11. खरवार जनजाति
- झारखण्ड की पांचवी सर्वाधिक जनसंख्या वाली जनजाति
- नोट : 1.संथाल 2.उराँव 3.मुण्डा 4.हो 5. खरवार
- प्रजातीय संबंध – द्रविड़ प्रजाति
- झारखण्ड में निवास – पलामू प्रमण्डल
- सूर्यवंशी राजपूत हरिशचन्द्र रोहिताश्व का वंशज
- ‘अठारह हजारी‘ भी कहा जाता है
विशेष गुण
- मार्शल (लड़ाकू) जनजाति
- सत्य बोलने के गुण
- सत्य हेतु सभी कुछ बलिदान
- भाषा – खेरवारी(ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार)
- खरवार की छः प्रमुख उपजातियाँ हैं (संडर के अनुसार)
- मंझिया, गंझू, दौलतबंदी, घटबंदी, सूर्यवंशी तथा खेरी
- खरवारों में सामाजिक स्तर का मुख्य निर्धारक तत्व भू-संपदा है।
- युवागृह( धुमकुरिया) – नहीं पायी जाती है।
- पितृसत्तात्मक परिवार
- बाल विवाह को श्रेष्ठ माना जाता है।
- सामाजिक व्यवस्था से संबंधित विभिन्न नामकरण
- प्रमुख पर्व – सरहुल, करमा, नवाखानी सोहराई, जितिया, दुर्गापूजा, दीपावली, रामनवमी, फागू आदि
- सुबह के खाना – ‘लुकमा‘
- दोपहर के भोजन – ‘बियारी‘
- रात के खाने – ‘कलेबा‘
- मुख्य पेशा – कृषि
- परंपरागत पेशा – खैर वृक्ष से कत्था बनाना
- सर्वप्रमुख देवता – सिंगबोंगा
- पाहन या बैगा – धार्मिक प्रधान
- ओझा (झाड़ फुक करनेवाला )- मति
- जादू-टोना करने वाले व्यक्ति – माटी कहा जाता है।