म (Couple)

  • Couple, in mechanics, pair of equal parallel forces that are opposite in direction.
  •  The only effect of a couple is to produce or prevent the turning of a body.

                          

 बलयुग्म का आघूर्ण (Torque of Couple)

  •  बलयुग्म के किसी एक बल तथा बलयुग्म की भुजा के गुणनफल को बलयुग्म का आघूर्ण कहते हैं।
  •  बस अथवा कार के स्टेयरिंग को घुमाने में आरोपित बल बलयुग्म के उदाहरण हैं।

 

जड़त्व आघूर्ण (Moment of Inertia)

  • The property of a body due to which it opposes the change in rotation about an axis, is called the ‘moment of inertia’ of the body about the axis of rotation.
  • जिस प्रकार रेखीय गति में द्रव्यमान की भूमिका होती है उसी प्रकार घूर्णन गति में जड़त्व आघूर्ण की भूमिका होती है। 
  • किसी पिंड का जड़त्व आघूर्ण उसके आकार-प्रकार एवं उसके अंदर द्रव्यमान के वितरण की प्रकृति पर निर्भर करता है। 

 

application of moment of inertia

  • रस्सी पर करतब दिखाने वाला नट रस्सी पर संतुलन बनाए रखने के लिये एक लंबी लाठी का प्रयोग करता है। इसके कारण लाठी सहित उसका जड़त्व आघूर्ण बहुत अधिक हो जाता है और वह चलते समय उत्पन्न थोड़े-थोड़े असंतुलित बलों को आसानी से संतुलित कर लेता है। 

 

कोणीय संवेग (Angular Momentum) 

  • कार संवेग के आघूर्ण को कोणीय संवेग कहा जाता है। 
  • प्रायः इसे J से प्रदर्शित किया जाता है।

कोणीय संवेग = दूरी x संवेग

 J = r x mv 

J  =   mvr

 

कोणीय संवेग संरक्षण का नियम 

(Law of Conservation of Angular Momentum)

  • किसी बिंदु के सापेक्ष घूर्णन करते समय पिंड का कोणीय संवेग नियत रहता है।

    J = mvr = नियतांक (K) 

  • the linear velocity of a body is inversely proportional to its distance from the center of its path.

 

उदाहरण के लिये यदि किसी डोरी को एक पत्थर से बाँध कर घुमाएँ, तो डोरी की लंबाई बढ़ाने पर पत्थर का वेग घटता जाएगा एवं डोरी की लंबाई कम करने पर पत्थर का वेग बढ़ेगा।

 

सरल मशीन (Simple Machine)

  • सरल मशीन बल आघूर्ण के सिद्धांत पर कार्य करने वाली एक ऐसी युक्ति होती है, जिसकी सहायता से सुविधाजनक बिंदु पर बल लगाकर किसी वस्तु पर कोई कार्य किया जाता है।
  • जैसे-घिरनी (Pully), स्क्रू जैक (Screw Jack), उत्तोलक (Lever), आनत तल (Inclined Plane) इत्यादि।

 

उत्तोलक (Lever)

  • उत्तोलक सरल मशीन का एक उदाहरण है। एक ऐसी सीधी अथवा टेढ़ी छड़, जो किसी भी निश्चित बिंदु के परितः स्वतंत्रतापूर्वक घूर्णन के लिये स्वतंत्र हो, उसे ‘उत्तोलक’ कहते हैं, उदाहरण- चिमटा, सरौता, कैंची इत्यादि। 

 

उत्तोलक में तीन बिंदु होते हैं

आलंब (Fulcrum)

  • वह बिंदु जिसके चारों ओर उत्तोलक की छड़ स्वतंत्रतापूर्वक घूर्णन कर सकती है। उसे ‘आलंब’ कहते हैं।

 आयास (Effort)

  • उत्तोलक का उपयोग करने के लिये जो बल लगाया जाता है, उसे ‘आयास’ कहते हैं।

भार (Load)

  • उत्तोलक द्वारा जिस वस्तु को उठाया या हटाया जाता है अर्थात् जिस पर कार्य किया जाता है, उसे ‘भार’ कहते हैं।

Theory of lever :

Effort * effort side = load * load side

               

Mechanical advantage :

 MA = LOADEffort

 

 उत्तोलक तीन प्रकार के होते हैं

प्रथम श्रेणी के उत्तोलक

  • आलंब, भार और शक्ति (आयास) के बीच में होता हैं 
  • जैसे- कैंची, सिंडासी, हिंडोला (Seesaw), झूला, हैंड पंप इत्यादि। 
  • यांत्रिक लाभ एक से अधिक या कम हो सकता है।

द्वितीय श्रेणी के उत्तोलक

  • भार, शक्ति और आलंब के बीच में होता है 
  • जैसे- सरौता, एक पहिया वाली ठेला गाड़ी, नीबू निचोड़ने की मशीन इत्यादि। 
  • इसका यांत्रिक लाभ सदैव एक से अधिक होता है।

 तृतीय श्रेणी के उत्तोलक

  • शक्ति, आलंब और भार के बीच में होता है। 
  • यांत्रिक लाभ सदैव एक से कम होता है।
  • जैसे- स्टेपलर, चिमटा, मनुष्य का हाथ इत्यादि।

प्रक्षेप्य गति (Projectile Motion) 

Projectile

  • A particle moving under the combined effect of vertical and horizontal forces, is called a projectile. 

The following terms are commonly used in projectiles:

  • 1. Trajectory. It is the path traced by a projectile in the space. 
  • 2 Velocity of projection. It is the velocity with which a projectile is projected. 
  • 3. Angle of projection. It is the angle, with the horizontal,at which the projectile is projected.
  • 4. Time of flight. It is the total time taken by a projectile, to reach maximum height and to return back to the ground.
  • 5. Range. It is the distance between the point of projection and the point where the projectile strikes the ground.

Equation of the Path of a Projectile

  • प्रक्षेप्य पथ परवलयाकार (Parabolic) होता है। 

Let

O = Point of projection,

u = Velocity of projection, and 

Q = Angle of projection with the horizontal.

प्रक्षेप्य का परास(projectile range)

  • कण को अधिकतम परास प्राप्त करने के लिये इसे 45° से प्रक्षेपित किया जाना चाहिये।
  • लंबी कूद के खिलाड़ी को पृथ्वी से 45° का कोण बनाता हुआ उछलना चाहिये, इससे वह अधिकतम दूरी तय करेगा। 
  • भाला फेंक, चक्र फेंक, हैमर थ्रो, शॉट पुट इत्यादि खेलों में खिलाड़ी जब 45° कोण पर वस्तु फेंकता है तो वह अधिकतम दूरी प्राप्त करता है। 

 

प्रक्षेप्य की ऊँचाई (projectile height)

  • यह अधिकतम तब होगी जब प्रक्षेप्य कोण 90° होगा।
  • ऊँची कूद के खिलाड़ी को अपने को ऊर्ध्वाधर (90°) रखकर कूदने पर अधिकतम ऊँचाई प्राप्त की जा सकेगी। 
  • एक समान वेग से चल रही गाड़ी में से एक व्यक्ति प्लेटफॉर्म पर एक गेंद गिराता है, तब प्लेटफॉर्म पर खड़े एक प्रेक्षक द्वारा देखी जाने वाली गेंद का पथ परवलयाकार होगा। 

 

घर्षण (Friction)

संतुलित बल (Balanced force)

  • यदि किसी पिंड पर कई बल कार्य कर रहे हों और सभी बल परिमाण में एक-दूसरे के समान किंतु विपरीत दिशा में इस प्रकार लगे हों कि उनका परिणामी बल शून्य हो तो पिंड पर लगने वाले सभी बल ‘संतुलित बल’ कहलाते हैं। 
  • संतुलित बलों के कारण पिंड में कोई गति नहीं होती।

 

असंतुलित बल (Unbalanced Force)

  • यदि किसी पिंड पर लगने वाले बल या कई बलों का परिणामी बल इस प्रकार कार्य करे कि पिंड बल की दिशा में गति करने लगे तो इस प्रकार के बलों को ‘असंतुलित बल’ कहा जाता है।

 

घर्षण बल (Frictional Force)

  • वह बल जो वस्तुओं के संपर्क तल पर कार्य करता है तथा सापेक्ष  गति का विरोध करता है, ‘घर्षण बल’ कहलाता है।
  • क्षैतिज तल पर रखी वस्तु को यदि बल लगाकर गति दे दी जाए तो थोड़े समय बाद वस्तु विरामावस्था में आ जाती है क्योंकि घर्षण बल गति का विरोध करते हुए तब तक कार्य करता है जब तक वस्तु विरामावस्था में बल संतुलन को न प्राप्त कर ले।
  • घर्षण बल की दिशा सदैव वस्तु की गति के विपरीत होती है।

 

 घर्षण बल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं

  1. स्थैतिक घर्षण बल 
  2. गतिक घर्षण बल

 

स्थैतिक घर्षण बल (Static Frictional Force)

  • किसी सतह पर स्थिर अवस्था में रखी वस्तु और उस सतह के बीच लगने वाला घर्षण बल ‘स्थैतिक घर्षण बल’ कहलाता है।
  • जब तक वस्तु गति अवस्था में नहीं आती तब तक स्थैतिक घर्षण बल कार्यरत रहता है, जो बाह्य बल (F) के बराबर रहता है और उसे संतुलित करता है। जैसे-जैसे बाह्य बल बढ़ता है वैसे-वैसे स्थैतिक घर्षण बल भी बढ़ता है।

 

सीमांत घर्षण बल (Limiting Frictional Force)

  • किसी स्थिर वस्तु को गतिशील बनाने के लिये जैसे-जैसे आरोपित बल का मान बढ़ाते है, स्थैतिक घर्षण बल का मान बढ़ता जाता है परंतु एक निश्चित सीमा के बाद स्थैतिक घर्षण बल का मान और नहीं बढ़ सकता। इस समय वस्तु गति करने ही वाली होती है। स्थैतिक घर्षण बल के इस अधिकतम मान को ही ‘सीमांत घर्षण बल’ कहते हैं।
  • उपर्युक्त व्याख्या से हम कह सकते हैं कि ‘सीमांत घर्षण बल गति प्रारंभ करने के लिये न्यूनतम बल के बराबर होता है।’ 

 

गतिक घर्षण बल (Dynamic Frictional Force) 

  • गतिमान वस्तु एवं संपर्क सतह के बीच लगने वाले घर्षण बल को ‘गतिक घर्षण बल’ कहते हैं। 
  • गतिक घर्षण बल का मान सीमांत घर्षण बल के मान से कम होता है। 
  • यदि किसी वस्तु को विरामावस्था से गतिशील अवस्था में लाने वाले बल का नाम F1 है एवं वस्तु को गतिशील बनाए रखने हेतु आवश्यक बल का मान F2 है तो,

F2 <F1 

 

सर्पी घर्षण बल (Sliding Frictional Force): 

  • यदि कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु की सतह पर फिसल (Slide) रही हो तो सतहों के बीच लगने वाले घर्षण बल को ‘सर्पी घर्षण बल‘ कहते हैं। 

 

लोटनिक घर्षण बल (Rolling Frictional Force): 

  • जब एक वस्तु दूसरी वस्तु की सतह पर लुढ़कती है तो दोनों वस्तुओं के संपर्क सतह पर लगने वाले घर्षण बल को ‘लोटनिक घर्षण बल’ कहते हैं।
  • लोटनिक घर्षण बल का मान सबसे कम और स्थैतिक घर्षण का मान सर्वाधिक होता है।

 

घर्षण कोण (Angle of Friction): 

  • The angle of friction is defined as the angle between the normal force (N) and the resultant force (R) of normal force and friction force

                         

विराम कोण (Angle of Repose): 

  • it is the angle of inclination of the plane to the horizontal at which the body just begins to move down the plane

घर्षण बल के गुण 

घर्षण बल संपर्क सतहों की प्रकृति पर निर्भर करता है।

  • सतह चिकनी होने पर घर्षण कम होता है।
  • सतह खुरदुरी होने पर घर्षण ज्यादा होता है। 

ठोस-ठोस वस्तुओं के मध्य घर्षण सर्वाधिक जबकि द्रव-ठोस सतह के मध्य उससे कम तथा वायु-ठोस के बीच घर्षण सबसे कम होता है। 

  • स्नेहक (Lubricants) के प्रयोग से घर्षण कम किया जा सकता है, क्योंकि द्रव-ठोस सतह के मध्य घर्षण कम होता है। 
  • मशीनों में बॉल बेयरिंग (Ball Bearings) लगाने पर सी घर्षण बल लोटनिक घर्षण बल में परिवर्तित हो जाता है, जिससे घर्षण का मान कम हो जाता है।

घर्षण के उपयोग 

  • सड़कों पर आवश्यक घर्षण न होने पर गाड़ियों के पहिये फिसलने लगते हैं। 
  •  चिकनी सतह पर घर्षण कम होने के कारण चलने में परेशानी होती है। 

उदाहरण- 

    • बर्फ पर चलना कठिन होता है। 
    • कीचड़ में गाड़ियाँ फँस जाती हैं।
    • सड़क पर तेल आदि फैलने से साइकिल फिसल जाती है। 
  • घर्षण होने की वजह से विभिन्न वस्तुएँ अपनी सतह पर विरामावस्था में आसानी से बनी रहती है अन्यथा ज़रा-सा बल लगने पर वे गतिमान हो जाती और दैनिक जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता। 

उदाहरण

  • घर्षणहीन सतह पर रखी वस्तु वायु द्वारा गतिमान हो जाती है। 
  • घर्षणहीन सतह पर खड़ा व्यक्ति सीटी बजाने पर विपरीत दिशा में गतिमान हो जाता (क्रिया-प्रतिक्रिया नियमानुसार) है। 

घर्षण से हानि 

  • घर्षण के कारण ऊर्जा का अपव्यय अधिक होता है जिससे मशीनों की उत्पादकता कम हो जाती है। 
  • मशीनों के कल-पुों में घर्षण के कारण उष्मा, ध्वनि इत्यादि उत्पन्न होती है, जिससे मशीनों के खराब होने की संभावना रहती है।
Mechanics