महाकबि बिनंद सिंग (Mahakavi Binand Singh- Kudmali Nibandh)

 1. महाकबि बिनंद सिंग

(Mahakavi Binand Singh- Kudmali Nibandh)

महाकबि बिनंद सिंग कुड़मालि कर अना गअ माहान कबि हेकल । कुड़मालि भासा साहितेक जुग बाखरांइ एखराके भकति बेराक कबिक ठाइने राखल गेल आहेइक । एके मइध जुगन बा आदिम बेराक कबिअ कहथिक । हिनदि भासा साहितेक मइध जुगिन कबि सुरदासेक समरथक कबि बिनंद सिंग हेकल । अकरे रकम बिनंद सिंग कर गितुहुं मेल आहेइक । जेसन सुरदासके मइध जुगिन कबिक भितर सुरुज मानल आहथिन । असनेइ कुड़मालि भासा साहितें बिनंद सिंगके कुड़मालि काइब कर गाडुआन मानथिक । माने एकर परेइ कुड़मालि गित कबिता रचेक एक बिरहद चलन चललेइक आर कुड़मालि जगअते गित कबिता कर गहगहि फुटलेइक ।

बिनंद सिंगेक जनम कबे हेल आहेइक ? एहेटा एखन तड़िक सटिक भाभे फेइरछाइल निहिं आहेइक । तबे जेटा खउज – बिने उटकिके बाहराइल आहेइक, अकरें अनुजांइ एकर चिनहाप इहां देउअल जाहेइक । जतिलाल माहादेबेक मता – मते बिनंद सिंग सिललिक राजा पिरथिबिनाथ सिंग कर छटअ बहुक बेटा हैकल । छटअ बहुक 17 गअ छउआ रहल, ताकर भितर बिनंद सिंग ‘सेंइझला’ छउआ हेकल । एकर जनम, आइझले 252 बछर पेहिल 1770 साले एहे राजाक डिढ़ांइ हेल । घार आंगनाइ ढेइर करि छउआ पुता रहले, एकर देखा-सुना बेस करि निहिं हेइक आर आहनाहुं आहेइक :-

‘ढेइर भेड़ि पकाइ मरअइक !’

ताकर उपर सेइतिन माइएक जाला आर एसनअ राजा | घारे छउआ-पुताक देखा-सुना तअ नकर-चाकरेक हाथेहिं | रहअइक। एसन तअ राजा घारे झिंकेक-नुड़ेक कनह टांड टान निहिं रहअइक। मेनतुक, डाकपुरसेक कथांइ इटाउ आहेइक :-

‘भाइए भाइए ठाई ठाई !’

सिआन हेल पअरे, बिनंद सिंगेक मन कुड़मालि गित, झुमइर दिगे टानाइ लागल। राजा घारे एसन एसन गित गाउअइआ तअ नितअ दिनेइ आउए हेलथिन ना हेले कनह काम सगर जेसन बिहा- दान, परब – तिहारे आरे । एकर | खातिर बिनंद सिंगहुँ, माइभासा कुड़मालिंइ गित गाउए | लागल। एकर खातिर एके परजा सउभे बेजां बेस माने | हेल । एहे गिला दसर भाइ आर सेइतिन माइके बेस निहिं लागलेइक । पाइछे सउब परजांइ मिलिके एकेहिं राजा बनाउबथिन ना कि ? ताकर खातिर एकर सेइतिन माइए भाइ – भाइके लड़ाएक कसनि करे लागलि । मेनतुक, बिनंद सिंग छुटुक बेरा लिहिं सिधा-साधा रहे हेल । भेस भुसे केउ | निहिं कहअइतेल, इ राजाक बेटा हेकाइ ।

एकर मन एबार राजाक डिंढ़ा आंगनाइ बेस निहिं लागे लागल। एंड इहां निजके बांधाइल डुल बुझे पारल। एकर खातिर अना रातिंइ चुप-चाप राजाक राजाबाड़ि छाड़ि देल | आर पास करेइ ‘चाताम बाड़ि’ गांउए बनेक पासे ‘कुमाढापु’ | बनाइ रहे लागल। चुइल, दाड़ाह बाढ़ाइ साधु बाबा डुल देखाइ लागल। एबार एंइ निके-सुखे जिनगि पुहाइ लागल । गांउए- गांउए घुरि घुरि कुड़मालि गित आर झुमइर गाउए लागल। एहे डुल इ एबार राजाक बेटाले बनल ‘साधुबाबा’ । बिनंद सिंगे बाकि जिनगिटा परकितिक धारिंइ रहि कुड़माली

गित रचे लागल । ताकर खातिर बिनंद सिंगके झारखंडेक राजा हरिस चंदरअ कहे गेले काकुहुंके कनह आपअति निहिं हेउएक चाहि ।

बिनंद सिंगे जेतना कुड़मालि गित रचल आहेइक । अतना गित दसर आर केउ ना रचे पारल आहात आर ना । तअ केउ रचे पारताक ! जेसन हिंदि भासा साहितें सुरदास | राधा किसनअ कर उपासक हेकल । असनेइ कुड़मालि भासा साहितें बिनंद सिंग राधा किसनअ कर उपासक हेकल ।

बिनंद सिंगे गटा जिनगिटा बन झाड़ले भराइल परकितिक बिचे काटल, ताकर खातिर एकर रचल गितें परकितिक चितरन बेजांइ पाउअल जाइक। ताकरे खातिर बिनंद सिंगके । परकितिक कुड़मालि कबिक उपाधि देल गेल आहेइक । एहे । परकितिक कब कबे परकितिंइ सामाइ गेल सेटा कहा भार? मेनतुक, एकर रचल गित कुड़मालि भासा साहितें बड़ गाछेक डुल झबरल आहेइक आर आगु दिगे रहतेइक ।

बिनंद सिंगेक काइबेक चिनहाप

बिनंद सिंग कर रचल गित, झुमइर, कबिता गिला । नाना रकमेक पथि माहान उखड़ल आहेइक । जेसन :-

बछर

पथिक नाम

संजुएता

1956 

‘ आदि झुमर संगित’

राजा बाहदुर उपेंदरअ नाथ सिंह देब

1956

‘ताल मंजरि’

राजा बाहदुर उपेंदरअ नाथ सिंह देब

1985

‘पथें चलाक लेहा नमसकार’

पिरिंसपल नंद कुमार 

1983

‘कु. गइद पइद जुड़ति’

‘कापास बनलं धंपा – धंपा फर’

ससि भुसन माहतअ

‘बिनंद सिंहेक पदाअलि’

पसुपति नाथ माहतअ

1988

‘एक डंड़रा फुल’ ‘दागा’

एल. के. मुतरुआर

2008

‘झुमर कथा’ झुमर गिति संगरअ’

बांगला नाटक. कम

2003

‘कुरमाली कृष्ण – काव्य ( परंपरा एवं वैशिष्ट्य )

डा. विजय कु. मुखर्जी

एकर भितर ‘ आदि झुमर संगित’ नामेक बिरहद पथिंइ एकर रचल मटा-मटि 280 गअ गितके ठाइन देल आहेइक । तअ बांगला नाटक डट कम दिगेले निखरन पथि ‘झुमर कथा’ झुमर गिति संगरअ’ माहान 34 गअ एकर मेसाइल – कसाइल गित कर उखड़न हेल आहेइक ।


बिनंद सिंग कर रचल किछु कबिता

1. फुल तरा

रजनि रमनि, हामरे दुइ बेहिनि

डाला लेइ फुलअ तड़े जाइ,

बने बांस के बाजाइ – 1

एकअ फुल तड़हलि, दुइअ फुल तड़हलि 

तिनि फुले सांप इंसिजाइ,

बने बांस के बाजाइ – 2

पुरब, पसचिम, बइध जे डाकाउअलि

तबउ नाहिं बिस नाभि जाइ,

बने बांस के बाजाइ – 3 कहे बिनंद सिंग, झुमरि बनाइ हाथ जअसें बिस नाभि जाइ,

बने बांस के बाजार – 4

2.गित

हांसि हांसि दहि लेल, दाम तार नाहिं देल,

करअ आरअ जरा जरि, गारा गारि करअइ मारा मारि । 

बाड़ाअल गंड गउल, टाना झिका दुइअ दल, 

सभे सारि सारि, साजलेक राजाक कचहरि । 

राजाक दुआइरे आइ, बरजबासि, 

कहेइ धिरे धिरे, आरअ जे सुने बसिधारि । 

सरन लेलिअ तर, तर गांउए एतेक चर, 

आहेइक बस अबास करि,

राखे हउ बिनंदेक दहाइ करि ।

3. कदम तर

कदमेक डाइरे हरि, बासिटि करि धरि निल बसन हरि लेल

नागर गाछे चढ़ि गेल – 1

कअन सखि पानिंइ खेले, कअन सखि कदम तअरें,

कअन सखि लाइजे मरि गेल

नागर गाछे चढ़ि गेल-2

कहअथिन बिनंदिआ,

कइसे बांध हिआ,

मंइ मुंहे बांस फुंकि देल

नागर गाछे चढ़ि गेल – 3

04.गित

मथुरा डहरे, भेटअलि नागअरे,

दहि दुध हउ, सउभे लुटि लेला जमुना घाटे । कहअले ना माने आंचअरे धरि टाने,

सांखा चुड़ि हउ, सउभे भागि देला जमुना घाटे

चाला जाब घुरि, करब गुहारि,

हाटअ मांइझे हउ, कठिन दागा देला जमुना घाटे ।

नंद हजुरे करब गुहारि,

बिनंदिआके हउ दागि मांगि लेला जमुना घाटे ।


05.गित

बसंत समइ दुति, घारे नाइ मर बरज पति,

नाना फुल फुटे मधु मासे,

सुनि सखि गअ आबला धिरज धरि केसे,

निम, नेसारि, आम, सिरिस, कुसुम, जाम फुले भरि गेला, रसे,

फुलेक मधु फुले बसे भरमर नाइ के कहे चुसे ।

सारि पाख किछु किछु बसइ

साम कप मने करिदुनइअने बहे लर

भाभि सुनि बिनंद निरास

सुन सखि गअ, अबला धिरज धरि केसे ।


06.गित

कपास बुनलि, धंपा धंपा फरगअन 

सुता काटि, ठेंटि बनाइ देव तर गअ । 

एक फेटि काटलि, दुइअ फेटि नलि 

तिनअ फेटिंए, ठेंटि हेइ जातअ तर 

धाइरे धाइरे दिहा, तांति, चांद, सुरज, 

माइझे दिहा, तांति जड़ा सेइतिनिआ, 

विनंद सिंगे भने, बामरि बनाइ बने,

मांइझे दिहा, तांति जड़ा सेइतिनिआ – ।।


07.

जमुना किनारे बन, ताहां गिरि गबरधन

राम कानहु मेसि दुइअ झने, धेनु चेराउअत बिंदाबने । 

आम जाम तरु छाहां, बेसल सितल काइआ । 

लुहु लुहु बहे पबन, धेनु चेराउअत बिंदाबने । 

धेनु रने बने चरे, निरझर कानन झरे।

देखइते सुंदर सेहु, ठामे धेनु चेराउअत बिंदाबने । 

गउप गपिन संगे, बिरचि परान नाथ

विनदेक सदा आस मने, धेनु चेराउअत बिंदाबने ।


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