झारखण्ड की कोरवा जनजाति Korwa Tribe of Jharkhand

32. कोरवा जनजाति 

  • कोरवा जनजाति को कोलेरियन जनजाति समूह का जनक माना जाता है।
  • यह जनजाति संबंधित है।
    • प्रजातीय दृष्टि – प्रोटो ऑस्ट्रेलायड समूह 
    • भाषायी दृष्टि – आस्ट्रो एशियाटिक समूह 
  • कोरवा जनजाति को  शिकारी-संग्रहकर्ता माना जाता है।
  • झारखण्ड में इनका आगमन –  मध्य प्रदेश से 
  • झारखण्ड में इनका निवास स्थल –   पलामू प्रमण्डल 
  • इनकी दो उपजातियाँ  है।
    • पहाड़ी कोरवा (पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले) 
    • डीहा/ डिहारिया कोरवा (नीचे गाँव में रहने वाले) 
  • गोत्र की संख्या – 6  
    • 1.हुटरटिये, 2.खरपो, 3.सूइया, 4.कासी, 5.कोकट 6.बुचुंग
  • समान गोत्र में विवाह पर प्रतिबन्ध 
  • विवाह का तरीका 
    • चढ़के विवाह – कन्या के घर में 
    • डोला विवाह – वर के घर में 
  • प्रमुख त्योहार –  करमा 
  • इस जनजाति में सर्प पूजा का विशेष महत्व है।
  • पंचायत को मयारी कहा जाता है।
  • स्थानांतरणशील कृषि को ‘बियोड़ा‘ कहा जाता है।
  • इनके निम्न  देवता हैं। 
    • प्रमुख देवता –  सिंगबोंगा 
    • ग्रामरक्षक देवता –  गमेल्ह 
    • पशुरक्षक देवता –  रक्सेल 
  • इनके पुजारी को बैगा कहा जाता है।