9. लुइरगर बेटी छउआ – ए. के. झा
- पुस्तक – खोरठा लोकसाहित्
- प्रकाशक – झारखण्ड जनजातीय कल्याण शोध सस्थान ,मोरहाबादी ,रांची ,कल्याण विभाग झारखण्ड सरकार
- प्रथम संस्करण – 2012 “©www.sarkarilibrary.in”
- संपादक –
- प्रधान संपादक – ए. के. झा
- अन्य संपादक –
- गिरिधारी गोस्वामी आकाशखूंटी
- दिनेश दिनमणि
- बी एन ओहदार
- श्याम सुन्दर महतो श्याम
- शिवनाथ प्रमाणिक
- चितरंजन महतो “चित्रा’
- रूपांकन – गिरिधारी गोस्वामी आकाशखूंटी
- मुद्रक – सेतु प्रिंटर्स , मोरहाबादी ,रांची
KeyPoints – बेटी छउआ (चापु), गरीब बाप ,
एगो हलइ बेटी छउआ। तकर बाप बड़ी गरीब। मेनेक बेटी छउआटी खुब लुइरगर, चनफन ! चाँड़-चपट कोनो काम के निघरवे में ऊ सबले बीस। नाम रहइ चापु । “©www.sarkarilibrary.in”
गीदर टी आधडेंरका उमइरेक हलइ तखने ले तकर लुइर आर काम करेक चेठा देइख के लोकेक बड़ी बेस लागतलइन । डेरका उमइरें गीदर टिक बीहा खातिर बात चले लागलइ । कइ गो बेटाक बापे आर कइ गो बेटा छउवें आपन्हूँ ओसरवला बिहाक बात। मेनेक बापे भाभलइ जे जइसन लुइरगर बेटी, तइसने लुइरगर जामाइ जखन जुमतक जोहड़तक तखने हामें बेटी के बिहाक मत देबइ। गीदर टिको सइये मत। तो फइसला भइ गेलइ जे, जे बेटा छउवा बुइधेक हाराबाइदें चापुक जुकुर पावल जीतइ सइ हतइ ओकर मनसइदाक बोर ।
अइसने एकबइर एगो बेटा छउवा बिहाक बात चलवेले अइलइ । तखन बाप टा गेल हलइ हर बनवेले आर काचरा आर झाँख काइट के मोहोर आने ले बोन। बेटा छउवा टाञ चापुक पुछलइ जे ओकर बाप कहाँ गेलेहइ ? “©www.sarkarilibrary.in”
चापु कहलइ, ‘ सोझ काठ के बेंकवेले गेले हे । आर सोहइला काठ आर सिंग-पूँइछवाला झाँपरा काठ के घिसरवे ले गेलेहे।”
बेटा छउवा टा कुछ बुझे हे नाँइ पारलइ । ऊ चोकाइ रहल। फइर धइर धइर के पुछलइ-” ऊ कखन ले अइतर ?” चापु कहलइ – ” जदि अइतक तो अइतक । आर नाँइ तो, जदि नाँइ अइतक तो नॉइए अइतक ।” गीदर टा अबरियो कुछ नाँइ बुझे पारलइ । तखन हाइनिसार भइ के घुइर गेलइ ।
दोसर बइर एगो दोसर बेटा छउवा अइलइ। ओहउ चापु संगे बीहा करेक बात ओसरउलइ। मेंतुक चापुक बाप से दिन्हूँ घरे नाँइ
रहइ । गीदरवा चापुक पुछलइ जे ओकर बाप कहाँ गेले चापु जबाब देलइ, – “छामर बाप कौंटाक वारी काँटाक बेड़ सनवे गेलेहे।” एहोउ गीदरवा भेका तरी मुठान लइके घुइर गेलछ । “©www.sarkarilibrary.in”
तखन तेसर बइर एगो दोसर बेटा छउवा अइलइ से दिन चापु हलिक दुरिए मे आर ओकर माँइ-बाप भीतर वाटे। गीदर टाम चापुक माँ-बाप के दइकें पुछलइ । चापु कहलइ -” हामर माँइ एक ले दूइ करे गेलेहिक । हामर बाप गेले हे छुटु के बोड़ करे ले।” ई जबाब सुइन के गीदरवा तो हाइकाठ! आखिर ओहउ दाएँ पइर के घुरिए गेलइ ।
आब चाइरो वाटे सुनानी भइ गेलइ, जे चापु नामेक एगो बेटी छउवा बड़ी बुइधगर हइ । जे घरवें ऊ बहु बइन के जीतइ से घरवें बुइधेक आलो झकझकाइ जीतइ। मेनेक ऊ तकरे संग बीहा करतइ, जे बुइधें ओकर ले बीस, नाँइ तो कम से कम पटतइरियो होवे ।
कुछ दिन बादें (चौथा बइर) आरो एगो बेटा छउवा अइलइ सेवो वइर चापुखीं पइलइ दुवाइर तरें। ऊ पुछलइ जे चापुक माँइ-बाप कहाँ गेलथिन ? चापु तनी गिजइर के कहलई, “माँइ एगो माँइ से तकर गीदरवइन के सिझवे लागल हइ आर बाप आगु-पेछु होवे लागल हे।” “©www.sarkarilibrary.in”
चापुक ई जवाब सुइन के गीदरवाक तो एकदमें आइ-बाइ ठेइक गेलइ ! कहाँ तो ऊ मनें करल हल, ‘कइसे नाँइ हारतिक ? तनी देखवइ चापुक । जुनजुनात हराइ छोड़वइ!” ऊ गीदर टा आपन के तनी -बुजरूक, बेसी बुझनगर बुझ-हलइ । ई गीदरवाको घुरल बाद आरो बेसी हुलमाइल गइ गेलइ । लोकें कहे लागल्थिन जे चापुक केउ हरवे नाँइ पारतइ।’ बाह रे बेटी छउवा ?’
कुछ दिन बादें (पांचवा बइर) एके संगे दुगो बेटा छउआ सैंपइर के गेला । कुल्हिक दुवाइरें डाक देथी , सेवो बहर चापुवे बाहराइल । ऊ बेटा छउआ गुलइन कहल्थिन जे उसब चापुक माइ-बाप संग बात करे खोज-हथिन ।
- चापु ठेपो देखाइ के कहलइन जे
- ओकर माँइ बेजरियाक धात देखे-ले गेले हइ आर ओकर बाप चरकाके करिया करे।
दुवो बेटा छउआ गुलइने मने करल हला जे उसव जुनजुनात जीतता। सॅपइर-सँपइर के घुराइ उल्टाइ सवाल करथिन पारी-पारीं। जकर सवालेक जबाब चापु नाँइ दिए पारतइ ओकर जीत । मेनेक चापुक एके बइरेक जबाबें दुवो छउआ गुलइन हाइचक भइ गेला। घुइर के कोन्हों पुछेक हुबे नाँइ भेलइन। हरनठ भेल तरी दुव बेटा छउआ मुँड ओलमाइ के धुइर गेला ।
एकर बादें काना-कुनु अइसनो बात होवे लागलइ जे चापुवो आपन बतवइन के जबाब केजान नाँइ जानहिक। कुछ लोकें कहे लागल्थिन जे चापु अनठेहरिए जे -सेऽ फड़इर देहइ । ओकर खामखेयाली आर सरगबिंधा बतिअइनेक कोनो ओर – पुथना नाँइ बुझाइ। सइले अबरी जमइक के जाइक चाही आर पुछाइर – गाछाइर करल बाद पेछुक सभे सवाल गुलइनेक जबाब फरनवे ले कहेक चाही । जबाब नाँइ फरनवें पारलें जकर संग हामिन कहबइ तकरे संग चापुक बीहा दिए हतइ । “©www.sarkarilibrary.in”
तो जमइक के लोक पोंहइच गेला चापुक दुवाइरें। चापुक पुछल गेलइ जे ओकर बाप-माँइ कहाँ हथिन ?
- चापु कहलइ “माँइ घहीं हिक बाप सरगेक पानीं ठेकाइड़ दिए लागल हे।”
चापुक बात सुइन के सब सुगुम! सुधे जेटा-सेटा फासार-फुसुर आर गांदार-गुंदुरे सुनाइ लागलइ । ताउले चापुक बाप घर ले बहरइलइ । ऊ कहलइ.- “हामर बेटी आर तोहनिक मइधें जे बात-चीत भेलो, से सब हामें सुनलियो। जे-S जेऽ बिहाक बात लइकें एकर ठिन अइला, सब हारले गेला।
- सइले चापुक बिहाक सब खरच-बरच बोर घर के बोहे परतइ।
बोरे घरेक खरचें आर बोरेक घरें बेंदकढ़ी बीहा हतइ । हामर बेटी जदि हाइर जीतइल तो हामें खरचाक भार गछतलो से आपने जो ऽ भइर माँड़-कुँढा, साग-पात, खावाइ के सवागत करतलिअइन । मेनेक अवे तो बरियात आइन के होवइया बीहा-चढ़ी बीहा- नाँइ साइर के बेंदकढ़ी बीहे सारे परतो। बोर बाटेक खरच-बरचें होवइया मनसइदाक बेंदकढ़ी बीहा !” “©www.sarkarilibrary.in”
सभिन कहल्थिन जे चापु आपन जबाबें जे कहल हइ से सब बतिअइन फरनाइक चाही । जदि चापु सब जबाब गुलइन सही-सही देलेहइ, तो फरनाइ देलें चापुक बापेक बतवा माइन लेब्थिन उसब । आर तबें मनसइदाक बेंदकढ़ी बीहा हतइ । आर से नाँइ भेलें चापुक बाप-माँइ के एते लोक के हइरानी करल के हरजाना दिए परतइ |
चापुक बापें ओकर कहल सभे बतिअइनेक माने फुरछवे लागलइ,-
- हामें हर आर हरेक बुटा बनवे गेल हलों सइले चापु कहले जे सोझ काठ के बँकवे गेले हे।
- सोहइल्ला-सोहइल्ला काचरा आर लतें दिएक झाँख-झखरी आनेक रहे गोहरें कइर के, सइले गीदरटीं कहलउ जे सोहइल्ला काठ आर सिंग-पुंइछ वाला काठ के घिसरवे ले गेले हों ।
- बइरसल हलइ पानी – सइले हामर बेटीं कहलो जे आवोहो पारो बा नाइयो आवे पारो, किले ना भोरल नदीं आवे पारब ना नाँइ । “©www.sarkarilibrary.in”
- दोसर बइर हामें बइगन बारीं घोरेले गेल हलों, सइले सइटीके हामर बेटीं कहलो काँटाक बारीं बेड़ बनव- हो काँटा के ।
- जखन चापुक माँइ खदिहन आर बिहीन धान दुवो के छिनगाइ के राख-हलइ, तखन ऊ कहलो जे ऊ एक ले दुइ करे लागल हइ । आर हामें रूआ धुन-हलों, माने छोट के बोड़ कर हलो । “©www.sarkarilibrary.in”
- ओकर माँइ लाहइर झटनीं लाहइर दाइल सिझव-हलइ से ऊ कहलो जे ओकर माइएँ, माए से छउआ के सिझा करवे लागल हइ ।
- तकर बादें चापु कहलो जे हामें आगु आर पेछु होवे लागल हो । माने तखन हामें आइगेक झरक ले हलों जखन आइग टा दरदराड़ उठइ, तखन बेसी झरक लागे आर हामे पेछुवाइ जाउँ फइर जखन झरक कम होवे तखन अगुवाइ के बइसों ।
- तकरो बादें गीदरटीं कहलो जे ओकर माँइ बेजरियाक धात देखे लागल हइ । माने ओकर माँइ खाइक रांधऽ हलइ । आर खाइक रांधे में चिप-चाइप के पसिंद करे होवइ जे खाइक टां सिझलइ नानाँइ ।
- हामे जखन कारी–कागइजें कुछ उखरव-हलों तखन चापु तोहनिक कहलो जे चरका के करिया करे लागल हों।
- सेसें जखन हामें आइज छाइन छारो हलों तखन चापु तोहनिक कहलो जे हामें सरगेक पानी टेकाइड़ दिए लागल हो ।
सब जबाब गुलइन सुइन के सभिन बड़ी खुस भेला। तबे बोर घरेक खरचाहिं चापुक बेंदकढ़ी बिहाक नेग सरलइ । मनसइदाक बेंदकढ़ी बीहा भेलइ ।
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- Q. चापु कर बापे केथिक बारीं बेड़ बनव- हो काँटा के ? बैगन बारीं
- Q.लुइरगर बेटी छउआ लोककथा के मुख्य पात्र हकै ? चापु
- Q.लुइरगर कर माने की हव है ? तेज तर्रार ,चालाक “©www.sarkarilibrary.in”
- Q.कौन उमइरें गीदर टिक बीहा खातिर बात चले लागलइ ? डेरका उमइरें
- Q.चापुक बापे चापुक खातिर कइसन बोर खोजे ? चापुक रकम बुइधगर
- Q.पांचवा बइर चापुक देखे ले कई गो बेटा चउवा गेल ? दू गो