खाद्य एवं पोषण सुरक्षा हेतु सरकारी नीतियाँ एवं कार्यक्रम
भारत में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा एक प्रमुख सामाजिक-आर्थिक चुनौती रही है। इसे दूर करने के लिए सरकार ने समय-समय पर अनेक नीतियों, कार्यक्रमों और कानूनों की शुरुआत की है। ये उपाय मुख्य रूप से खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करने, पहुँच बढ़ाने और पोषण के स्तर में सुधार लाने पर केंद्रित हैं।
1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013
यह भारत की खाद्य सुरक्षा व्यवस्था की आधारशिला है। इसका लक्ष्य लोगों को सस्ती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराकर उन्हें सामाजिक-आर्थिक न्याय और जीवनयापन का अधिकार दिलाना है।
मुख्य प्रावधान:
- कवरेज: लगभग 75% ग्रामीण और 50% शहरी आबादी को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत राशन कार्ड दिए जाते हैं।
- अनुदानित दरें: प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किग्रा. खाद्यान्न (चावल ₹3/किग्रा, गेहूँ ₹2/किग्रा, मोटे अनाज ₹1/किग्रा)।
- अन्त्योदय अन्न योजना (AAY): सबसे गरीब परिवारों को प्रति माह 35 किग्रा. खाद्यान्न।
- मातृत्व अधिकार: गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को गर्भावस्था के दौरान及6 माह बाद तक भोजन के अलावा कम से कम ₹6,000 का मातृत्व लाभ।
- बच्चों के लिए पोषण: 6 महीने से 14 साल तक के बच्चों के लिए निर्धारित पोषण मानकों के अनुसार भोजन।
2. एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (ICDS) योजना, 1975
यह दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे व्यापक पोषण एवं बाल विकास कार्यक्रम है। इसका मुख्य फोकस 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती及धात्री माताओं और किशोरियों के पोषण एवं स्वास्थ्य सुधार पर है।
मुख्य सेवाएँ:
- पूरक पोषण: गर्म, पका हुआ भोजन या टेक-होम राशन (THR) उपलब्ध कराना।
- टीकाकरण: बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण।
- स्वास्थ्य जाँच: बच्चों, महिलाओं की नियमित स्वास्थ्य जाँच एवं रेफरल सेवाएँ।
- पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा (NHED): समुदाय को पोषण संबंधी जागरूकता प्रदान करना।
- अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन (ECCE): प्री-स्कूल शिक्षा।
यह योजना आंगनवाड़ी केंद्रों (AWCs) के माध्यम से क्रियान्वित की जाती है।
3. मध्याह्न भोजन योजना (MDM) / पोषण अभियान
शिक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित यह योजना दुनिया का सबसे बड़ा स्कूल भोजन कार्यक्रम है।
उद्देश्य:
- स्कूलों में नामांकन, उपस्थिति और अवधारण को बढ़ाना।
- बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाना।
- सामाजिक एकीकरण को बढ़ावा देना।
मुख्य बिंदु:
- कक्षा 1 से 8 तक के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के बच्चों को दिन का पका हुआ गर्म भोजन प्रदान किया जाता है।
- भोजन में कम से कम 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन (प्राथमिक स्तर पर) होना अनिवार्य है।
- स्थानीय महिलाओं के स्व-सहायता समूहों (SHGs) को भोजन पकाने की जिम्मेदारी दी जाती है।
4. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)
कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिए शुरू की गई एक अतिरिक्त राहत योजना।
विशेषताएँ:
- एनएफएसए के तहत पात्र लाभार्थियों को मुफ्त में अतिरिक्त 5 किग्रा प्रति व्यक्ति प्रति माह खाद्यान्न (चावल/गेहूँ) दिया गया।
- यह योजना सामान्य TPDS कोटे के अतिरिक्त थी।
- इसने महामारी के दौरान गरीबों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
5. पोषण (POSHAN) अभियान / राष्ट्रीय पोषण मिशन
इसका उद्देश्य देश में कुपोषण की समस्या को बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाकर हल करना है।
लक्ष्य:
- स्तनपान (0-6 महीने), कम वजन, अवरुद्ध विकास (Stunting), एनीमिया और जन्म के समय कम वजन जैसे सूचकांकों में सुधार लाना।
- यह आंगनवाड़ी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार, T3 (टेक-होम राशन) की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और जन-जागरूकता फैलाने पर केंद्रित है।
- प्रौद्योगिकी के उपयोग (ICDS-CAS अर्थात Common Application Software) को बढ़ावा देकर वास्तविक समय में निगरानी की जाती है।
6. अन्य महत्वपूर्ण पहल
- अन्नपूर्णा योजना: एनएफएसए से बाहर रहे 65 वर्ष से अधिक उम्र के गरीब वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त में 10 किग्रा खाद्यान्न प्रदान करना।
- किसान उत्पादक संगठन (FPOs): उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा देकर किसानों की आय बढ़ाना, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से खाद्य सुरक्षा मजबूत होती है।
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN): आय सहायता प्रदान करके किसानों की क्रय शक्ति बढ़ाना।
- फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI): सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए मानक निर्धारित करना।
चुनौतियाँ एवं आगे की राह
- लक्ष्यीकरण में त्रुटियाँ (Targeting Errors): अभी भी बहिष्करण (Exclusion) और अन्तर्विष्करण (Inclusion) की समस्याएँ बनी हुई हैं।
- डिजिटल डिवाइड और Aadhaar लिंकिंग: तकनीकी समस्याओं के कारण वंचित समूहों के लिए पहुँच में बाधा।
- भंडारण, परिवहन और रिसाव की समस्या: PDS में होने वाली चोरी और अपव्यय।
- पोषण पर अपर्याप्त जोर: केवल कैलोरी उपलब्ध कराने से पोषण सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती। प्रोटीन, सूक्ष्म पोषक तत्वों आदि पर ध्यान देने की आवश्यकता।
- जागरूकता की कमी: समुदाय स्तर पर पोषण संबंधी जानकारी और व्यवहार परिवर्तन की कमी।
निष्कर्ष
भारत की खाद्य और पोषण सुरक्षा नीतियाँ व्यापक और महत्वाकांक्षी हैं। NFSA और POSHAN अभियान जैसे कार्यक्रमों ने एक मजबूत कानूनी और संस्थागत ढाँचा प्रदान किया है। हालाँकि, इन नीतियों की सफलता लक्षित वितरण, तकनीकी एकीकरण, पोषण संबंधी परिणामों पर ध्यान, और स्थानीय स्तर पर सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने में निहित है। एक एकीकृत दृष्टिकोण, जो खाद्य उपलब्धता, पहुँच, स्थिरता और पोषण गुणवत्ता को एक साथ संबोधित करे, ही भारत को वास्तविक ‘पोषण सुरक्षा’ प्राप्त करने में मदद कर सकता है।