झारखण्ड की भाषाएँ भाषाएँ एवं बोलियाँ भाषा एवं बोली के बीच एक पतली विभाजेन रेखा होती है। यदि बोली क्षेत्र विस्तार होने पर भाषा में बदल सकती है तो भाषा भी क्षेत्र सिकुड़ने पर बोली में परिवर्तित हो जाती है। भाषा : एक बड़े क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली भाषा’ कहलाती है। भाषा में साहित्य रचना होती है। बोली : एक छोटे क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा ‘बोली’ कहलाती है। बोली में साहित्य रचना नहीं होती। झारखंड की भाषाओं एवं बोलियों को तीन वर्गों में बांटा जाता है (a) भारोपीय (भारत-यूरोपीय) भाषा परिवार – हिन्दी, खोरठा, पंचपरगनिया, करमाली. नागपुरी आदि। (b) द्रविड़ (द्रविडियन) भाषा परिवार – कुडुख (उराँव), माल्तो (सौरिया पहाड़िया व माल पहाड़िया) आदि। (c) मुण्डा (आस्ट्रिक आस्ट्रो-एशियाटिक) भाषा परिवार – मुण्डा संथाली, मुण्डारी, हो, खड़िया आदि। इन भाषाओं के अलावा झारखंड में भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंगिका, वज्जिका; बांग्ला; उर्दू आदि भाषाएँ बोली जाती हैं। यहाँ बसने […]