JPSC MAINS PAPER 5 SYLLABUS And Notes

प्रश्न पत्र 5 : भारतीय अर्थव्यवस्था, वैश्वीकरण और सतत विकास

कुल अंक: 200 ; समय: 3 घंटे

भारतीय अर्थव्यवस्था, वैश्वीकरण और सतत विकास के प्रश्न पत्र में पाँच खंड होंगे। खंड एक अनिवार्य होगा। इस खंड में बीस बहुविकल्पीय प्रश्न होंगे, जिनमें से प्रत्येक दो अंक का होगा। (20 x 2 = 40 ) इस खंड के बीस बहुविकल्पीय प्रश्नों को प्रश्न पत्र के पूरे पाठ्यक्रम से लिया जाएगा जिनमें से छह प्रश्न, समूह 1, छह प्रश्न, समूह 2, चार प्रश्न, समूह 3 और चार प्रश्नों को पाठ्यक्रम के समूह 4 से लिया जाएगा।

प्रश्न पत्र के खण्ड 2, 3, 4 और 5 में से प्रत्येक में दो वैकल्पिक प्रश्न होंगे जिन्हें विशेष रूप से पाठ्यक्रम के समूह 1, 2, 3 व 4 से लिया जाएगा जिनमे से अभ्यर्थियों को प्रत्येक समूह से केवल एक प्रश्न का उत्तर देना है। इनमें से प्रत्येक प्रश्न चालीस अंक का होगा। अतः अभ्यर्थी को अनिवार्य बहुविकल्पीय प्रश्न के अतिरिक्त अन्य चार प्रश्न करने होंगे। (40 x 4 = 160) वैकल्पिक प्रश्नों को परम्परागत तरीके (विवरणात्मक, दीर्घ उत्तरीय) से ही लिखना होगा।

Section Questions Marks Attempt
Sec 1 20 MCQ 40 Marks (20 *2) All 20 MCQ
Sec 2 2 Descriptive 40 Marks (40 *1) Only 1 Out 0f 2
Sec 3 2 Descriptive 40 Marks (40 *1) Only 1 Out 0f 2
Sec 4 2 Descriptive 40 Marks (40 *1) Only 1 Out 0f 2
Sec 5 2 Descriptive 40 Marks (40 *1) Only 1 Out 0f 2

समूह ( 1 )- भारतीय अर्थव्यवस्था की मूल विशेषताएँ

  • (Chapter – 1) राष्ट्रीय आयः राष्ट्रीय आय के सामान्य अवधारणा और इसकी गणना के तरीके जैसे- स्थिर और वर्तमान मूल्यों पर जीडीपी, जीएनपी, एनडीपी एनएनपी, जीएसडीपी, एनएसडीपी और डीडीपी।
  • (Chapter – 2) मुद्रास्फीति: अवधारणा, मुद्रास्फीति पर नियंत्रणः इसका मौद्रिक, राजकोषीय तथा प्रत्यक्ष मापन ।
  • (Chapter – 3) जनसांख्यिकीय विशेषताएँ: कार्य बल का संयोजन, 2011 की जनगणना के संदर्भ में जनसांख्यिकीय लाभांश, राष्ट्रीय जनसंख्या नीति।
  • (Chapter – 4) कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाः राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्त्व: भारत में कृषि विकास उत्पादन तथा उत्पादकता,निम्न उत्पादकता के कारण और कृषि उत्पादकता में सुधार करने हेतु सरकार द्वारा लिये गए कदम, हरित क्रांति, सदाबहार (ever green) क्रांति और इन्द्रधनुषी क्रांति: विश्व व्यापार संगठन और कृषि, कृषि आगतों और उत्पादन का बाजारीकरण और मूल्यीकरण ।
  • (Chapter – 5) औद्योगिक अर्थव्यवस्थाः नीतिगत पहल और व्यय ।
  • (Chapter – 6) लोक वित्तः स्वरूप, लोक वित्त का महत्त्व और विस्तार, सार्वजनिक राजस्व सिद्धांत और करों के प्रकार: प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष, प्रगतिशील और आनुपातिक, वैट (अंज) की अवधारणा ।
  • (Chapter – 7) सार्वजनिक व्ययः सार्वजनिक व्यय के सिद्धांत: सार्वजनिक व्यय की वृद्धि के कारण और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव; आंतरिक व बाह्य उधारियाँ
  • (Chapter – 8) बजट: बजट निर्माण के सिद्धांत: बजट के प्रकार प्रदर्शन आधारित, शून्य आधारित वित्तीय संसाधन प्रबंधन विभाग (FRMD)।
  • (Chapter – 9) राजकोषीय नीति: अवधारणा और रोजगार प्राप्ति में राजकोषीय नीति की भूमिका, स्थायित्व और आर्थिक विकास ।
  • (Chapter – 10) केंद्र-राज्य राजकोषीय सम्बन्ध, वित्त आयोग की भूमिका, 73वें व 74वें संविधान संशोधन के वित्तीय पहलू ।
  • (Chapter – 11) भारतीय मौद्रिक नीति तथा भारत में बैंकिंग व्यवस्था की संरचना ।
  • (Chapter – 12) भारत के व्यापार की संरचना: भुगतान संतुलन की समस्या

समूह ( 2 ) – सतत विकास, आर्थिक मुद्दे और भारत की विकास की रणनीति

  • (Chapter – 13) आर्थिक विकास का अर्थ और मानक, अल्पविकास की विशेषताएं
  • (Chapter – 14) विकास के सूचक मानव विकास सूचकांक, वैश्विक विकास सूचकांक, सकल घरेलू आय, जी.ई.एम भारत की मानव विकास सूचकांक में प्रगति ।
  • (Chapter – 15) अर्थव्यवस्था की वृद्धि में विदेशी पूंजी और तकनीकी की भूमिका
  • (Chapter – 16) सतत विकास अवधारणा और सतत विकास के सूचकांक; आर्थिक सामाजिक और पर्यावरणीय सततता, हरित जीडीपी की अवधारणा, भारत में सतत विकास के लिये रणनीति और नीति ।
  • (Chapter – 17) समावेशी वृद्धि का अर्थ और 11वीं व 12वीं पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान विकासात्मक नीति एवं रणनीति ।
  • (Chapter – 18) विकासात्मक दर्जा तथा सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों से जुड़े मुद्दे जैसे अनुसूचित जनजातियाँ, अनुसूचित जातियाँ, धार्मिक अल्पसंख्यक, पिछड़ी जातियाँ और महिलाएँ;
    • केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा उनके विकास हेतु बनाई जाने वाली योजनाएँ (टीएसपी, एससीएसपी और अल्पसंख्यकों को शामिल करते हुए)।
  • (Chapter – 19) गरीबी और बेरोजगारी: मापन और रुझान, गरीबी रेखा से नीचे (BPL) की पहचान, मानव गरीबी सूचकांक (HPI), बहुआयामी भारतीय गरीबी सूचकांक (MPI)।
  • (Chapter – 20) खाद्य और पोषण सुरक्षाः भारत का खाद्य उत्पादन में रुझान और उपभोग, खाद्य सुरक्षा की समस्याः भंडारण की समस्या और मुद्दे, खरीद वितरण, आयत और निर्यातः सरकारी नीतियाँ योजनाएँ और कार्यक्रम जैसे- सार्वजनिक वितरण प्रणाली, आईसीडीएस और मध्याहन भोजन आदि ।
  • (Chapter – 21) खाद्य और पोषण सुरक्षा हेतु सरकारी नीतियाँ
  • (Chapter – 22) योजनागत रणनीतिः भारतीय पंचवर्षीय योजनाओं के उद्देश्य और रणनीति, राष्ट्रीय विकास परिषद की भूमिका और कार्य योजना आयोग |
  • (Chapter – 23) विकेंद्रीकृत योजनाः अर्थ और महत्त्व, पीआरआईएस और विकेंद्रीकृत योजना, भारत में मुख्य पहलें ।

समूह (3)- आर्थिक सुधार, स्वरूप और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इनका प्रभाव

  • (Chapter – 24) नए आर्थिक सुधार – उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण, सुधार के औचित्य और आवश्यकताएँ, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएँ जैसे- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, विश्व व्यापर संगठन इनकी भूमिका तथा भारतीय अर्थव्यवस्था पर इनका प्रभाव।
  • (Chapter – 25) वित्तीय और बैंकिंग क्षेत्र के सुधार, आर्थिक सुधार और ग्रामीण बैंकिंग का ग्रामीण साख पर पड़ने वाला प्रभाव, स्वयं सहायता समूह, सूक्ष्म वित्त, नाबार्ड, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, ग्रामीण सहकारी बैंक, वित्तीय समावेशन |
  • (Chapter – 26) भारतीय अर्थव्यवस्था का वैश्वीकरणः विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ने वाले इसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव, भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों के मुद्दे ।
  • (Chapter – 27) कृषि क्षेत्र में सुधार तथा विकास पर इसका प्रभाव; सब्सिडी के मुद्दे और कृषि पर होने वाला सार्वजनिक निवेश, सुधार तथा कृषि संकट ।
  • (Chapter – 28) भारत में औद्योगिक विकास और आर्थिक सुधार: औद्योगिक नीति में मुख्य परिवर्तन, इसका औद्योगिक विकास पर प्रभाव और सूक्ष्म व मध्यम उद्यमों की समस्या, बाद के सुधार के काल में होने वाले भारत के उदारीकरण में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की भूमिका, सार्वजनिक उद्यमों का विनिवेश और निजीकरण ।

समूह ( 4 ) – झारखण्ड की अर्थव्यवस्थाः विशेषताएं, मुहें, चुनौतियाँ और रणनीतियाँ

  • (Chapter – 29) झारखण्ड की अर्थव्यवस्था की आर्थिक संवृद्धि और संरचना, क्षेत्रीय संरचना, पिछले दशक में एसडीपी तथा प्रति व्यक्ति एनएसडीपी में वृद्धि, झारखण्ड में कृषि और औद्योगिक वृद्धि ।
  • (Chapter – 30) झारखण्ड की जनसांख्यिकीय विशेषताएँ: जनसंख्या वृद्धि, लिंगानुपात, घनत्व, साक्षरता, कार्यबल की संरचना, ग्रामीण-शहरी संरचना इत्यादि (2001 तथा 2011 की जनगणना के विशेष संदर्भ में), जिलों में आतंरिक विविधताएँ
  • (Chapter – 31) झारखंड में गरीबी की स्थिति, बेरोज़गारी, खाद्य सुरक्षा, कुपोषण और स्वास्थ्य सूचकांक, प्रमुख पहलें
    • कृषि और ग्रामीण विकास के मुद्दे,
    • प्रमुख कार्यक्रम और योजनाएँ,
    • गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमः पीयूआरए (PURA), भारत निर्माण, मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना, इंद्रिरा आवास योजना आदि;
    • खाद्य सुरक्षा योजना।
  • (Chapter – 32) झारखण्ड में भूमि, वन और पर्यावरणीय मुद्दे:
    • भूमि सुधार और कृषि सम्बन्ध, जनजाति भूमि, लोगों का विकास हेतु विस्थापन;
    • इसके प्रभाव और नीतिगत पहलें
    • वनों से सम्बन्धित मुद्दे और वित्तीय संसाधन एजेंसी का क्रियान्वयन,
    • पर्यावरणीय निम्नीकरण और इससे निबटने हेतु राज्य की नीति ।
  • (Chapter – 33) झारखण्ड में पंचवर्षीय योजनाएँ,
    • 10वीं और 11वीं योजना की रणीनीति और उपलब्धियाँ,
    • टीएसपी और एससीएसपी,
    • झारखण्ड में लोक वित्त का झुकाव,
    • झारखण्ड में औद्योगिक नीति और औद्योगिक विकास ।