खड़िया जनजाति की शासन व्यवस्था Khadia tribe government system

डोकलो शोहोर शासन व्यवस्था (खड़िया जनजाति की शासन व्यवस्था)

  • खड़िया जनजाति की पारंपरिक शासन व्यवस्था
  • खड़िया जनजाति मुण्डा समाज की ही एक उपशाखा है।
  • ढोकलो का अर्थबैठक
  • सोहोर का अर्थअध्यक्ष
  • खड़िया जनजाति मुख्यतः तीन प्रकार हैं-
  • खड़िया जनजाति के लोगों ने 1934-35 ई.- अखिल भारतीय महासभा का गठन किया जिसे ढोकलो के नाम से जाना गया। 
    • ढोकलो सोहोर महासभा द्वारा जाति प्रथा का समर्थन किया गया
    • समिति ने पंचायती राज व्यवस्था का विरोध किया।

 

ढोकलो सोहोर शासन व्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण पद

  • महतो
    • जिन लोगों ने गाँव बसाया था
    • गाँव का मुख्य व्यक्ति – महतो (पद – वंशानुगात )
      • गाँववालों की सहमति से महतो को बदला जा सकता है।
      • पहाड़ी खड़िया गाँव के प्रधान –  डंडिया
      • पहाड़ी खड़िया गाँव के धार्मिक प्रधान – दिहुरी कहा जाता है।
  • करटाहा
    • यह गाँव की शासन व्यवस्था के संचालन में प्रमुख भूमिका निभाता है।
      • गाँव के विवादों तथा अन्य समस्याओं का समाधान करता है।
      • करटाहा अपने गाँव से संबंधित घटनाओं तथा समस्याओं की सूचना सोहोर को देने का कार्य करता है।
      • यह विभिन्न विवादों के फैसले से राजा को अवगत भी कराता है।
      • पूजा-पाठ द्वारा परिवारों के शुद्धिकरण (भात-भितार) का कार्य भी करता  है
    • पंचायत में से 20-25 गाँवों के लोगो द्वारा चयनित योग्य व्यक्ति
    • यह पद वंशानुगत नहीं होता है
    • करटाहा को किसी प्रकार का वेतन प्रदान नहीं किया जाता है।
    • नियमों की अवहेलना करने पर इसे पद से हटाया जा सकता है। 
  • खूंट 
    • अंतर्ग्रामीण (दो या अधिक गाँव से संबंधित) विवादों के निपटारे हेतु सभी गोत्र के गाँवों द्वारा मिलकर एक क्षेत्रीय प्रशासन तंत्र निर्मित किया जाता है, जिसे खूट कहा जाता है। 

 

  • खड़िया घाट
    • खूट (अंतर्ग्रामीण पंचायत) का अध्यक्ष किसी करटाहा को आपस में ही चुना जाता है तथा इस पद को खड़िया घाट कहा जाता है। 

 

  • ढोकलो
    • संपूर्ण खड़िया समाज की बैठक को ढोकलो के नाम से जाना जाता है। 
    • खड़िया जनजाति द्वारा वार्षिक रूप से ढोकलो का आयोजन किया जाता है जिसमें सभी गाँवों के प्रमुख प्रतिनिधि जैसे- महतो, पाहन तथा करटाहा शामिल होते हैं। 
    • इस बैठक के आयोजन से संबंधित सभी तैयारियों की जिम्मेदारी करटाहा की होती है। प्रत्येक 3 वर्ष में ढोकलो सोहोर (संपूर्ण खड़िया समाज के राजा) का चुनाव लोगों द्वारा इसी सभा के माध्यम से किया जाता है। 

 

  • ढोकलो सोहोर
    • ढोकलो का सभापति संपूर्ण खड़िया समाज का राजा होता है, जिसे ढोकलो सोहोर कहा जाता है।
    • इसका चयन ढोकलो में लोगों द्वारा किया जाता है।
    • बड़े मुकदमों का निर्णय राजा द्वारा स्वयं अपने मंत्रियों की सहायता से किया जाता है। 
  • लिखाकड़
    • यह राजा का सचिव या मंत्री होता है
    • राजा को सामाजिक, राजनैतिक व प्रशासनिक कार्यों में सहयोग प्रदान करता है।
  • तिंजौकड़
    • यह राजा का खजांची होता है
    • आय-व्ययों का विवरण तैयार करता है। 
  • देवान
    • यह राजा का सलाहकार होता है ।
  • पाहन/कालो
    • गाँव का धार्मिक प्रधान होता है। 
    • यह वंशानुगत पद है
      • लेकिन गाँववालों की सहमति से इसे भी हटाया जा सकता है। 
    •  पाहन को गाँव वालों की ओर से पहनई जमीन प्रदान की जाती है।
  • अन्य तथ्य
    • इस समाज में गाँव के झगड़ों का निपटारा महतो, पाहन, करटाहा तथा अन्य बुजुर्गों द्वारा सामूहिक रूप से एकत्रित होकर किया जाता है।
      • विवादों के निवारण संबंधी सभा में महतो की उपस्थिति अनिवार्य होती है।
      • सर्वसम्मति से दण्ड आदि का निर्णय किया जाता है। 
    • इस समाज में यौन संबंधी अपराधी को (बिटलाहा) की भांति समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है।

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