- “भारत में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा लागू की गई प्रमुख नीतियों एवं कार्यक्रमों की विवेचना कीजिए।”
- परिचय (Introduction): भारत में खाद्य और पोषण सुरक्षा का तात्पर्य है – सभी लोगों को पर्याप्त, सुरक्षित, और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता, पहुँच और उपभोग को सुनिश्चित करना, जिससे वे एक सक्रिय और स्वस्थ जीवन जी सकें।
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 47 राज्य को “जनता के पोषण स्तर और जीवन स्तर को ऊँचा उठाने” का निर्देश देता है।
प्रमुख सरकारी नीतियाँ और कार्यक्रम:
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013
- कवरेज: 75% ग्रामीण और 50% शहरी आबादी
- लाभार्थी: अंत्योदय परिवार और प्राथमिक परिवार
- प्रावधान:
- 5 किलो अनाज/व्यक्ति/माह @ ₹1-3 प्रति किलो
- मातृ एवं शिशु पोषण हेतु मातृत्व लाभ योजना
- TPDS (Targeted Public Distribution System) को वैधानिक दर्जा
- एकीकृत बाल विकास सेवा योजना (ICDS)
- प्रारंभ: 1975
- लाभार्थी: 0-6 वर्ष के बच्चे, गर्भवती और धात्री महिलाएं
- सेवाएँ:
- पूरक पोषण
- स्वास्थ्य जांच
- टीकाकरण
- पोषण व स्वास्थ्य शिक्षा
- आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से सेवा
- मिड-डे मील योजना (Mid-Day Meal Scheme)
- लाभार्थी: कक्षा 1 से 8 तक के बच्चे
- उद्देश्य: पोषण सुधार, उपस्थिति बढ़ाना, स्कूल ड्रॉप-आउट कम करना
- 2021 में PM-POSHAN योजना के रूप में नया स्वरूप
- राष्ट्रीय पोषण मिशन (POSHAN Abhiyaan)
- प्रारंभ: 2018
- उद्देश्य:
- कुपोषण, एनीमिया, स्टंटिंग, वेस्टिंग को कम करना
- POSHAN Tracker App द्वारा निगरानी
- जन भागीदारी आधारित रणनीति (जन आंदोलन)
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)
- कोविड-19 के समय शुरू की गई
- 5 किग्रा अतिरिक्त अनाज मुफ्त प्रति व्यक्ति
- 2023 से NFSA में समाहित कर स्थायी किया गया
- अन्य प्रमुख पहलें:
योजना/नीति | उद्देश्य |
---|---|
FCI (Food Corporation of India) | खरीद, भंडारण और वितरण |
ECA (Essential Commodities Act) | जमाखोरी रोकना |
FSSAI | खाद्य गुणवत्ता सुनिश्चित करना |
मातृत्व वंदना योजना | गर्भवती महिलाओं के लिए नकद सहायता |
SABLA योजना | किशोरी बालिकाओं का पोषण |
- चुनौतियाँ:
- वितरण में लीकेज (PDS में भ्रष्टाचार)
- पोषण डेटा का अद्यतन न होना
- कृषि उत्पादन का क्षेत्रीय असंतुलन
- जनसंख्या दबाव
- भोजन की गुणवत्ता और विविधता की कमी
- Double burden of malnutrition: कुपोषण और मोटापा दोनों
- सुझाव / मार्ग आगे का:
- PDS को DBT से जोड़ना – पारदर्शिता और दक्षता
- आंगनवाड़ी में टेक्नोलॉजी का प्रयोग – पोषण ट्रैकिंग
- सामुदायिक रसोई (Community Kitchen) को प्रोत्साहन
- सात्विक आहार शिक्षा – व्यवहार में सुधार
- स्थानीय फसलों को बढ़ावा – पोषक आहार की उपलब्धता
- निष्कर्ष: भारत में खाद्य और पोषण सुरक्षा हेतु अनेक योजनाएँ व कानून लागू हैं, परंतु क्रियान्वयन की गुणवत्ता, स्थानीय भागीदारी, और नवाचार पर ध्यान केंद्रित कर ही 2030 तक ‘शून्य भूख’ (SDG-2) का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
- “राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 एक प्रगतिशील कानून है, किंतु इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ हैं। टिप्पणी कीजिए।”
- “भारत के पोषण कार्यक्रमों में एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है। चर्चा कीजिए।”
- “POSHAN अभियान भारत के पोषण संकट को किस हद तक सुलझा सका है?” – मूल्यांकन कीजिए।